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'नहीं वृन्दावन दूर कहीं था

18 मई 2016

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'नहीं वृन्दावन दूर कहीं था

क्यों न चले आये मनमोहन! यदि मन सदा वहीं था!'

 

'मन यदि मेरी सुधि कर लेता 

धरती- गगन एक कर देता 

कभी आपको, कंस-विजेता

                      कुछ भी कठिन नहीं था 

 

'अश्व आपके रथ के पल में 

जाते उड़ तारा-मंडल में 

वृन्दावन तो बस करतल में 

                         पलकों तले यहीं था 


'नहीं वृन्दावन दूर कहीं था

क्यों न चले आये मनमोहन! यदि मन सदा वहीं था!'

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