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कैंप फायर

11 अगस्त 2024

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 नरेश जीत चेतन और सूचित यह चारों बहुत अच्छे दोस्त द चारों दोस्त नदी किनारे कैंप लगाकर वहां के शुद्ध वातावरण में कुछ दिन रहने आए द एक रात चारों जंग कैंप फायर जलाकर उसके इर्द गिर्द बैठे हुए द बगल में ही टेंट लगा हुआ था चारों बहुत खुश द चल भाई चेतन अपना गाना शुरू कर और सारा माहौल रंगीन कर दे अभी शुरू कर देता हूं अरे रुको चेतन आज गाना बजाना नहीं कुछ और करते हैं जैसे की क्या रात का समय है और यहां आसपास हमारे शिवना तो घटती ही है जिससे हमें दर लगा हो या फिर एक ऐसा डरावना हादसा जिसे हमने आज तक किसी को बताया नहीं बात मैं तो तेरे दम है तो तेरा आज रात का माहौल रंगीन नहीं डरावना करते हैं  वही शुरू करेगा चलो भाई ठीक है तो मैं ही शुरू कर देता हूं नरेश एक कहानी सुनने लगा बाकी सब ध्यान से उसे सुनने लगे दोस्तों आज मैं जो हादसा तुम्हें बताने जा रहा हूं वह मैंने आज तक किसी को नहीं बताया यहां तक की मेरे घर वालों को भी नहीं और तुम तीनों भी इस हाथ से के बारे में किसी को कुछ नहीं बताओगे वादा करते हो वादा करते हैं तो सुनो यह एक साल पहले की बात है मैं जमीन के कम से अपने गांव गया था पापा के गुजर जाने के बाद मुझे ही यह सब देखना पड़ता था गांव में हमारा बहुत बड़ा आलीशान घर है मैं वही रहा था वो ये की हमारा घर और बाकी बचे गांव के बीच एक नदी थी अगर किसी भी गांव वाले को हमारे घर आना होता तो उसे उसे नदी को पार करके ही आना पड़ता और वही बात हमारे लिए भी थी क्योंकि और दूसरा कोई रास्ता ही नहीं था नदी पर कोई फूल नहीं था इसलिए गांव वाले भी ज्यादा हमारे घर की ओर आते नहीं द हफ्ते में कोई एक आदमी ही आता था वह भी जब पापा देता पापा के जाने के बाद तो जैसे हमारा घर गांव का हिस्सा ही नहीं रहा महीना तक हमारे घर के आसपास भी कोई भट्ट नहीं था बस वहां पापा का एक वफादार नौकर था दादू जो घर की देखभाल करने के लिए रहता था मैं भी बहुत सालों के बाद गांव गया था घर की हालत ठीक  करता था मैं पापा के कमरे में लूंगा वहां से वह नदी और वह साफ नजर आते द दादू बहुत ही चुप चुप रहता था पहले मुझे लगा की उसे पापा के जाने का दुख होगा और बाद में पता चला की अभाव ही शांत था एक रात मैं अपने कमरे में बैठकर किताब पढ़ रहा था जमीन का कम जल्दी नहीं हो रहा था इसलिए मुझे बहुत दिनों तक बाहर रुकना पड़ा था मैं जब पढ़ रहा था तभी वहां दादू आया और शेर चुका है खड़ा रहा मैंने उससे पूछा क्या हुआ तुम्हें कुछ चाहिए दादू ने बिना सर उठा बड़ी ही शांति से कहा मैं सोने जा रहा हूं आपको कुछ चाहिए तो नहीं नहीं मुझे कुछ नहीं चाहिए तुम सो जाओ मैंने उसे ऐसा का दिया मेरा इतना कहते ही वह बिना कुछ कहे सर झुकाए वहां से चला गया कभी-कभी पता नहीं क्यों मुझे उसके इस स्वभाव से बड़ी ही चीड़ आती थी एक अपमान सा लगता था पर मैंने उसकी तरफ ध्यान ना देकर फिर से किताब पढ़ना शुरू कर दिया अचानक मेरी नजर खिड़की के बाहर नदी के पास गई और जो मैंने देखा उसे देखकर मुझे बहुत ही अजीब लगा  भूत नहीं वहां नदी में कोई आदमी नव में बैठकर हमारी तरफ ए रहा था तो इसमें अजीब क्या है वही तुमसे मिलने आया होगा सिंपल नहीं मैं उसी आदमी को देखता रहा पर रात के अंधेरे में उसका चेहरा ठीक से कहीं नजर नहीं है थोड़ी देर में वो नदी के इस किनारे ए पहुंचा मैं दरवाजे के खटखटाना का इंतजार कर रहा बहुत देर हो गई पर किसी ने भी दरवाजा नहीं khatkaya मैंने सोचा की ये शायद मेरा वहां है और मैं किताब बन करके सो गया था क्योंकि अगली रात को भी मैंने उसी आदमी को नदी में नाम के साथ पता चला की वो वही आदमी है जो कल तुम्हें देखा था उसके कपड़ों से उसने ऊपर बनियान और नीचे एक पंत पहने हुई थी मैंने झाड़ से उसे पहचान लिया भाई नरेश फिर आगे क्या हुआ उसका चेहरा देखा तुमने नहीं यार अंधेरे की वजह पर उसे रात को वो नव नदी के बीच रुकी हुई थी और वो आदमी नव में शांत खड़ा था पाल भर के लिए मुझे ऐसा लगा की की वो मेरी ही तरफ देख रहा है मैं तुरंत अपने कमरे से भाग और दरवाजा खोलकर नदी की तरफ जाने लगा मैं जब दरवाजे से बाहर जा रहा था तब दादू वही खड़ा था और उसने मेरे अचानक भागने के बारे में कुछ भी नहीं पूछा भागते-भागते में नदी के किनारे पर ए पहुंचा और और मैंने नदी में देखा तो मुझे मेरी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ क्यों क्या हुआ कौन था वो आदमी वहां नदी में कोई इस किनारे से बंधी हुई शांत खड़ी थी पानी की सतह भी बिल्कुल शांत थी मैंने सोचा ये कैसे हो सकता है कोई भी इंसान इतने कम समय में नदी के बीच से नव में बाहर नहीं ए सकता क्योंकि नदी का आकर काफी मोटा था और अगर ए भी जाए तो वैसे गायब नहीं हो सकता मैं मैं परेशान होकर घर में ए गया था घर के अंदर आते ही देखा की दादू अब भी वही खड़ा था जैसे ही मैं आया उसने अपना सर झुकाया मैं गुस्सा से उसकी तरफ गया और कहा देखो यह मुझे देखकर बार-बार सर झुकने की जरूरत नहीं है तुम उम्र में बड़े हो समझे तो दादू ने अपने शांत स्वर में कहा ठीक है मलिक और वहां से जाने लगा मैंने उसे रोका और उसे आदमी के बारे में पूछना शुरू कर दिया दादू रुको मुझे बताओ क्या कल रात को कोई मुझसे मिलने आया था मेरे सो जाने के बाद ही मलिक पुरी रात भर कोई नहीं आया दादू ने जवाब दिया और अभी जब मैं बाहर भाग कर गया था तब यहां कोई आया था  की नहीं मुझे जवाब दो नहीं मलिक आपके जाने के बाद से मैं यही खड़ा हूं कोई आदमी नहीं आया दादू का वो जवाब सुनकर मुझे और गुस्सा आने लगा और मैंने गुस्से में उसे डांटना शुरू कर दिया ऐसे कैसे हो सकता है मैंने कल भी उसे आदमी को देखा और आज भी वो आदमी नदी से गायब हो गया है ठीक नहीं देखा मलिक तो तुम कहना चाहते हो की मैं पागल हूं सब समझता हूं मैं सब समझता हूं मुझे पागल बना कर यह घर हथियाना चाहते हो मैं ऐसा होने नहीं दूंगा समझ लो मैं उसे पर बहुत चिल्लाया और कमरे में जाकर सो गया अगली सुबह मैं जल्दी ही गांव में जमीन के कम से निकल गया था दिन भर छू में धक्के खाने के बाद शाम तक मेरा कम पूरा हो गया मुझे घर आते आते रात हो गई दादू ने खाना तैयार कर रखा था और वो खुद घर के पीछे लड़कियों तोड़ रहा था उसे दिन में बहुत थक गया था इसलिए खाना  खाने के बाद मेरे पापा ने अपने लिए लाई हुई शराब मैंने निकल और उसे पीना शुरू कर दिया  उसे रात को भाग गर्मी हो रही थी और ऊपर से दादू बहुत जोर से लड़कियों तोड़ रहा था उसकी आवाज़ मेरी कामों को तकलीफ दे रही थी गर्मी की वजह से मैंने शर्ट उतारे और एक बोतल शराब खत्म कर दी तोड़ने की आवाज़ अब भी ए रही थी मैं गुस्से में नीचे जाने के लिए उठा पर अचानक मेरी नजर खिड़की के बाहर नदी पर पड़ी नदी में वही आदमी था इस बार मैंने देखा की वो नव में नदी के बीच में रुका हुआ था और अचानक उसने नव में से एक बाग निकाला और नदी में फेंक दिया  सबसे डरावनी बात ये थी की पानी की जरा सी भी आवाज़ नहीं है इस बार भी मैं दौड़कर नीचे जाने लगा पर शराब मुझमें पर बहुत हावी थी मैं नशे में था मैं दौड़ता हुआ दादू के पास गया जैसे ही मैं वहां पहुंचा अचानक किसी परछाई ने मुझे धोखा दिया और भाग कर दरवाजा की तरफ जाने लगी उसके पीछे अचानक वो आदमी कोराडी लेकर दौड़ता नजर आए मुझे देखकर दादू भी उसे आदमी को देखने लगा परछाई वाला आदमी दरवाजे की चौखट से टकराया और नीचे गिर गया उसे आदमी ने उसे परछाई के सर पर जोर से पार किया और सामने वाली दीवार पर खून की एक रेखा सी उड़ी दादू और मैं उसे दिन खून को देखते ही रह  गए पर अचानक वह दोनों वहां से गायब हो गए मैं गुस्से और नशे में दादू की ओर बढ़ा और कहा देखा मैंने कहा था ना कोई आदमी है जो मुझे दिखा था अब तो यकीन हुआ ना देखो हमारे सामने एक आदमी ने किसी का खून कर दिया है वो दादू सिर्फ दारी हुई निगाहों से मेरी तरफ देख रहा था मैं अपना आप खो चुका था मैं दादू पर टूट पड़ा मैंने पास में पड़ी हुई पुरानी उठाई और उसे मरने के लिए भागते भागते वो दरवाजे के बाहर जाने लगा और चौखट से टकराकर नीचे गिर गया मैं भगत हुआ गया और गुस्से से जोर से उसके सर पर पार किया खून दीवार पर दादू मरते ही मैं थोड़ा होश में आया और दादू की लाश को देखकर बहुत दर गया मैंने इसकी लाश को छुपाने का तय किया मैं ऊपर गया और कुछ ढूंढने लगा इतने में मुझे मेरा बाग दिखा मैंने अंदर के सारे कपड़े निकले और खाली बाग लेकर नीचे आया धातु की लाश को बाग के अंदर भरकर नदी की तरफ घसीट नहीं लगा मेरा नशा बुरी तरह से उतर चुका था मैंने बाग को नव में रखा और नव को नदी के बीचों बीच में गया मैं शांति से खड़ा रहकर पानी की तरफ देखता रहा तभी तभी अचानक मुझे याद आया की यह नजर मैंने पहले भी देखा हुआ है  मेरा ध्यान मैंने पहने हुए बनियान और पंत पर और फिर हिम्मत करके मैंने घर की तरफ देखा तो तुम्हें बहुत दर गया मैंने देखा की कोई मेरे कमरे की खिड़की से देख रहा है  और मुझे कुछ समझ में ही नहीं आया मैंने जल्दी से उसे बाग को उठाया और नदी में फेंक दिया लाश को फेंकने के बाद में जल्दी से किनारे पड़ा है  इसीलिए रात बाहर गुजरने के बाद मैं सुबह वापस ए गया जीत चेतन और सुजीत दारी हुई निगाहों से नरेश की तरफ देख रहे द थोड़ी देर बाद जितने का  शायद हां पर तुम ये कहानी मर्द किसी को नहीं बताओगे नरेश की वह दिल दहला देने वाली कहानी सुनकर अब भी सब लोग सदमे में थे कोई कुछ नहीं बोल रहा था बस एक दूसरे की तरफ देख रहा था मतलब नरेश तेरे हाथों से खून हुआ और यह बात अब तक किसी को नहीं पता चली कुछ दिनों बाद उसकी लाश नदी में तैरती हुई दूसरे गांव तक पहुंचे थे पर लाश सड़ जाने की वजह से सारे सबूत मिट गए और मैं बच गया और तब से मैंने आज तक यह राज सबसे छिपा के रखा था पर यह बात मन ही मन मुझे खाई जा रही थी इसलिए इस खेल के बहाने मैं मैं तुम्हें यह सब बताना चाहता  भी ऐसी एक घटना हुई थी जिसे मैंने अब तक किसी को नहीं बताया ठीक है तो तू शुरू कर जीत कहानी सुनाने लग सब लोग चुपचाप बिना हिले डुले जीत की तरफ आंखें और कान करके बैठ गए नरेश की कहानी ने सारा माहौल भयभीत कर दिया था दोस्तों यह तब की बात है जब मैं अपनी कॉलेज की छुट्टियों में अपने एक दोस्त के गांव गया था करीब 8 साल पहले कॉलेज में फाइनल एग्जाम खत्म हो गए थे उस वक्त मेरा तोमर नाम का एक दोस्त था हम जब कॉलेज में घर जा जा रहे थे तब वो दौड़ता हुआ मेरे पास आया और कहा जीत छुट्टियों का क्या प्लान है कुछ नहीं घर पर ही आराम करूंगा तो भाई चल ना मेरे साथ अरे इस बार हम पूरे परिवार के साथ गांव जाने वाले हैं बहुत मजा आएगा मैंने बिना कुछ सोचे समझे झट से हा कर दी क्योंकि मैं भी पूरी छुट्टिया घर में बैठकर नहीं बिताना चाहता था जीत को बीच में काटकर चेतन ने मजाक में थोड़ा हसते कहा बहुत सही किया तूने बड़े मजे किए होंगे वहां पर जीत कुछ देर के लिए चेतन की तरफ घूरता रहा चेतन जीत की नजरों से ही डर गया और उसे अपनी गलती समझ में आ गई चेतन चुपचाप बैठ गया जीत ने एक डरावनी हंसी चेहरे पर  लाई और कहने लगा दोस्त मैंने भी यही सोचा था पर ऐसा कुछ नहीं हुआ अगर हमने मजे किए होते तो मैं आज इस वक्त यह कहानी नहीं सुनाता चेतन रुक यह कोई मजाक का समय नहीं है जीत माफ करते उसे तू आगे बता हम दूसरे दिन उसके पापा के गाड़ी में उसके गांव में पहुंचे तोमर का घर काफी बड़ा था और अब इस बड़े से घर में हम सिर्फ चार लोग अगले 10 दिनों तक रहने वाले थे मैं तोमर और उसके मां-बाप हम घर से अंदर चले गए घर काफी पुराना और पत्थरों से बनाया हुआ था जो किसी किले की याद दिलाता था दोस्तों मुझे अब भी याद है घर में चारों तरफ थोड़ी रैत फैली हुई थी क्योंकि  वह घर समंदर के नजदीक था वहां आसपास बहुत से घर थे और उन घरों में भी रेत उड़कर आया करती थी घर में चार कमरे थे एक नीचे और तीन ऊपर तोमर और मैं ऊपर वाले कमरे में आ गए और उसके मां-बाप नीचे वाले कमरे में रह रहे थे हम शाम के समय वहां पहुंचे इसलिए तोमर की मां ने हमें समंदर के पानी में जाने से मना कर दिया रात को जब हम खाना खा रहे थे तब तोमर के पापा ने कहा कल सुबह हम किला देखने जाएंगे वह किला बहुत पुराना और बड़ा है मुझे किला देखने में बिल्कुल इंटरेस्ट नहीं था मुझे तो समंदर के पानी में खेलना था खाना खाने के बाद मैंने तोमर को बताया कि मुझे कल नहीं आना तोमर भी मेरे इस फैसले को मान गया और उसने अपने मां-बाप को भी इस बात के लिए मना लिया अगली सुबह तोमर और उसके माता-पिता किला देखने के लिए चले गए और मैं भी समंदर किनारे पानी में खेलने लगा अरे अकेले खेलने में क्या मजा है अरे इससे अच्छा तो तू उनके साथ चला जाता हां मैं आज भी अपने उस फैसले से रिग्रेट करता हूं क्यों ऐसा क्या हुआ था तेरे साथ बताता हूं मेरा वह पानी में दिल नहीं लगा और मैं दोपहर को घर आकर अपने कमरे में सो गया जब मेरी आंख खुली तब अंधेरा हो चुका था और घर की लाइट भी चली गई थी मैंने खिड़की से बाहर झाग कर देखा तो सारे गांव की लाइट चली गई थी मैं थोड़ा डर गया क्योंकि इस अनजान गांव में मैं अकेला ही इस बड़े और अंधेरे घर में था मैंने बड़ी हिम्मत जुटा के नीचे जाकर कोई टॉर्च या मोमबत्ती ढूंढने का फैसला किया मैं धीरे से सीढ़ियों के नजदीक आया और मैंने देखा कि नीचे काला अंधेरा छाया हुआ था उजाले में मैं बहुत बार उन सीढ़ियों से गया था पर उस वक्त वो सीढ़िया बहुत डरावनी और अनजान लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं पहली बार उन सीढ़ियों से उतर रहा हूं मैं धीरे-धीरे उन सीढ़ियों से उतरने लगा वह सीढ़िया इतनी छोटी थी कि एक बार में सिर्फ एक ही आदमी वहां जा सकता था और दिन में भी वहां रोशनी नहीं होती थी मैं नीचे उतरते हुए सीढ़ियों के बीच तक जा पहुंचा तभी अन  मैं बहुत डर गया मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मुझे दिखा कि कोई बहुत तेजी से मेरी तरफ दौड़ कर आ रहा है मैं डर के मारे चिल्लाते हुए भागने लगा पर बीच में ही मेरा पैर फिसला और मैं सीयों के नीचे गिरने लगा आखिर में मेरा सिर नीचे एक टेबल से टकराया गिरने की वजह से मुझे पूरे शरीर में बहुत चोट लगी तुम बेहोश तो नहीं हुए और वो पीछे कौन था नहीं मैं बेहोश होने ही वाला था पर मैंने खुद को बेहोश होने नहीं दिया उठकर मैंने सीढ़ियों की तरफ देखा तो वहां कोई नहीं था पूरे घर में सिर्फ घड़ी की टिक टिक टिक सुनाई दे रही थी मैं गिरता पड़ता घर के दरवाजे की तरफ आया मैंने दरवाजा खोलने की बहुत कोशिश की पर वह रेत की वजह से फस चुका था घर के बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं था फिर मैंने दरवाजे को धक्का देना बंद किया और अलवार में कोई टॉर्च ढूंढने लगा कुछ ही देर में मेरे हाथ एक टॉर्च लगी मैं उसे ऑन करने ही वाला था तभी  अचानक उस झटके से मेरे हाथ से टॉर्च नीचे गिर गई मेरे बहुत कोशिश करने के बाद मैं उस कपड़े से बाहर निकल पाया उसके बाद मुझे पक्का यकीन हो गया कि उस घर में मेरे अलावा कोई और भी है मैंने आवाज लगाना शुरू  किया कौन है पीछे से वार क्यों करते हो हिम्मत है तो सामने आओ बाहर आओ कहीं से कोई आवाज नहीं आई और वह शख्स बाहर आने को तैयार नहीं था अचानक टॉर्च की याद आई मैंने झट से जमीन पर रेंगते हुए टॉर्च को ढूंढना शुरू किया मेरा नसीब अच्छा था कि मुझे टॉर्च जल्दी मिल गई मैंने वही जमीन पर लेटे लेटे उसे ऑन किया और जो मैंने देखा उससे मेरी आंखें सफेद पड़ गई क्या क्या था वहां हां को कोई जानवर बता ना ए अरे बताना जल्दी उस टॉर्च की रोशनी में एक टेबल के नीचे मुझे दो नंगे पैर दिखे और उन पैरों के नाखून बहुत बड़े और गंदे  थे और उन पर बहुत सारे बाल भी थे उनको देखकर वह पैर किसी औरत के थे या किसी मर्द के यह मालूम करना मुश्किल था मैंने डर कर जल्दी से टॉर्च को ऊपर घुमाया पर वहा कोई नहीं था मैंने फिर से रोशनी नीचे घुमाई तो वहा सिर्फ पैर ही थे वो पैर धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ रहे थे मैं भी डर के मारे पीछे जा रहा था और फिर धीरे-धीरे वह पैर टेबल के नीचे से बाहर आ गए पैर बाहर आते ही मैंने देखा तो घुटने की ऊपर शरीर गायब था और सिर्फ पैर चल रहा रहा था वो पैर बहुत बदसूरत और खूनखार लग रहे थे फिर अचानक एकाएक वो पैर मेरे सामने आकर रुक गए और पूरे घर में एक औरत की आवाज घूमने लगी तुम मुझे देखना चाहते थे ना तो ये लो मैं तुम्हारे सामने आ गई देखो मुझे देखो ना और और इस बार मैं पीछे से नहीं सामने से वार करूंगी तुम भूत हो गया तुम मुझे क्यों मारना चाहती हो मैं मैंने कुछ नहीं किया मुझे यहां से जाने दो तुम कल आप मेरे कमरे में सोए थे मेरे कमरे में आने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी आगे से अगर तुम मेरे कमरे में सोए तो तो याद रखना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा वो पैर फिर से मेरी तरफ बढ़ने लगे मैं और भी डर गया मैंने आंखें बंद करके हाथ से ही टॉर्च को जोर से फेंका थोड़ी देर बाद मैंने आंखें खोली तो मैंने देखा कि वो टॉर्च हवा में लटक रही थी जैसे उसे किसी ने अपने हाथ में पकड़ा हो अचानक वह टॉर्च जोर से मेरी तरफ आई और मेरे सिर पर वही जाकर लगी जहां गिरने की वजह से मुझे चोट लगी थी मेरे सिर से बहुत खून बहने लगा और इस बार मैं बेहोश होकर वही नीचे गिर गया एक घंटे बाद मेरी आंख खुली तब मैं अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा हुआ था और घर की लाइट भी थी मैंने अपने पूरे शरीर पर देखा सिर पर  हाथ लगाया पर चोट का कहीं नामो निशान नहीं था अरे मतलब तूने सपना देखा चेतन शुरू में मुझे भी ऐसा ही लगा था पर वो गलत साबित हुआ मैं भागते हुए नीचे आया और लाइट ऑन की सब चीजें अपनी ही जगह पर थी पर अचानक मेरा ध्यान जमीन की तरफ गया और मैं डर के मारे कांपने लगा क्या क्या था रे वहां पर वह  पैर वहां वह टॉर्च पड़ी हुई थी मैंने उसे उठाकर देखा तो उसके एक कोने पर खून का दाग और उस पर दो तीन बाल फसे हुए थे मैं तुरंत समझ गया कि यह मेरा ही खून है मैं उस टॉर्च को देख ही रहा था तभी अचानक तोमर और उसके माता-पिता अंदर आए अरे तुम अभी भी जाग रहे हो सॉरी यार हमें आने में बहुत देर हो गई बस नहीं मिल रही थी मैंने चुपके से उस पर लगा खून साफ किया और वह टॉर्च अपनी जगह रख दी खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में जाने लगा पर उसी वक्त मुझे उस आवाज की बात ध्यान में आने लगी और पल भर में वह कमरा मुझे डरावना लगने लगा मैंने उस कमरे से अपना सारा सामान उठाया और तोमर के कमरे में जाकर सो गया दोस्तों मैं सच कह रहा हूं उस वक्त में बेहद डर गया था मैं अब एक और दिन वह रुकना नहीं चाहता था अगले ही दिन घर का बहाना करके मैं उस घर से और उस गांव से निकल गया और आज तक कभी भी उस गांव में कदम नहीं रखा क्या यह बात तुमने कभी तोमर को  बताई नहीं दोस्त उसे इस बात का कभी पता नहीं चलने दिया मैंने क्योंकि उस घर में जो कोई भी था उसे मुझसे तकलीफ थी आज भी तोमर और उसका परिवार उस घर में जाकर आराम से रहते हैं पर शायद किसी मेहमान का उस घर में आना उस औरत को मंजूर ना हो आज भी मेरा मन मुझसे एक सवाल पूछता है कि वह औरत कौन है उसका उस घर से क्या नाता है उसका तोमर और उसके परिवार से क्या नाता है क्या वह कुछ पता  नहीं , यह औरत का चक्कर है सुचित भैया औरत का चक्कर चुप साला तुम लोग को यह मजाक लग रहा है क्या शायद यह तुम्हारे साथ होता ना तब तुम्हें समझ में आता अरे चिल चिल मेरे भाई हम तो बस मजाक कर रहे थे वैसे तुम्हारी यह कहानी सुनकर मुझे मेरी कहानी याद आ गई अच्छा आज से पा साल पहले मेरे एक दोस्त के साथ जो हुआ वह सुनकर मुझे इन बातों पर थोड़ा विश्वास होने लगा है उसका नाम था रमेश शहर से कोसो दूर एक गांव था जो नैसर्गिक रूप से बहुत ही सुंदर था सूरज के उजालों में जितना सुंदर दिखाई देता था रात की रोशनी में उससे भी ज्यादा आकर्षक दिखाई पड़ता था इस गांव में शहर के लोग छुट्टियां मनाने आया करते थे एक दिन रमेश नाम का एक लड़का गांव में छुट्टियां मनाने के लिए आया वह जिस घर में रुका हुआ था उस घर के पीछे पुराना मंदिर था जहां कोई नहीं जाता था एक रात खाना खाने के बाद रमेश ने उस मंदिर के पास टहलने जाने का विचार किया और वह मंदिर की ओर निकल पड़ा रमेश ने जैसा मंदिर के बारे में सुना था वैसा वह बिल्कुल डरावना नहीं था बस पुराना हो जाने के कारण कुछ जगहो से टूट चुका था रमेश मंदिर की ऊंची सीढ़िया चढ़ने लगा मंदिर की आखिरी सीढ़ी पर पहुंचते ही उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी लेटा हुआ है रात की वजह से मंदिर में बहुत अंधेरा था रमेश मंदिर के अंदर जाना ठीक नहीं समझा और वह वही सीढ़ियों पर बैठ गया रमेश की आवाज सुनकर वह बूढ़ा आदमी धीरे-धीरे उठने लगा और लड़खड़ाते हुए बैठ गया वह बूढ़ा आदमी इतना कमजोर था कि ठीक से आंखें भी नहीं खोल पा रहा था वह बूढ़ा आदमी ऐसे दिखाई पड़ता था कि मानव शरीर पर मांस पेशियां ना होकर सिर्फ हड्डियों का ढ हो भूख की वजह से उसकी यह हालत हुई थी उसने रमेश के सामने हाथ फैलाकर कुछ खाने के लिए मांगा पर रमेश के पास खाने के लिए कुछ नहीं था वह बूढ़ा निराश होकर पास के खंभे पर सर रखकर आंखें बंद करकर बैठ गया रमेश को उस जगह कुछ बेचैनी महसूस हुई और वह जाने के लिए उठा जैसे ही रमेश जाने के लिए उठा उतने में बूढ़े के मुंह से आवाज  निकली कहानी सुनोगे रमेश उस बूढ़े की हालत देखकर उसे मना नहीं कर पाया और फिर से सीढ़ियों पर बैठ गया रमेश को फिर से बैठा देख बूढ़े ने कहानी शुरू की व रमेश की ओर झुका और बोलने लगा इस गांव के बगल में एक गांव है एक दिन उस गांव में मधु और रघु नाम के लड़के शहर में आए थे दोनों ही रंगीले मिजाज के थे जहां भी जाए शराब और शबाब के बिना उन्हें नींद नहीं आती थी यहां भी ऐसा ही हुआ गांव में आते ही शराब के ठेले पर चले गए ठेले पर ज्यादा भीड़ नहीं थी वह दोनों जाकर एक टेबल पर बैठ गए और सबसे महंगी वाली शराब मंगवाई जैसे जैसे बोतल खाली हो रही थी वैसे वैसे शराब उनके दिमाग पर हावी हो रही थी मधु शराब ने तो अपना काम कर दिया अब अगर रात को इंतजाम हो जाए तो मजा आ  जाएगा रघ ने आखिरी बोतल खाली करते हुए कहा सही कहा रघु पर इस अनजान गांव में हमें लड़की देगा कौन मधु ने निराश होकर कहा अभी तक जो आदमी उन दोनों के पीछे बैठा था उनकी सारी बातें सुनकर उनके टेबल पर आकर बैठ गया बड़े बाल  बड़ी दाढ़ी थी उस आदमी की बहुत परेशान दिख रही मिया सलाम वालेकुम अपुन का नाम रावस है मैं करता ना तुम्हारा रात का इंतजाम रावस सिगरेट चलाते हुए कहने लगा लेकिन मिया उसकी कीमत देनी पड़ेगी रघु ने जोश में आकर कहा रावस मिया अरे बैस की चिंता आप मत करो बस माल कड़क होना चाहिए हां जितने चाहे पैसे ले लो बस जवानी चाहिए मधु ने सुर में सुर मिलाया उन दोनों का जोश देखकर रावस भी उत्साहित हुआ और कहने लगा करता ना साहब देखो साहब आपको उस लड़की का पता बता गा जिसे आज तक किसी ने छूने की हिम्मत नहीं की है गांव के किसी भी इंसान ने उसके घर जाने की हिम्मत नहीं की है इसलिए वह लड़की बिल्कुल कुवारी है चलेगा क्या अरे भाई जल्दी बताओ कहां रहती है वो अरे भाई जल्दी बता ना कहां रहती है वो रघु ने गुस्से में आकर कहा गांव के बाहर पश्चिम की तरफ एक बड़ा सा उसी घर में वह लड़की रहती है रावस ने आगे झुकते हुए कहा कि एक वक्त पर एक ही इंसान वहां जा सकता है आज रात वहां कौन जाएगा ये तुम आपस में तय कर लो और फिर मेरे को बताओ रावस को लगा अब दोनों में झगड़ा होगा पर ऐसा कुछ हुआ नहीं मधु ने बड़े ही शांत और नशीले स्वर में कहा रघु आज तुम जाओ कल मैं चला जाऊंगा ठीक है रघु यह बात सुनकर बेहद खुश हुआ और उस घर की ओर निकल पड़ा रघु ने जाते जाते उस लड़की को तोहफा देने के लिए सोने की अंगूठी खरीदी रघु को उस लड़की के घर आते आते अंधेरा हो चुका था और शराब का नशा अभी भी उसके दिमाग पर हावी था रघु उस लड़की के घर पहुच और घर को बाहर से देखने लगा घर बहुत ही पुराना और डरावना दिख रहा था पर शराब ने डर को रघु पर हावी नहीं होने दिया घर के बाहर चारों तरफ अंधेरा था पर घर के अंदर ऊपर वाले कमरे में रोशनी थी रघु ने जोर जोर से दरवाजा खटखटाया थोड़ी देर में एक बूढ़ी औरत ने दरवाजा खोला उस बूढ़ी औरत ने रघु को हाथ से इशारा  किया और ऊपर वाले कमरे में जाने के लिए कहा जैसे उस बुढ़िया को मालूम हो कि रघु यहां क्यों आया है रघु धीरे-धीरे ऊपर चला गया उस कमरे के सजावट को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई सुहाग रात हो रघु कमरे के अंदर चला गया और दरवाजा बंद करने के सामने रखे हुए पलंग पर बैठ गया थोड़ी देर बाद दरवाजा धीरे धीरे खुलने लगा और एक सुंदर सी लड़की अंदर आई उस लड़की की सुंदरता किसी अप्सरा से कम नहीं थी उस लड़की ने एक सुंदर सी साड़ी पहनी थी और उसके अनुरूप श्रृंगार किया हुआ था रघु को उस लड़की के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था वो लड़की धीरे धीरे रघु के पास आई और पलंग पर लेट गई रघु ने अपने सारे कपड़े उतारने के बाद धीरे-धीरे उसकी साड़ी उतारने लगा जैसे जैसे वह लड़की निर्वस्त्र हो रही थी वैसे वैसे ही कमरे में अंधेरा हो रहा था रघु ने उस लड़की के साथ पूरी रात संभो गया दूसरी सुबह जब उन दोनों की आंख खुली तो व पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी रघु बेहद खुश था लड़की ने शर्मा करर अपनी साड़ी उठाई और वहां से निकल गई रघु ने अपने कपड़े पहने और बाहर जाने के लिए दरवाजे की ओर जाने लगा उतने में ही वह बूढ़ी औरत रघु के सामने आई और पैसों के लिए उसने रघु के सामने हाथ फैलाए रघु ने खुश होकर जितने पैसे थे सब उसके हाथ पर रख दिए और वहां से चला गया उसी दिन शाम को रघु मधु और रावस शराब के ढेले पर मिले रघु ने सारी हकीकत बड़े ही चाव से उसे सुनाई वह डरावना घर व बूढ़ी औरत उस लड़की की सुंदरता इसका अद्भुत वर्णन किया अरे सुनो भाई मैंने उसे तोहफे में एक सोने की अंगूठी दी ताकि उसे याद रहे उसने किस रही जादे के साथ रात गुजारी थी मधु उसकी सारी बातें बड़ी शांति से सुन रहा था वह थोड़ा डरा हुआ था उसने डर भगाने के लिए ढेर सारी शराब पी और उस लड़की के घर की ओर निकल गया मधु ने जाते-जाते रघु से बेहतर और महंगा तोहफा खरीदने के लिए सोचा उसने सोने की चूड़ियां खरीदी और उस  लड़की के घर चला गया मधु के साथ भी वही हुआ जो रघु के साथ हुआ था उसने भी सुबह को लड़की के हाथ में चूड़ियां पहनाई मधु भी उस संभोग के स्वर्ग सुख से प्रभावित था उसी खुशी में वह जाने के निकला तभी वह बूढ़ी औरत हमेशा की तरह पैसे मांगने आई मधु ने अपने जेब से नोटों का बंडल निकाला और जैसे ही बूढ़ी औरत के हाथ में रखने गया वह बुरी तरह से डर गया उसका चेहरा पीला पड़ गया उसने देखा की अंगूठी और उसकी चुड़िया उस बूढ़ी औरत ने पहनी थी उस उसने पैसे वही फेंक दिए और जान बचाकर भाग गया दौड़ता दौड़ता रघु के पास आ पहुंचा और उसे सारी हकीकत बताई रघु की सासे अटक गए और वह खून की उल्टी गली में मर  गया देखिए यह सब आपके जमाने की 70 साल पुरानी बातें हैं अब इन सब बातों पर कौन विश्वास करेगा रमेश ने संभलते हुए कहा न जाने कहां से पर उस बूढ़े आदमी में ताकत आई और वह जोर से कहने लगा यह कोई 70 साल पुरानी बात नहीं है यह यह सिर्फ 10 दिन पुरानी बात है और मैं मैं वही मधु हूं बूढ़ा आदमी रोने लगा उस लड़की ने हमारा सारा यवन अपने अंदर खींच लिया उस दिन से मेरा सारा शरीर धीरे धीरे बूढ़ा होने लगा जैसे कोई शाप मिला हो वह हम जैसे के यवन के सहारे अपने आपको को जिंदा रखती है बूढ़ा जोर-जोर से रोता रहा रमेश इतना डर जाता है कि वह वहां से हिल भी नहीं  पाता ,  शायद तुमने भी किसी भयानक शक्ति का सामना किया होगा एक मिनट तुमने मतलब क्या तुमने भी ऐसे कटे हुए पैर देखे हैं नहीं मैंने तो नहीं देखे पर हां मुझे कहानी जरूर पता है जो मुझे मेरे दादा जीी ने सुनाई थी वह हमेशा से कहते थे इस दुनिया में बहुत से द्वीप है कुछ बहुत बड़े हैं और कुछ बहुत छोटे पर ऐसे बहुत से छोटे बड़े द्वीपों में कई ऐसे भी द्वीप है जिनके बारे में कुछ लोग नहीं जानते और जो जानते हैं वो इस बारे में बिल्कुल बात भी नहीं कर करते क्योंकि उन द्वीपों पर कुछ  ऐसी चीजें हैं जो किसी भी आम इंसान के रहने के लायक बिल्कुल नहीं है आज की कहानी ऐसे ही एक द्वीप की है दोस्तों यह कहानी सुनने के बाद तुम लोग खुद तय कर लेना कि आप वहां जाना चाहते हैं या नहीं मयंक अमर और संदेश तीनों छुट्टियों में एक बीच पर घूमने आए थे वो बीच बहुत ही भीड़भाड़ वाला था लोग वहां बहुत मजे कर रहे थे पूरे बीच पर खुशी का माहौल था यह तीनों भी बीच पर एक बॉल से खेल रहे थे अचानक खेलते खेलते अमर का ध्यान समंदर की ओर गया समंदर में दूर एक छोटा सा द्वीप दिखाई दे रहा था बाकी दोनों दोस्तों को वह द्वीप दिखाते हुए कहा मयंक संदेश अरे वो देखो वहां एक द्वीप है हां यार यहां से बहुत छोटा लग रहा है पर असल में काफी बड़ा होगा ना हां यार काश हम वहां जा पाते तभी अचानक उन तीनों के पीछे से एक खांसने की आवाज आई ऐसा सोचना भी मत तीनों ने डर कर पीछे मुड़कर देखा तो उनके सामने एक गाइड खड़ा था व गाइड कुछ अजीब सा लग रहा था क्योंकि बाकी गाइड के मुकाबले वो बिल्कुल ही बूढ़ा था और इस बूढ़े गाइड का इस बीच पर होना तीनों को कुछ रा नहीं आया मयंक ने आगे आकर पूछा माफ कीजिए लेकिन आप कौन उस बूढ़े गाइड ने अपनी आंखें छोटी करते हुए कहा कपड़ों से दिखाई नहीं देता क्या मैं कौन हूं यहां का सबसे पुराना  गाइड हूं मैं पर वह जरूरी बात नहीं है जरूरी बात यह है ऐसा बिल्कुल सोचना अभी मत अर को उसकी बात कुछ समझ नहीं आई उसने उस गाइड को फिर से पूछा माफ कीजिए लेकिन मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं वो गाइड उन तीनों के करीब आकर कहने लगा बच्चों मुझे ऐसा कहना है कि उस द्वीप का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो वरना तुम्हें बहुत तकलीफ होगी उस गाइड की बात सुनकर अमर जोर-जोर से हंसने लगा और उसने हंसते हसते कहा हम क्यों इस बूढ़े की बात सुन रहे हैं यह हमें डरा रहा है हम डर रहे हैं छोड़ो कुछ भी पका रहा है यार ये तो एक अच्छी सी बोट भाड़े पर लेकर उस द्वीप का चक्कर लगाकर आते हैं क्या कहते हो दोस्तों मयंक और संदेश को भी अमर की यह बात सही लगी और व भी हंसने लगे उतने में उस गाइड ने गुस्से से कहा अरे अगर कोई बूढ़ा इंसान तुम्हें कोई चीज करने से मना कर रहा है तो तुम्हें उसे नहीं करना चाहिए अमर ने भी झटके से पलट कर जवाब दिया अगर कोई बूढ़ा इंसान तुम्हें कोई चीज करने से मना कर रहा है तो मतलब वह बूढ़ा उस चीज को करने से डरता है समझे अब चुप करो इतना बोलकर वह तीनों वहां से चले गए और वह बूढ़ा अकेला ही बड़बड़ा रहा था मैं इस दुनिया का अकेला ऐसा इंसान हूं जो उस भयानक द्वीप से जिंदा वापस आ पाया हूं उसके बाद जो भी वहां गया वापस नहीं लौटा ये तीनों भी नहीं बचेंगे नहीं बचेंगे मयंक अमर और संदेश इन तीनों ने एक बोट भाड़े पर ली और कुछ घंटों में लौटने का वादा किया तीनों ही बोट लेकर द्वीप की ओर निकल पड़े वह द्वीप बहुत दूर था कुछ देर के बाद संदेश बोला यार हम जा तो रहे हैं लेकिन उस गाइड की बात अब भी मेरे दिमाग में घूम रही है कुछ होगा तो नहीं ना हो भी सकता है मयंक ने कहा यह बात सुनकर संदेश और भी डर गया और डर कर पूछा क्या क्या हो सकता है उतने में अमर ने जवाब दिया बहुत सारा सोना अमर और मयंक जोर-जोर से हंसने लगे संध इस डर की वजह से चुप हो गया पूरे  एक घंटे बाद उनकी बोट उस द्वीप पर पहुंची वो द्वीप असल में बहुत ही बड़ा था उस पर बहुत से छोटे-बड़े पर्वत थे और वह सब एक जंगल में घिरे हुए थे वह तीनों ही उस द्वीप पर उतरे उस द्वीप को देखकर तीनों बहुत खुश हुए उन्होंने पहले कभी ऐसा द्वीप देखा ही नहीं था पूरा दिन वो तीनों उस द्वीप के जंगलों में घूमते रहे उन्हें बहुत मजा आया शाम हो रही थी और बोट का समय भी खत्म होने को था इसलिए तीनों ने अब वापस बीच पर जाने का फैसला किया पर जाते-जाते उन्हें सिर्फ एक बात अजीब लगी इतने सुंदर द्वीप पर कोई इंसान क्यों नहीं था अमर ने कहा दोस्तों मुझे ऐसा लगता है कि लोगों को यहां आना तो है लेकिन उस बूढ़े खुस गाइड की बात सुनकर कोई यहां आता नहीं चलो एक बात तो है दोस्तों बीच से ज्यादा मजा तो हमें यहां आया अब वापस चले हां वो तीनों बोट में बैठकर उसे घुमाने लगे पर जैसे ही उन्होंने बोट को पानी में उतारा बोट में नीचे से पानी भरने लगा किसी को कुछ समझ में नहीं आया कि यह पानी अचानक से अंदर कैसे आने लगा तीनों भी पानी को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे पर पानी तेजी से भर रहा था देखते ही देखते बोट में पानी पूरी तरह से भर गया और बोट डूब गई तीनों वापस किनारे पर आ गए शाम हो गई थी सूरज भी किसी वक्त उस समंदर में डूब रहा था ऊपर चांद अपनी रोशनी फैलाने के लिए तैयार बैठा था यह तीनों बहुत घबरा गए सब एक दूसरे पर इल्जाम लगाने लगे पर आखिर तक उन्हें यह समझ में नहीं आया कि बोट में पानी कैसे भरा बोट में किसने छेद किए उन्होंने लड़ने में इतना वक्त गवाया कि उतरने में रात हो गई तीनों ने रात वही बिताने का निर्णय लिया सोने के लिए कोई गर्म जगह ढूंढने लगे क्योंकि उस द्वीप का माहौल बहुत ही ठंडा था वो एक पेड़ के नीचे जाकर सो गए और बड़े-बड़े पत्ते कंबल की तरह ओढ लिए जैसे तैसे करते तीनों को नींद आ गई वो शांति से सो रहे थे तभी अचानक वो चीख सुनकर मयंक और अमर जाग गए और  संदेश की तरफ देखा पर संदेश अपनी जगह पर नहीं था जब उनकी नजर थोड़ी ऊपर उठी तो उन्होंने देखा कि संदेश बहुत भयानक तरीके से हवा में लटक रहा था मानो वोह किसी भयानक शक्ति के चपेट में आ गया संदेश अरे अरे क्या हुआ तुम्हें संदेश अरे यह क्या हो रहा हैसे संदेश तभी अचानक संदेश का शरीर एकदम से चकड़ गया अचानक उसका दाया हाथ जोर से मुड़कर टूट गया और उसकी हड्डियों की आवाज साफसाफ सुनाई देने लगी उसके बाद उसके दूसरे हाथ और दोनों पैरों के साथ बिल्कुल ऐसा ही हुआ करते करते संदेश का सारा शरीर एक गेंद की तरह सिकुड़ कर एक पौधे में बदल  गया ओ माय गॉड यह सब क्या है हमें हमें यहां से भागना चाहिए मयंक चलो चलो जल्दी चलो मयंक और अमर अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागने लगे कुछ देर बाद वह दोनों ही जंगल में घुस गए और एक छोटे से पर्वत पर जाकर रुक गए वो दोनों ही हाफ रहे थे मयंक ने ते हुए कहा हमने हमने हमने संदेश को खो दिया हमें हमें उस बूढ़े की बात मान लेनी चाहिए थी अमर ने उसकी बात टालते हुए कहा अब चुप कर अब इन सब बातों का कोई फायदा नहीं है हमें इस द्वीप से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना होगा वरना वरना हम दोनों नहीं बचेंगे जैसे ही अमन ने यह कहा एक हवा का झोका मयन के  पीछे से आया और अमन को उठाकर मय के सामने हवा में लटका दिया उसकी हालत हूबहू वैसी ही थी जैसे कुछ समय पहले संदेश की थी और आखिरकार कुछ समय में अमन भी उस जंगल के एक हिस्से में बदल गया मयंक को यह सब देखकर बहुत पछतावा हो रहा था कि शायद वह कभी यहां ना आते उसने अब हार मान ली थी उसे भी पता था शायद अब उसका वहां से बचने का कोई रास्ता नहीं है इसीलिए वह रोते हुए अब अपने घुटनों पर बैठ गया और जोर जोर से रोने लगा आओ मार दो मुझे भी और मुझे भी ले लो मेरे दोस्तों को तो तुमने खत्म कर दिया आओ और मुझे भी ले जाओ मयंक पागलो की तरह चीखे जा रहा था पर उसे बचाने वाला और सुनने वाला वह कोई नहीं था और तभी वो हवा का झोका फिर से आया और उस पूरे द्वीप पर एक जोरदार चीख के साथ मयंक का किस्सा भी खत्म हुआ क्या ऐसा द्वीप सच में है क्या तुम अपनी मन गणन कहानी मुझे बता रहे हो सच बताओ यह तो बस मेरे दादा जीी को ही पता है क्योंकि उन्होंने यह कहानी मुझे मुझे बताई थी क्या तुम्हें नहीं लगता कि हमें तुम्हारे दादाजी से मिलकर असलियत जान लेनी चाहिए ऐसा सोचना भी मत ऐसा मेरे दादाजी कहते थे उन्होंने मुझे बताया कि जो नाव वह चार दोस्त लेकर गए थे वह नाव द्वीप के पास जाकर डूब तो जाती है पर सबकी जान लेने के  बाद दूसरी ओर वापस लौटकर अपने मालिक के पास आती है मैंने तो पहले ही कहा था ऐसा कुछ ना बीमार अगर  चेतन की कहानी ने सबको और डरा दिया क्या तुम्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि जो कुछ भी तुमने सुना वो एक झूठ हो सकता है मैंने इसके बारे में कभी सोचा नहीं पर तुम्हारी कहानी सुनकर मुझे दादाजी की सुनाई हुई वो कहानी याद आ गई और तुम्हें सुना दी अच्छा किया बता दिया हां अब काफी हद तक अच्छा लग रहा है गुड चलो चलते हैं वैसे भी बहुत रात हो गई है क्या तुम लोग एक और कहानी नहीं सुनना चाहोगे आखिरी कहानी अच्छा ठीक है शुरू करो चेतन ने कहानी सुनाना शुरू किया सब लोग चेतन की  बात ध्यान से सुनने लगे यह भी कुछ अजीब और भयानक है और अब मैं जो कहानी तुम्हें सुनाने वाला हूं उसमें जो घटना हुई है वह मेरे साथ नहीं घटी मेरी बड़ी बहन अल्का के साथ घटी थी मेरी मां ने मुझे यह हादसा कुछ ही साल पहले बताया और वह सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए यह घटना तब की है जब मैं पैदा भी नहीं हुआ था मेरी बहन अल्का लगभग 10 साल की थी हुआ यह था कि मेरी मां और अल्का हमारे नानी के गांव गए थे अल्का को स्कूल में गर्मियों की छुट्टियां थी इसलिए वह महीना भर वहां रहने वाले थे वहां उस नानी के घर में सिर्फ नाना और नानी यह दोनों ही रहते थे नाना खेती का काम देखते और नानी घर का घर काफी बड़ा था पर नानी घर को बहुत अच्छे से संभालती थी इसलिए घर हमेशा ही साफ दिखाई पड़ता देश को आजादी मिलने से पहले हमारे नाना अंग्रेजों के यहां एक सैनिक थे मैंने ऐसा सुना है कि उस इलाके का जो अंग्रेजी ऑफिसर था वह हमारे नाना को बहुत मानता था और उनकी इज्जत भी करता था इसका मतलब तुम्हारे नाना ने अंग्रेजों के साथ वर्ल्ड वॉर में भी लड़ाई लड़ी होगी हां बहुत लड़ाइयां लड़ी थी और उसके लिए हमारे नाना को प्रमोशन भी मिलता था पर देश को आजादी मिलने के बाद नाना ने नौकरी छो ड़ द और वह खेती करने लगे मां और अलका जब वहां गए थे तब नाना ने उन दोनों को एक सख्त ताकीद दी थी कि ऊपर के कोने में जो कमरा है उसके पास कोई नहीं जाएगा उसके अंदर क्या है क्यों है कोई नहीं पूछेगा उस कमरे के बारे में कभी कोई बात भी नहीं करेगा नाना के इतने समझाने के बाद भी अल्का नहीं मानी छोटी थी ना और वही बात ना मानने की आदत ने अलका की जिंदगी बर्बाद कर दी मतलब ऐसा क्या हुआ उसके साथ गांव में अलका की तीन चार सहेलियां थी जिनके साथ अल्का रोज खेला करती थी एक शाम अल्का और उसकी सारी सहेलियां हमारे घर में थी नाना नानी और मां खेत की तरफ गए थे घर में बड़ा कोई नहीं था इसलिए उन लड़कियों ने एक खेल खेलने की सोची यह गुड़िया का खेल खेलते खेलते मुझे नींद आ रही है कुछ और करते हैं ना क्या करें हम बाहर भी नहीं जा सकते रात होने वाली है ना अल्का घर में ही कुछ खेले तो लेकिन क्या खेलेंगे रात हो गई है तो चलो लु कच भी खेलते हैं बहुत मजा आएगा हां लेकिन घर में ही छिपे बाहर कोई नहीं जाएगा ठीक है चलो खेले तुम सबको ढूंढो गी चलेगा हां जाओ छिप जाओ पर याद रखना घर के बाहर कोई नहीं जाएगा सब लोग घर में यहां वहां छिपने के लिए चले गए घर बहुत बड़ा था और छिपने के लिए बहुत सी जगह थी पर अल्का की मती भ्रष्ट हो गई और वो उस कमरे के नजदीक जाकर छिप गई जहां नाना ने जाने के लिए मना किया था बाहर लगभग अंधेरा हो गया था सारी लड़कियां छिप गई घर में एक सन्नाटा छा गया अल्का ऊपर के कोने में जो कमरा था उसके नजदीक एक खंभे के पीछे छिप गई पर उसे आने वाली मुसीबत का अंदाजा बिल्कुल नहीं था कुछ देर तक अल्का वहीं छिपी रही अचानक उस कमरे से अल्का को कुछ अजीब सी आवाजें आने लगी व आवाज किसी के रंगने की थी अल्का डर गई पर वहां से भागने के बजाय वहीं अंदर छिपी रही कुछ देर बाद अचानक वह आवाज बंद हो गई और दरवाजे के कोनों से नीली रोशनी बाहर आने लगी वह इतनी तेज थी कि उसकी वजह से पूरे माले पर उजाला हो गया अल्का ने उस रोशनी की तरफ देखा वह नीली रोशनी अल्का की आंखों में चमकने लगी और उसके दिमाग पर हावी होने लगी कुछ ही पलों में उस रोशनी ने अल्का के दिमाग आख पर पूरी तरह से काबू कर लिया अल्का की आंखें पूरी तरह से नीली हो गई थी और उसका शरीर अब उसके ख्वाबों में नहीं था वह धीरे-धीरे उस कमरे के दरवाजे के पास जाने लगी दरवाजे पर एक बड़ा सा लोहे का ताला लगा हुआ था और उस पर कुछ काले धागे बंधे हुए थे अल्का के पास उस दरवाजे की चाबी नहीं थी पर अल्का उस रोशनी के वश में होने के कारण उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अल्का का हाथ अपने आप उस ताले पर  पड़ा और उसे जोर से खींचने लगा ताला खींचने की वजह से दरवाजा भी जोर से बजने लगा पर अचानक ऐसा कुछ हुआ जिसका अंदाजा किसी को नहीं था क्या हुआ व नाना जी आ गए अगर नाना वहां पर आ जाते तो अल्का बच जाती पर ऐसा नहीं हुआ 10 साल की अल्का ने उस लोहे के ताले को अपने हाथों से खींच कर दरवाजे से अलग कर दिया क्या पर कैसे यह खुद अल्का भी नहीं बता सकती कि उस वक्त उसने वह ताला कैसे तोड़ा हम तो बहुत दूर की बात है फिर क्या जैसे ही उसने ताला तोड़ा अंदर से रोशनी का आना बंद हो गया और दरवाजा थोड़ा सा खुला रोशनी के बंद होते ही अल्का होश में आ गई खुद को उस कमरे के पास पाकर वह बहुत डर गई उसने अपने हाथों में देखा तो वह टूटा हुआ ताला अभी भी उसके हाथ में था अचानक उसकी नजर दरवाजे की तरफ गई उसे खुला हुआ देखकर वह और भी डर गई उसने वह ताला वहीं दरवाजे के पास फेंक दिया और भाग कर नीचे जाने लगी पर अचानक उसे कमरे में से किसी के रंगने की आवाज आने लगी और वह आवाज सुनकर वह रुक गई अल्का ने रुककर पीछे मुड़कर देखा तो इस बार अंदर से पीली रोशनी आ रही थी पर उसका दिमाग सोचने लगा अरे यह पीली रोशनी अंदर किस चीज की होगी अंदर जाकर देखना चाहिए नहीं पर नाना जी ने तो मना किया था पर अब यहां तक आ ही गई हूं और दरवाजा भी खुला है तो एक बार जाकर देख ही लेती हूं इतना सब कुछ सोचकर आखिर में उसने अपनी जिंदगी का सबसे भयानक फैसला किया उस कमरे में जाने का वह धीरे-धीरे कमरे की तरफ बढ़ने लगी उसने जैसे ही दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ाया अंदर से आने वाली पीली रोशनी बंद हो गई उसने हल्के हाथों से पूरा दरवाजा खोला अंदर कमरे में काला अंधेरा था अल्का देखने की कोशिश कर रही थी पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था फिर वो रोशनी किस चीज की थी वो रोशनी अंदर से ही आ रही थी अल्का के दरवाजा खोलने के कुछ देर बाद अंदर बहुत सारी पेटियां दिखने लगी वो पेटियां अपने आप खुल गई और अंदर रखा हुआ पीला खजाना फिर से चमकने लगा उस खजाने को देखकर अल्का की आंखें खुली की खुली रह गई अल्का ने अपना एक कदम कमरे में डाला और वह उस खजाने को देखने लगी अल्का उस खजाने को देख रही थी तभी सामने रखी हुई एक पेटी के अंदर एक बड़ा सा नीला मणि चमकने लगा उसकी रोशनी उस पीली रोशनी से भी तेज थी कुछ ही पलों में उस नीली रोशनी ने पीली रोशनी को निकल लिया अल्का उस नीले मणि से बहुत प्रभावित हुई अरे यह क्या है और उसके पास जाने लगी जैसे ही अल्का ने उस मणि को उठाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया उसे फिर से वो रेंगने की आवाज आने लगी इस बार वो आवाज बहुत पास  से आ रही थी अल्का यहां वहां देखने लगी पर उसे कुछ नहीं दिखा जैसे ही उसने फिर से मुड़कर मणि की तरफ देखा तो वो डर के मारे कांपने लगी पर ऐसा क्या था वहां पर वहां एक पंचमुखी काला नाग था जो उस नीले मणि पर घेरे डालकर बैठा हुआ था वह बहुत ही मोटा और बड़ा था उसकी बड़ी बड़ी लाल आंखें थी जो अल्का को घूरे जा रही थी अल्का भी उसकी आंखों की ओर देखे जा रही थी कोई कुछ भी हलचल नहीं कर रहा था सारा माहौल एकदम शांत था अचानक उस सन्नाटे को भेद हुए नाना जी की आवाज आई अल्का अल्का ने डर कर पीछे देखा तो उसके नाना दरवाजे पर खड़े थे नाना जी ने जल्दी जाकर अल्का को बाहर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया नाना अल्का पर चिल्लाने लगे तुमने तुमने उस नाक के आंखों में देखा तो नहीं बताओ मुझे हल्का क्या तुमने उसकी लाल आंखों में देखा था अल्का बिना कुछ कहे सिर्फ नाना जी की तरफ देखती रही वह बहुत डरी हुई थी अचानक नाना जी ने देखा कि अलका की आंखें लाल हो गई और चमकने लगी नाना जी बहुत डर गए वो तुरंत अल्का को नीचे ले गए और उसकी आंखें धोने के लिए कहा पर उसका कुछ असर नहीं हुआ क्योंकि नाना जी समझ चुके थे कि अल्का ने उस नाग की आंखों में देखा है इतना कहकर चेतन चुप हो गया सब लोग अब भी शांत और डरे हुए थे अचानक जीत ने धीरे से कहा तुम्हारे नाना को उस नाक के बारे में पता था फिर उन्होंने यह बात तुम सबसे छुपाई क्यों उससे भी य है कि अल्का का क्या हुआ उस दिन से अल्का की दोनों आंखें लाल ही रही और उसे दिखना बंद हो गया कुछ ही दिनों में उसके हाथ पैर ने भी काम करना बंद कर दिया और वह अपाहिज हो गई उस हादसे के बाद नाना जी ने किसी को भी उनके घर में आने से मना कर दिया पर एक बात समझ में नहीं आई वो खजाना वो मनी वो पंचमुखी नाग यह सब उस घर में आए कैसे नाना जी बता रहे थे कि आजादी के वक्त उस गांव का जो ऑफिसर था उसने जाते-जाते नाना जी को वह खजाना संभाल कर रखने के लिए दिया था और जितना नाना जी चाहे उतना इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी नाना जी ने भी भरोसा दिलाकर उस खजाने को उस कमरे में रखने दिया 10 साल बाद जब वह ऑफिसर खजाना लेने आया तब पता नहीं कहां से वह नाग वहां पर आ गया उस ऑफिसर ने भी उस नाक की आंखों में देखा था और उसकी भी यही हालत हुई थी तब से नाना जी ने उस कमरे को लोहे के ताले से बंद कर दिया था पर पता नहीं किस मायावी शक्ति ने अल्का को वह ताला तोड़ने पर मजबूर किया  था 

 

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने सर 👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

12 अगस्त 2024

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रचनाएँ
डरावनी कहानियाँ
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खौफनाक रातें" एक डरावनी कहानी है जो आपको सिहरन से भर देगी। यह कहानी उस गाँव की है, जहाँ हर रात कुछ अजीब घटित होता है। रात होते ही गाँव के लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं, क्योंकि बाहर कुछ ऐसा है जो दिखाई तो नहीं देता, पर उसकी मौजूदगी हर किसी को महसूस होती है।
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साजिश भाग

11 अगस्त 2024
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कड़ाके की सर्दी आने में अभी एक माह शेष था मगर फिर भी ठंड काफी हद तक दस्तक दे चुकी थी रात को तो काफी ठंड हो जाती थी आज इतवार का दिन था इसलिए मैं घर में सोफे पर बैठकर अपने मोबाइल में कुछ उंगलियां मार रह

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अचेरी

11 अगस्त 2024
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इमरान कुरेशी रात के ठीक 11 बज रहे थे विपिन अतुल और रणवीर अपनी जीभ से शिमला आए थे और अब यह एक जंगली रास्ते से होकर गुजर रहे थे यार यह पहाड़ी इलाके तो बहुत ही ज्यादा पीसफुल और खूबसूरत है मन कर रहा है यह

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रुदाली

11 अगस्त 2024
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रुदाली नामक एक समुदाय है रुदाली हों का काम होता है बुलावा आने पर किसी की अर्थी के सामने रोना शोक जताना राजस्थान में आज भी यह प्रथा हमें जीवित स्वरूप से दिखाई देती है हमारी आज की कहानी है बावरी नाम के

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कैंप फायर

11 अगस्त 2024
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 नरेश जीत चेतन और सूचित यह चारों बहुत अच्छे दोस्त द चारों दोस्त नदी किनारे कैंप लगाकर वहां के शुद्ध वातावरण में कुछ दिन रहने आए द एक रात चारों जंग कैंप फायर जलाकर उसके इर्द गिर्द बैठे हुए द बगल में ही

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कैंप फायर

11 अगस्त 2024
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 नरेश जीत चेतन और सूचित यह चारों बहुत अच्छे दोस्त द चारों दोस्त नदी किनारे कैंप लगाकर वहां के शुद्ध वातावरण में कुछ दिन रहने आए द एक रात चारों जंग कैंप फायर जलाकर उसके इर्द गिर्द बैठे हुए द बगल में ही

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