shabd-logo

यादों का पतझड़

6 सितम्बर 2021

16 बार देखा गया 16
हसरतों की मार से तोड़ के पत्थरों को मैं ज़िंदा हूँ।
आरजुओं के पिंजरे को तोड़ आसमाँ में उड़ता परिंदा हूँ।

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही सुंदर रचना

6 सितम्बर 2021

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए