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यादों का पतझड़

6 सितम्बर 2021

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हसरतों की मार से तोड़ के पत्थरों को मैं ज़िंदा हूँ।
आरजुओं के पिंजरे को तोड़ आसमाँ में उड़ता परिंदा हूँ।

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही सुंदर रचना

6 सितम्बर 2021

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