किसी एक को तो उस की आवाज़ सुनाई दी होगी.
वो चीख रही होगी बहुत जोर से चिल्लाई भी होगी,
बाप भाई और दोस्त जैसा कोई नहीं था आस पास,
बार बार माँ बहन की कसमें उसने दिलाई भी होगी.
कैसी दरिंदगी कैसा घिनौना कृत्य किया ज़ालिमों ने,
शरीर उसका था, अंतरात्मा अपनी जलाई भी होगी.
बेहद अरमान व सपने संजोये चिकित्सक बनी होगी,
उसकी मेहनत की धज्जियां पल में उड़ाई भी होंगी.
कितने नाजों से पाला होगा बाबुल ने उस कली को,
सोचा ही न होगा बिन डोली उसकी विदाई भी होगी.