shabd-logo

Who Am I

11 सितम्बर 2024

20 बार देखा गया 20
कभी कभी कुछ बाते याद न की जाए तो ही अच्छा होता है पर यह बात याद करना मेरी मजबूरी है क्युकी यह आदमी जो इस हॉस्पिटल में है उसके लिए उसका अतीत जानना बोहोत जरूरी है अगर वो खुद को नही जान पाया तो वो खुद को बचा नही पाएगा।
        
ये तो यह तक नही जानता की उसका नाम क्या है और वो कहा से है और करता क्या है, बस अभी ही लिए ये एक जिंदा लाश है जिसे पूरी तरह लाश बनाने के लिए इसके सेकडो दुसमान इंतजार कर रहे है।

     इसके अतीत से पहले इसके यहां तक आने का कारण जान लेते है।

     सन 2019 पश्चिम बंगाल के जमुरिया के एक कमरे के अंदर मुस्ताक और उसके कुछ साथी बात कर रहे है।
मुस्ताक - 2020 तक हम सभी को अपने काम को अंजाम देना है इसलिए जल्दी जल्दी अपने सभी साथियों को बुलाओ और मिशन को पूरा करने के लिए सभी को रवाना करो यहां से और याद रहे इस मिशन के बाद पूरा हिंदुस्तान हमें याद रखेगा। अल्लाह हाफिज!


     दूसरी ओर कहानी का मुख्य पत्र राघव अपना घर छोड़ कर निकल जाता है और रेलवे स्टेशन पर परेशान बैठा यह सोच रहा होता है की वो कहां जाए और क्या करे। तभी कोई चोर उसका बैग चुराकर एक चलती ट्रेन में चढ़ जाता है और राघव भी उसके पीछे उस ट्रेन में चाड जाता है, राघव उस चोर को तलाश कर रहा होता है की वह किसी से टकराता है और गिर जाता है वह आदमी राघव को उठता है और पूछता है क्या हुआ क्यू इतना घबराए हुए हो। राघव कहता है एक चोर मेरा बैग चुरा कर इस ट्रेन में चढ़ा है में उसे ही ढूंढ रहा हू जल्दी जल्दी राघव अपनी बात खत्म करके आगे जाने लगता है, वह आदमी भी उसके पीछे जाने लगता है, पेनेट्री के अंदर राघव जाने की कोशिश करता है पर वहां के कर्मचारी उसे जाने नही देते है।

      राघव परेशान हालत में सोचता है में घर भी छोड़ चुका हूं जाना कहां है ये भी पता नही पैसे बैग में थे वो भी चोरी हो गया और यह ट्रेन कहा जा रही है मुझे पता नही और ये भी मुझे आगे जाने नही दे रहा है। और इन सभी सोच के बीच उसके कानो में एक आवाज सुनाई देती है उसे जहां जाना है जाने दो और पेनेट्री का कर्मचारी उसे जी सर कहकर राघव को आगे जाने के लिए रास्ता देता है।

       राघव पीछे मुड़कर उस आवाज को देखता है, ये तो वही आदमी है जिससे में टकराया था, सर आपका बोहोत बोहोत धन्यवाद कहकर फिर जल्दी से आगे बड़ जाता है और पेनेट्री के अंदर ही अपना बैग देख लेता है और उसे खोल कर देखने लगता है की उसके पैसे उसके अंदर है या चोर पैसे लेकर बैग छोड़ गया हो। पैसे बैग में ही थे और फिर वही आवाज फिर से सुनाई देती है बैग मिल गया बच्चे लो तुम्हारा चोर इसके साथ जो करना है कर लो।

 राघव सर आपका फिर से बोहोत बोहोत धन्यवाद आपने मुझे मेरा बैग दिलवा दिया। कुछ भी बिना कारण नही होता राघव हर घटना के पीछे कुछ खास वजह होती है उस आदमी ने राघव से कहा।

राघव उस आदमी के मुंह से अपना नाम सुनकर चौंक जाता है और उस आदमी से कहता है सर आपको मेरा नाम केसे पता। मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ पता है राघव तुम किस कारण से घर छोड़ कर भागे हो और तुम्हे ये भी नहीं पता की तुम्हे जाना कहा है और करना क्या है उस आदमी ने जबाव दिया।

राघव पर आप है कोन और मुझे केसे जानते है।

मेरा नाम प्रवीण है और ये मेरा दोस्त अनिल है।

राघव -  ये चोर और आपका दोस्त मतलब आप भी चोर है।

अनिल - उसकी बात करते हुए कहता है चोर नही चौकीदार।

राघव -  क्या चौकीदार और तुम मेरा बैग चुरा कर मुझे यहां ले आए मुझे तुम चोर नही किडनैपर लगते हो तुम मेरा किडनैप करने की सोच रहे हो तो सोच लो बोहोत पछताओगे?

प्रवीण - बच्चे पछताओगे तो तुम अगर हमारी बात नही सुनी तो।

राघव - में पछताऊंगा सर में घर छोड़ कर भाग कर आया हूं और आप कह रहे हो में पछताऊंगा अब मेरे पास खोने को कुछ नही है इसलिए में आप लोगो से डरने वाला नही हूं।

अनिल - उस पुलिस केस में जैल जाने से भी नही डरते जिस की वजह से तुझे तेरे घर को छोड़ना पड़ा।

राघव - केस को को कोन सा केस तुम लोग ये क्या बकवास कर रहे हो।

प्रवीण - इतनी जल्दी भूल गया बच्चे सबूत नहीं मिले इसलिए तू बच गया नही तो अभी तू जेल में होता।

राघव - जेल में होता तो ही अच्छा था यहां दर दर की ठोकरें तो नही खाना पड़ता।

प्रवीण - तुझे ठोकर खाने को बोल कोन रहा है हम तो तेरे लिए पूरी थाली सजा कर लाए है।

राघव - थाली मतलब कहता क्या चाहते हो आप लोग?

प्रवीण - तेरे खिलाफ सारे सबूत को छुपाने वाले तुझे जेल जाने से बचाने वाले हम ही लोग है, और तेरी ये आजादी हमारी दी हुई है, पर तेरे घर छोड़ देने की उम्मीद नहीं की थी हमने।

राघव - आप लोगो ने मुझे क्यू बचाया क्या चाहते हो आप लोग मुझ से?

अनिल - तूने जो कांड किया है न वो कांड हम लोगो को पसंद तो नही आया पर तुझ में ताकत है हिम्मत है जो हमारे काम आयेगी,अब यहां से तेरी जिंदगी बदलने वाली है तूने जो खोया है वो इस सफर के बाद तुझे मिल जायेगा, बोल काम करेगा हमारे साथ।

राघव - तुम चाहते हो में तुम्हारे साथ मिलकर किडनैपिंग करूं?

प्रवीण - किडनैपिंग तो करना है और खेल खत्म भी करना है।

राघव - किडनैपिंग के साथ कत्ल भी, तुम दोनो का ही कत्ल न कर दूं में कही चुप कर अब तुम दोनो।

प्रवीण अपनी जेब से पर्स निकलता है और राघव को दिखा कर कहता है N.I.A से है हम दोनो और हम तुम्हे एक मिशन दे रहे हैं।

राघव - क्या मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या कह रहे है आप N.I.A?

अनिल - हां राघव  N.I.A

प्रवीण - हमें खबर मिली है की पश्चिम बंगाल के जमुरिया में कुछ आतंकवादी रसायनिक हथियार तैयार कर रहे है और कुछ बड़ा प्लान कर रहे है, हमे इस मिशन के लिए ऐसे आदमी की जरूरत थी जो अंडरकवर इस मिशन पूरा कर पाए और हमे तुम वो कांड करते दिखे और हमने तुम्हे अंडरकवर इस मिशन पर भेजने का निर्णय लिया। क्या तुम हमारे साथ काम करने ले लिए तैयार हो?

राघव - क्या कह रहे है आप लोग यहां कोई मजाक चल रहा है क्या, मेने जो कांड किया वो सिर्फ आत्मरक्षा थी और कुछ नही समझे।

प्रवीण - आत्मरक्षा? आत्मरक्षा के नाम पर तुमने 5 लोगो की हत्या कर दी, या हमसे मजाक कर रहे हो लगता है मजाक तुम्हारी तरफ से चल रहा है 5 लोगो की जान लेने वाला हत्यारा।  आत्मरक्षा 

राघव - मेने उन लोगो की नही मारा कृपया मुझे जाने दीजिए।

कहकर राघव भागने लगता है और अनिल और प्रवीण दोनो उसे पकड़ते है और समझते है।

अनिल - देख तूने जो भी किया वो बात खत्म कर और सोच की अगर तू आत्मरक्षा में 5 लोगो को मार सकता है तो देश के दुश्मनो को तू जब मारेगा तो उन लोगो का क्या होगा, तू एक फाइटर है जो सामने वाले को सिर्फ खत्म करना जनता है और उस दिन भी तूने नही तेरे अंदर छुपे इस फाइटर ने उन सभी को मारा। याद कर तूने इस तरह लड़ना किस से सीखा।

राघव - मेने कभी लड़ना नही सीखा।

अनिल - पता है जब बिना सीखे तू ये कर सकता है तो सिख कर क्या करेगा।

प्रवीण - ये ट्रेन कोलकाता जायेगी जमुरिया में एक फाइट क्लब है तुम्हे वहां जाना है और ट्रेनिंग लेना है धीरे धीरे तुझे सब बता दिया जायेगा आगे क्या करना है।

राघव - अरे ओ अंकल बकवास बंद करो समझे में कोलकाता जाऊ ट्रेनिंग लूं और तुम्हारे ऑर्डर फॉलो करूं, साला मेरेको नौकर समझा है क्या।

प्रवीण - नौकर नही फाइटर, तेरी खत्म हुई जिंदगी को वापस पाने के लिए तुझे ये करना ही होगा क्युकी तेरी जिंदगी का फैसला अब तेरे हाथ में है, सोच अगर तू फाइटिंग सिख गया तो क्या करेगा और फाइटिंग सीखते सीखते तू N.I.A के लिए काम भी करेगा, तेरे दोनो हाथो में लड्डू है बेटा ऐसा मौका जिंदगी दूसरी बार नही देगी और न ही ये मौका तेरे अलावा किसी को मिलता तू सोच की किस्मत ने तुझे ही एक मोका दिया है अपनी खोई जिंदगी वापस पाने का।


राघव को समझ नही आ रहा है की यह सब क्या हो रहा है, केसे हो रहा है, और क्यू हो रहा है और अगर हो ही रहा है तो मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है। अगर में फाइटर बन गया तो बॉक्सिंग में नाम कमा सकता हूं और ये मिशन अगर मेने पूरा कर दिया तो N.I.A में जॉब भी मिल सकती है, लाइफ तो सेट है मेरी। पर अभी मेरे पास पैसे कम है और इन लोगो से पैसे की बात केसे बोल सकता हूं।

अनिल - क्या सोच रहे हो राघव पैसे की चिंता तुम मत करो ये कार्ड रखो और जितना चाहे खर्चा करो सब हम देख लेंगे।

राघव की खुशी का ठिकाना ही नहीं था जिस बात को करने में वो संकोच कर रहा था वही बात सामने से अनिल ने कर दी। राघव ने जाने के लिए हां कर दिया।


पश्चिम बंगाल के जमुरिया में मुस्ताक ने 26 जनवरी 2020 की डेट मिशन को अंजाम देने के लिए चुनी 16 अक्टूबर 2019 की शाम को प्रवीण और अनिल ने राघव को मिशन के लिए तैयार किया।

आगे जारी

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने होम पेज पर मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां पढ़कर सभी भागों पर अपना लाइक और रिव्यू देकर आभारी करें 😊🙏

14 सितम्बर 2024

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने सर आगे पढ़ने की जिज्ञासा बनी है 👌👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

11 सितम्बर 2024

Tarun Sharma

Tarun Sharma

11 सितम्बर 2024

धन्यवाद मीनू जी कहानी बोहोत पहले से लिख रहा था में पर प्लेटफार्म के बारे में मुझे आज ही पता चला और मेने अपनी कहानी को रोज रात 8 बजे एक नाटक के तौर पर सभी के सामने प्रस्तुत करने की मनसा है मेरी

1
रचनाएँ
Who Am I
0.0
एक लड़का राघव जिसे अपनी जिंदगी का पता नही, मुस्ताक जो मिशन को अंजाम देने के लिए कुछ भी कर सकता है, 2 ऑफिसर्स जिनके लिए मुस्ताक को रोकना बोहोत जरूरी है, क्या मुस्ताक अपने मिशन में कामयाब हो पाएगा या राघव अपनी जिंदगी वापस पाने के लिए मुस्ताक को मार देगा और ये 2 ऑफिसर्स क्या राघव का इस्तेमाल तो नही कर रहे है? जानने के लिए पड़ते रहिए Who Am I लेखक तरुण शर्मा।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए