सुलोचना के डोर बेल बजाते ही उसकी बहु मिताली ने दरवाजा खोला तो उन्हें रूआंसा देखकर उनका हाथ पकड़ कर घर के अन्दर बुलाया और ड्राइंग रूम में सोफे पर बिठा कर पानी पिलाया। पानी पीने के बाद रुंधे गले से चेन छिन जाने का उन्होंने वृतांत कह सुनाया।
मिताली चिंतित स्वर में बोली," मां जी हमने आपसे कहा था कि आप चेन अपनी अलमारी में रख लीजिए किंतु आपने मेरी बात का गलत अर्थ निकाल लिया।"
सुलोचना रुंधे गले से बोली," बहु! सत्संग में चार औरतें पहने रहतीं हैं वहीं खुद होते हुए भी न पहनूं तो बेइज्जती महसूस होती है, इसीलिए हमने पहनी थी। हमें क्या मालूम था कि अचानक से ऐसी घटना हो जायेगी। अब क्या होगा?"
मिताली चिंतित स्वर में बोली," घबराइए नहीं मां जी। इनको फोन कर पुलिस में इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने को कहते हैं।"
सुलोचना रुंधे गले से बोली," तुम्हारे पापा जी भी हमारे ऊपर गुस्सा करेंगे कि जब पता था तो क्यों नहीं चेन अलमारी में रख कर तब सत्संग में गई।"
मिताली चिंतित स्वर में बोली," जब पापा जी और ये (पीयूष) पूछे तो कह दीजिएगा कि ध्यान नहीं रहा कि गले में पड़ी सोने की चेन उतार कर अलमारी में रख दूं। मैं भी कुछ बहाना बता दूंगी।" ये कहकर पीयूष को फोन किया।
मिताली ने पीयूष को फोन कर चेन छिन जाने की घटना बता कर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की उनसे गुजारिश की।
पीयूष अपनी मां की सोने की चेन छिन जाने से उनके ऊपर नाराज हुआ किंतु अपने गुस्से पर कंट्रोल करते हुए मैनेजर कपिल शर्मा उम्र 45वर्ष गेहुआं रंग साधारण कद काठी के , तेज तर्रार कुछ, कुछ दूसरों की बात सुनते ही समझ उन्हीं को कायदे कानून सिखाते, के पास गए और सारा वृतांत कह सुनाया। बोले," सर मुझे हाफ टाइम छुट्टी चाहिए और साथ ही पापा जी को भी हम सूचित कर दें।"
मैनेजर कपिल शर्मा पूरी बात को समझते हुए बोले," पीयूष हमारी यहीं रोहतास नगर पुलिस थाने में पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे से जान पहचान है। अभी लगभग दोपहर के तीन बजे हैं। अपने बॉस देवेंद्र बंसल को सूचित कर हम भी तुम्हारे साथ चलते हैं।"
दोनों लोग अपने बॉस देवेंद्र बंसल के केबिन में पहुंच गए। देवेंद्र बंसल उम्र 55वर्ष रौबदार व्यक्तित्व नेवी ब्लू सूट पहने हाथ के इशारे से दोनों को सामने कुर्सी पर बैठने को कहा। पीयूष ने उनसे सारा वृतांत कह सुनाया।
देवेंद्र बंसल जी ने पूरा वृतांत सुनने के बाद बड़ी गंभीरता से बोला," हम अभी पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे उम्र 42 वर्ष तीखे तेवरों वाले रौबदार व्यक्तित्व, को फोन कर समस्या का निदान कर देते हैं। आप दोनों निश्चिंत होकर अपनी सीट पर जाकर अपनी ड्यूटी संभालिए।" ये सुनकर दोनों अपनी सीट पर आकर बैठ गए।
देवेंद्र बंसल जी ने पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे को फोन कर सारा वृतांत बता कर तुरंत कार्यवाही का आदेश दिया।
पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे ने बड़े नम्र स्वर में कहा," सर ये घटना मेरे इलाके की नहीं है किंतु मैं गोविंदपुरी के इंस्पेक्टर निखिल चतुर्वेदी को सूचित कर तुरंत कार्यवाही करने का आदेश जारी कर दूंगा। आप निश्चिंत रहें।" ये कहकर फोन रख दिया।
पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे ने इंस्पेक्टर निखिल चतुर्वेदी उम्र 38वर्ष सीधे साधे व्यक्तित्व, को फोन कर सारी घटना बताई। उसके बाद आदेश दिया कि जल्दी से जल्दी दोनों चेन स्नैचर को पकड़ कर गिरफ्तार करो। अभी साढ़े तीन बजे हैं हम चार बजे तक वहां पहुंच रहें हैं।
निखिल चतुर्वेदी बड़े नम्र स्वर में बोले," सर जी अभी थोड़ी देर पहले हमारे दोनों कांस्टेबल विनय कटियार और आनंद दूबे ने दो चेन स्नैचर को पकड़ा है। हमने उन दोनों को जेल में बंद कर दिया। आप आकर उन्हें देख सकते हैं।"
पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे ने बड़े नम्र स्वर में कहा," वेल डन। मैं पीयूष को लेकर चार बजे तक थाने पहुंच रहा हूं।" ये कहकर फोन रख दिया।
पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे ने देवेंद्र बंसल जी को फोन कर पीयूष को बुलाया और उन्हें साथ लेकर गोविंदपुरी थाने पहुंच गए।
इंस्पेक्टर निखिल चतुर्वेदी ने पीयूष को चेन स्नैचर से बरामद की हुई चेन दिखाई जिसे उन्होंने झट पहचान लिया। बोले," सर जी यही सोने की चेन मेरी मां की है। सर आपका मैं कैसे धन्यवाद करूं। आप लोग न होते तो मां का मेरे रो रो कर बुरा हाल हो जाता।"
पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे ने मुस्कराते हुए कांस्टेबल आनंद दूबे को सबके लिए चाय लाने का आदेश दिया। जिसे सुनकर वह बैंक के सामने बने साईं टी स्टॉल से दस मिनट में सबके लिए चाय ले आया।
चाय पीने के बाद पीयूष ने सोने की चेन को कागज़ में लपेट कर पैंट की पॉकेट में रख कर सभी का शुक्रिया अदा किया और घर की ओर चलने लगा तो पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे बड़े नम्र स्वर में बोले," चलिए आपको घर तक छोड़ दूं। यहीं थोड़ी दूरी पर मेरी बड़ी बहन मनोरमा का घर है उनसे भी मिल लूंगा।" ये कहकर पीयूष को जीप में बैठा लिया।
पीयूष ने बड़े नम्र स्वर में कहा," सर जी आपकी बड़ी बहन मनोरमा आंटी मेरी मां की पक्की सहेली हैं। सत्संग में जाती रहतीं हैं।" ये सुनकर अश्विनी पांडे मुस्करा दिए।
पांच मिनट में दोनों भारद्वाज विला पर जाकर रुक गए। पीयूष ने पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे से बड़े निवेदन करते हुए कहा," सर जी आप हमारे घर भी चलिए।"
पुलिस अधीक्षक अश्विनी पांडे ने बड़े नम्र स्वर में कहा," फिर कभी।" ये कहकर गाड़ी आगे बढ़ा दी।
पीयूष ने डोर बेल बजाई तो उसकी पत्नी मिताली ने दरवाजा खोला। घर में पीयूष के ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठते ही बोली," आप आ गए। पिताजी भी आ गए हैं। चाय पी लीजिए फिर उसके बाद पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दीजिए।"
पीयूष ने बड़े नम्र स्वर में अपनी मां का हाथ थामा और बोले," अब उसकी कोई जरूरत नहीं।" ये कहकर पैंट की पॉकेट से कागज़ की पुड़िया जिसमें सोने की चेन रखी थी, निकाल कर दे दिया।
सुलोचना का अपनी सोने की चेन देखकर चेहरा खिल उठा। पीयूष के सिर पर हाथ रख बोली," आज तूने मेरी चेन वापस ला दी। मैं तो उम्मीद खो बैठी थी।" ये सुनकर पीयूष सारा वृतांत कह सुनाया।
सुलोचना जी के पतिदेव सौरभ भारद्वाज एक टक अपनी पत्नी के मनोभावों को देखते रहे। बोले," भागवान! सोने की चेन घर में पहने रहो किंतु बाहर जाओ तो अब अलमारी में संभाल कर रख देना।" ये सुनकर सभी लोग मुस्कराने लगे।
क्रमशः