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लोफ़र

अर्जुन इलाहाबादी

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लोफर........ क्लास में एक तुम ही थी जिसकी  हर अदा मुझे बेहद खूबसूरत लगती थी ।  तुमसे बात करने के लिए कई बार सोचा परंतु हिम्मत न हुई। मैं ही क्या तुमपे तो बहुत लड़के मरते थे । लड़के तुम्हें यूनिवर्सिटी का हिटलर कहते थे। वो तो शुक्र है तुम्हारी सहेली का जिसने तुमसे मेरी बात कराई थी । तुमसे मिलने की खुशी तो थी ही लेकिन तुम्हारे सामने जुबां न खुल पायी। तुम्हें याद है जब तुमसे मेरी पहली बार व्हाट्सएप  पर बात हुई थी । उस दिन तुमने मुझे कहा था कि मैं लोफर हूँ। बहुत कड़वी बात कही थी तुमने उस दिन । हाँ यह सच था  कि मेरे दोस्तों में लड़कियां ज्यादा थीं लेकिन इसका मतलब यह तो नही कि मैं लोफर हूँ। उससे बुरा तो उस दिन हुआ जब मेरे प्रपोज़ करने पर तुमने मुझे फ्लेर्टी कह कर मेरा मजाक उड़ाया  था। सच कहूं उस दिन बहुत हर्ट हुआ था मैं लेकिन मुझे उस दिन आत्मज्ञान हुआ कि मैं तुमसे आगे जा कर दिखाऊंगा। तुमसे कुछ बेहतर करूँगा। मैंने यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री सेकंड ग्रेड में पास की पूरे 5 साल तुम्हारी आँखों के सामने रहा न तुमने कभी मुझसे बात की और न मैंने । तुम्हारा रोज रोज मुझे इग्नोर करना मुझे और भी मजबूत करता गया। उस दिन मैं कितना टूटा था जब यह सुना था कि तुम्हारे घर वाले उसी यूनिवर्सिटी के नव आगंतुक  प्रोफेसर से तुम्हारी सगाई पक्की कर दी है। मैं क्या करता ......जब प्यार एक तरफा होता है तो वहां निर्णय भी एक तरफा होता है। मैंने तुम्हारा शहर उसी रात छोड़ दिया हमेशा के लिए। दिल्ली आ गया अपने बिखरे हुए जज्बात को फिर से इकट्ठा किया और जुट गया सिविल सेवा की तैयारी में पहली बार मे कुछ समझ नही आया। दूसरी बार मे मेंस लिखा लेकिन सफल  नही हुआ। तीसरी बार मे 5 वी रैंक आयी। मनचाही पोस्ट मिली मुझे। मेरी पहली पोस्टिंग चंडीगढ़ शहर में  मिली ।  मैं बहुत खुश था । लेकिन यह खुशी चंद घंटो की ही रही । मैं उस दिन शॉक्ड हो गया जब तुम मेरी जूनियर बन कर मेरी ही ऑफिस में आईं। सालों बाद तुम्हें सामने तुम्हें देख कर दिल धक से कर क्या धड़कने काबू में नही आ रहीं थीं। दिल कह रहा था जा कर तुमसे लिपट जाऊं। लेकिन डर लग रहा था कि कहीं तुम फिर से मुझे फ्लेर्टी कह कर दुत्कार न दो। पुरानी बात याद आते हीं मन मे क्रोध भर गया। मन में आया कि तुमसे जा कर कह दूं  कि ...देख लो आज तुम कहाँ हो ...जिसके प्यार को तुमने एक दिन फ्लर्टी 

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