करवा ले लो ,करवा।बहन करवा ले लो।बाहर से करवे बेचने वाले की आवाज़ सुन कर कनक बाहर की तरफ भागी तो कदम चौखट पर ही ठिठक गए ।उसने देहली के बाहर बढाया कदम एकदम अन्दर की तरफ खींच लिया।आखों से अश्रु धार बहने लगी।तभी सात साल का सानु दौड़ता हुआ आया और बोला ,"माँ गली की सारी औरतें करवे ले रही है तुम क्यो नही लेती।देखों ना बिलकुल घरके आगे खड़ा है करवे वाला।"कनक की जोर से रूलाई फूट पड़ी ।अब वह उस कोमल हॄदय को कैसे समझायें कि वह अब किसके नाम का व्रत रखे।जिसके नाम का रखती थी वो तो पिछले साल ही देश की सेवा करने में शहीद हो गया याद है उसे वो मंज़र ।चारों तरफ "भारत माता की जय "।"शहीद अमन दीप अमर रहे"।चारो तरफ से यही नारे गूंज रहे थे।अमन को जब चिता पर लिटाया गया तो वह बेसुध हो कर गिरने वाली थी।तभी गली की औरतों ने उसे सम्भाला और दिलासा देती हुई बोली,"कनक !अमन हम से दूर थोड़े गया है वो तो अमर हो गया है।उसकी शहादत पर आँसु बहा कर तू उसकी शहादत को बेकार कर रही है।तू तो अमर शहीद की पत्नी है।नाज कर अपने ऊपर।"एक तो सानु छोटा उपर से दुख का पहाड़। अब जाये तो कहा जाये ।बेचारी ने मन पर पत्थर रखकर पति को अन्तिम विदाई दी।रिश्तेदार भी कितने दिन रहते।थोड़े दिनों बाद कनक को दिलासा दे कर सब अपने-अपने घरों को रवाना हो गये ।अब माँ बेटा दोनों घर मे अकेले रह गये।दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर जीवन की गाड़ी को खींचने लगे।सानु माँ की आखों में आंसू देखकर विचलित हो गया ।पूछा,"क्यो रो रही हो माँ ?बताओ ना।कनक ने आंसू पोंछते हुए कहा,"कुछ नही मेरे लाल बस आखों मे कुछ गिर गया था ।इस लिए पानी आ गया ।"सानु माँ से चिपकता हुआ बोला,"माँ आप मुझे मूर्ख समझती है।रोना और पानी आना मै अच्छी तरह से समझता हूँ ।बताओ ना क्यू रो रही थी।"कनक ने बेटे की जिद के आगे घुटने टेक दिए ।बोली ,"बेटा मैं आज तुम्हारे पापा को याद करके रो रही थी।उनको कितना चाव था करवा-चौथ का हर बार फौज से छुट्टी लेकर आते थे।अपने हाथों से मेरा श्रृंगार करते थे।करवे वाला आता था तो मुझ से पहले गली मे पहुँच जाते थे ।अब मै किसके लिए व्रत रखू बस यही सोचकर आँखो मे पानी आ गया।सानु बेचारा हैरान परेशान माँ की ओर देखने लगा ।बच्चा था वह करे भी तो क्या करे।गांव के बाहर उसके पिता की स्मृति में एक पत्थर की प्रतिमा स्थापित की थी गांव वालों ने ।वहाँ जाकर उदास हो कर बैठ गया।यही सोचता रहा माँ को कैसे खुश करूँ ।तभी उसकी नजर पिता की मूर्ति के नीचे लिखी लाईन पर गयी।"शहीद अमन दीप अमर रहेँ ।"बस उसे रास्ता मिल गया ।वह दौड़ा दौड़ा करवे वाले के पास गया और करवे वाले से करवे खरीदने लगा।रेहडी पर खड़ी औरतों ने पूछा, "है रे!किसके लिए खरीद रहा है।सानु ने कहा,"माँ के लिए "औरते मुँह पर हाथ रख कर तरह-तरह की बातें करने लगी।कोई कहती"मुझे तो इसके रंग ढंग सही नही लगते थे।पति के जाने के बाद तो आजाद हो गयी है भई।"जितने मुँह उतनी बातें ।सानु किसी की भी परवाह किए बगैर करवे खरीद कर घर पहुंचा और माँ से बोला, "माँ आज तुम करवा-चौथ का व्रत रखो गी।"सानु की ये बात सुनकर कनक सन्न रह गयी।बोली"ये तू क्या कह रहा है बेटा।मैं और करवा-चौथ ।लोग क्या कहेंगे ।"सानु बोला "माँ तुम कुछ मत सोचो बस व्रत रखों मै सब देख लूँ गा।"कनक ने बहुत मना किया पर सानु ज़िद पर अडा रहा।कनक ने मन न होते हुए भी बेटे की ज़िद के लिए व्रत रखा।आज सानु ने माँ को वो ही साड़ी अलमारी मे से निकाल कर दी जो उस के पिता को पसंद थी।अपनी माँ को सारा श्रृंगार करने को बोला जो उसके पिता उसकी माँ का करते थे।पर कहते है ना लोगों को अपने सुख मे सुखी रहना नही आता दूसरा सुखी क्यू है यही बात उन्हे परेशान करती है।ऐसी ही चार पांच औरतें जिन से रहा नही गया पहुँच गयी कनक के घर ।जब देखा कनक तो नयी नवेली दुल्हन की तरह सजी है तो सुनाने लगी,"है री करम जली किसके नाम का करवा-चौथ रख रही है।पति को गुज़रे साल भी नही हुआ और ये महारानी सज-धज कर ना जाने किस के नाम का व्रत रखो रही है।,"मेरे पिता के नाम का "सानु लगभग चीखता हुआ हाथ में पूजा की थाली और छलनी लेकर बाहर आया ।बोला,"काकी मुझे ये बताओ वो आप ही थी ना जब मेरे पिता जी को चिता पर लिटा रहे थे तो माँ को ढाढ़स बंधाते हुए कहा था कि मेरे पिता कही नही गये वो यही है।और मैंने स्कूल में पढ़ा है अमर का मतलब जो कभी नहीं मरा हो।इस लिए मेरी माँ एक अमर शहीद की पत्नी है।वह तो विधवा हो ही नही सकती ।इसलिए मेरी माँ आज से मेरे पिता के नाम का व्रत करेंगी ।सानु चल पड़ा अपनी माँ को ले कर अपने पिता के स्मारक की ओर ।माँ को चाँद को अरग देते व छलनी से चाँद और पिता को देखती माँ को देखने के लिए ............