यह कहानी बनारस शहर में स्थित गोविंदपुरी में रहने वाली सुलोचना और मनोरमा दो सहेलियों की जो कॉलेज में एक साथ पढ़ती थीं।
सुलोचना उम्र 55 वर्ष कद काठी साधारण, रंग सांवला, तीखे नैन नक्श, मध्यम वर्गीय परिवार, पति सौरभ भारद्वाज उम्र 58 वर्ष सीधे साधे ,बैंक ऑफ इंडिया से दो महीने बाद रिटायर्ड होने वाले हैं। बेटा पीयूष उम्र 35 वर्ष SBI बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत है। उसकी पत्नी मिताली उम्र 34 वर्ष गौर वर्ण सुंदर सुशील ,हाउस वाइफ है। सुलोचना की पौत्री उम्र 8वर्ष स्तुति कक्षा तीन में न्यू स्टैंडर्ड पब्लिक स्कूल में अपने छोटे भाई संकल्प उम्र 6 वर्ष जो कक्षा 1 में, साथ में पढ़ती है।
मनोरमा उम्र 56 वर्ष साधारण कद काठी, रंग गौर वर्ण, उच्च वर्गीय परिवार, पति अनिरुद्ध जोशी MNC कंपनी के मालिक जिसे उनका बेटा राघव उम्र 35 वर्ष सरल, सौम्य स्वभाव साथ में संभालता है।
राघव की पत्नी रोहिणी उम्र 32 वर्ष जिसे किटी पार्टी करना बहुत भाता है। मनोरमा का पौत्र उम्र 9 वर्ष कक्षा 3 और पौत्री 6वर्ष कक्षा 1 में उसी स्कूल में पढ़ते हैं।
मनोरमा की बेटी दीपशिखा उम्र 34 वर्ष तीखे तेवरों से लबरेज अपने पति रोहित उम्र 35 वर्ष सीधे साधे व्यक्तित्व,उनके साथ सूरत में, रहती है जिनका कपड़ों का थोक व्यवसाय है।
मनोरमा ने सत्संग करवाने के लिए वृंदावन धाम नामक लॉज बनवाया जहां मोहल्ले की सभी औरतों के साथ सत्संग करती हैं। हर महीने पूर्णमासी के दिन महंत गोवर्धन दास राम कथा सुनाते हैं जिसे सभी लोग बड़े मगन होकर सुनते हैं।
क्रमश: