6 सितम्बर 2021
9 फ़ॉलोअर्स
Kya likhun .....?D
Thanku sir
26 सितम्बर 2021
बहुत ही सुंदर रचना
<div><br></div><div><br></div><div>""""""""तुम्हारे बगैर""""""</div><div>By... Arjun Allahabadi</div
<div>हसरतों की मार से तोड़ के पत्थरों को मैं ज़िंदा हूँ।</div><div>आरजुओं के पिंजरे को तोड़ आसमाँ में उ
<div>तुम्हारी ख़िदमत में एक नज़्म गुनगुनाने का मन करता है।</div><div><br></div><div> खुदा का शुक्
<div>कभी मद्धिम सा कभी आवारा सा हो जाता हूँ।</div><div>कभी मासूम सा तो कभी पागल सा हो जाता हूँ।</div