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रण विजय के बारे में

रणविजय शिक्षा से इंजीनियर, व्यवसाय से नौकरशाह और स्वभाव से लेखक हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फैजाबाद के एक गांव से और जवाहर नवोदय विद्यालय, फैजाबाद से कक्षा 6 से 12 तक प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने पंतनगर विश्वविद्यालय, उधम सिंह नगर से इलेक्ट्रिकल में बी.टेक पूरा किया। उन्होंने यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (आईएएस 2001) और इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा (आईईएस 1999) उत्तीर्ण की। वह 2000 से भारतीय रेलवे में काम कर रहे हैं। भारतीय रेलवे में, उन्होंने यातायात योजना और प्रबंधन, रेल संचालन, बुनियादी ढांचे के निर्माण, अनुसंधान जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं में योगदान दिया। अपनी क्रिएटिव भूख को लिख और स्केच कर शांत करते रहते हैं। इनका पहला कहानी-संग्रह 'दर्द माँजता है.. भारतीय रेलवे में अपनी नौकरी के कारण उन्हें व्यापक रूप से यात्रा की जाती है। वह अपने लेखन में, अवध की बोली, ग्रामीणों और शहरी अभिजात वर्ग के अनुभव, विशेष रूप से कॉर्पोरेट और सरकारी क्षेत्रों में लाता है।

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रण विजय की पुस्तकें

दर्द माँजता है

दर्द माँजता है

लिखना भी एकcatharsis है। विभिन्न लोग इसे विभिन्न तरह से हासिल करते हैं। मुझे लिखकर ही प्राप्त हुआ। ज़मीन को फोड़कर, सर उठकर बीज की तरह निकला हूँ और जाड़ा, गर्मी, बरसात, आंधी सहकर वृक्ष बना हूँ। गांव से शहर तक, नगर से महानगर तक, पैदल से साइकिल तक, फिर मो

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150/-

दर्द माँजता है

दर्द माँजता है

लिखना भी एकcatharsis है। विभिन्न लोग इसे विभिन्न तरह से हासिल करते हैं। मुझे लिखकर ही प्राप्त हुआ। ज़मीन को फोड़कर, सर उठकर बीज की तरह निकला हूँ और जाड़ा, गर्मी, बरसात, आंधी सहकर वृक्ष बना हूँ। गांव से शहर तक, नगर से महानगर तक, पैदल से साइकिल तक, फिर मो

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दिल है छोटा सा

दिल है छोटा सा

नितांत आरंभ में… आपको मिलेगी चित्रा। चुलबुली और चित्ताकर्षक। अपने छोटे-छोटे बालों को, माथे से झटकती हुई। ऐसे ही वो झटक लेगी शशांक का दिल। फिर कशमकश, दुनियादारी, संयोग-वियोग से होते हुए मोहब्बत सबकुछ लुटाकर भी अंत में ख़ाली हाथ रह जाती है। विनीता अपने

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दिल है छोटा सा

दिल है छोटा सा

नितांत आरंभ में… आपको मिलेगी चित्रा। चुलबुली और चित्ताकर्षक। अपने छोटे-छोटे बालों को, माथे से झटकती हुई। ऐसे ही वो झटक लेगी शशांक का दिल। फिर कशमकश, दुनियादारी, संयोग-वियोग से होते हुए मोहब्बत सबकुछ लुटाकर भी अंत में ख़ाली हाथ रह जाती है। विनीता अपने

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ड्रैगन्स गेम

ड्रैगन्स गेम

जब से इस धरा पर जीव हैं, इतिहास साक्षी है तभी से ‘जिसकी लाठी, उसकी भैंस’ सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली सिद्धांत के रूप में लागू है। बस ‘लाठी’ और ‘भैंस’ के स्वरूप बदलते रहे हैं। वर्तमान समय में विश्व में कीमती संसाधनों पर अधिकार करने की लड़ाई जारी है।

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ड्रैगन्स गेम

ड्रैगन्स गेम

जब से इस धरा पर जीव हैं, इतिहास साक्षी है तभी से ‘जिसकी लाठी, उसकी भैंस’ सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली सिद्धांत के रूप में लागू है। बस ‘लाठी’ और ‘भैंस’ के स्वरूप बदलते रहे हैं। वर्तमान समय में विश्व में कीमती संसाधनों पर अधिकार करने की लड़ाई जारी है।

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रण विजय के लेख

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