॥मोक्षा॥
॥मोक्षा॥बस इतनी सी सौगात मुझे मेरे ईलाही दे।इस जिस्म की कैद से मुझे जल्द रिहाई दे॥मेरी रूह उनकी रुह की आवाज सुन सके उसके बाद चाहे मुझे कुछ भी ना सुनाई दे॥हम बेगुनाह पाक उड़ते फरिश्ते थे बस यूहींतू खुद आकर फिर समाज को ये गवाही दे॥सब समझते हैं कुछ गुनाह कर बैठे थे हमउस दुनिया में तो कमसकम हमें बेगुनाह