अक्सर हमारे रुख और गति में आंतरिक तीव्रता होती है।हम आंतरिक भराव के एहसास के साथ किसी कार्य को अंजाम देने में बेहतरी का अनुभव करते हैं।यहीं कारण है कि व्यर्थता हमारी दृष्टि का स्वाभाविक हिस्सा हो जाता है और 'सरलता' एक आदर्श हिस्सा।'सरलता' का जो प्रचलित अर्थ है,उसका रुख भी अंधकारमय वातावरण और अहंकारपूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण की ओर है। प्रस्तुत किताब ऐसी ही कहानियों का संग्रह है जो मानव-जीवन के गतिशील तत्व और उसके रुख को करीब से देखने का प्रयास करता है।ये स्थिर और सरल दृष्टि की उपज कही जा सकती है।
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