रुदाली नामक एक समुदाय है रुदाली हों का काम होता है बुलावा आने पर किसी की अर्थी के सामने रोना शोक जताना राजस्थान में आज भी यह प्रथा हमें जीवित स्वरूप से दिखाई देती है हमारी आज की कहानी है बावरी नाम के एक रुदाली की जो उनके बस्ती की मुखिया थी उस रात सन्नाटा कुछ ज्यादा ही था रेगिस्तान से आती हुई ठंडी हवाएं बदन को मानो चुभ रही थी हाथों में लाल टेन पकड़े हुए बावरी तेजी से चल तो रही थी पर झाड़ियों से आती आवाजें बता रही थी कि अंधेरे में बसने वाले कई जानवर आसपास मौजूद है बावरी को उस रात हीरामन सेठ के घर बुलाया गया था हीरामन सेठ के छोटे भाई मोतीलाल की अचानक मौत हो गई थी और बावरी उसी घर मातम मनाने जा रही थी बाकी रुदाया कुछ देर बाद हीरामन सेठ के घर पहुंचने वाली थी दूर से बावरी को हीरामन सेठ का घर दिखाई दिया और उसकी चाल जरा सी धीमी हो गई बावरी एक अनुभवी रुदाली थी मौत का साया उसे दूर से ही महसूस हो जाता था बावरी ने एक बार अपने हाथ पर बांधा हुआ ताबीज छुआ और आगे बढ़ी चलिए ना अंदर चलिए हां हम बावरी आ गई चलो शुरू करो हमारे पास ज्यादा समय नहीं है मोतीलाल जी की अचानक कैसे मौत हो गई यह जानना तुम्हारे लिए जरूरी नहीं है बावरी तुम वही करो जिसके लिए तुम्हें यहां बुलाया गया है नहीं हीरामन जी हम शौक नहीं जताए जब तक मुझे आप इनकी मौत का कारण नहीं बताते वरी क्या कह रही है हिरामन जी से सवाल पूछेगी तू चुपचाप अपना काम कर और चलती बन हम रुदाली जरूर है लेकिन मैं अपनी बस्ती की मुखिया भी हूं मेरे हर रुदाली की सुरक्षा मेरा पहला लक्ष्य है मोतीलाल जी की मौत आम हालात में नहीं हुई है शायद यहां मुझे कोई अघोर साया महसूस हो रहा है आप किसी और बस्ती से रुदा लिया बुला लीज लेकिन हम में से कोई आज शौक नहीं जताए का चलो सब इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा बावरी याद रख रुक जा बावरी सुनिए आपने शोक जताने से म ना क्यों किया छाया समझ आने के बाद से हम यही काम करते आ रहे हैं यूं समझो जिंदगी से ज्यादा हम मौत के साथ रहते आए हैं इतने सालों में मौत से इतनी गहरी पहचान हो गई है कि उसके हर पहलू हम जान सकते हैं मोतीलाल की मौत अघोर मौत है उसके शव पर रोना खतरे से खाली नहीं मुझे यह महसूस हुआ कि जो उसके शफ पर रोएगा उसका अंजाम अच्छा नहीं होगा मैं नहीं चाहती मेरा कोई भी साथी खतरे का सामना करे चलो बावरी ने शायद उस रात बस्ती की रुदाली हों को बचा लिया लेकिन आने वाले दिनों में उन पर क्या गुजरने वाली थी इस बात का किसी को कोई अंदाजा नहीं था अगले दिन से ही बस्ती का माहौल बदला बदला सा लगने लगा दिन तो ठीक ठाक कटता था लेकिन रात में खाना खा ले और जल्दी सो जा कल अपने बाबा के साथ बकरिया चराने जाना है चल जल्दी मां कैसी आवाज है चुप रहो बावरी जी को यह बताना होगा यह अच्छा संकेत नहीं है रात में कई बार ऐसी आवाजें आती है डर के मारे हम सबका बुरा हाल हुआ था बावरी जी यह सब क्या हो रहा है यह ना हो इसलिए मैंने हीरामन सेठ के पास रोने की लिए मना किया था पर पता नहीं फिर भी वह साया हमारे बस्सी तक कैसे पहुंच पाया तो अब हमें क्या करना चाहिए यह क्या है क्यों हो रहा है यह जानने तक कोई रात को बस्ती से बाहर नहीं जाएगा ना कोई अपने घर के किसी सदस्य को बाहर जाने देगा देखते हैं आगे क्या होता है मैं आज ही यमराज के मंदिर जाकर महंत से मिलती हूं यह जो भी है अच्छा तो नहीं है तब तक सभी सावधान रहना उसी रात बावरी के मना करने के बाद भी बमला पानी लाने के लिए अपने बस्ती से दूर गई विमला चलकर बस्ती की तरफ आ रही थी कि उसे झाड़ियों में से किसी जानवर के चलने की आवाज सुनाई दी डरी हुई विमला तेजी से चलने लगी लेकिन उसकी रफ्तार बढ़ते ही झाड़ियों से आती हुई गुरा हट भी बढ़ गई विमला ने पानी का मटका फेंक दिया और वह बस्ती की तरफ दौड़ने लगी पर अचानक किसी अजीबो गरीब जानवर ने उस पर झका विमला छूटने की जी तोड़ कोशिश करती रही वो जानवर उसे झाड़ियों में खींच कर ले ग सुनाई देती रही तो बस विमला की चीखे और उसका दर्द में कराना आखें देखो विमला की सूचन से कितनी फूल गई है जरूर इसे बहुत दर्दनाक मौत आई होगी सवाल यह है कि आखिर बमला ही क्यों हमने रा मन के घर शौक नहीं जताया यह हादसा होना ही नहीं चाहिए था जरूर बिमला से कुछ गलती हुई है सच बता भवा तुम कुछ जानते हो उस रात आप सब लौट आई सब अपने घर गए तभी हिरामन का आदमी आकर विमला से मिला उसने ज्यादा पैसे दिए विमला को मैंने लाख मना किया पर पैसों के लालच में विमला ने एक ना मानी देर रात वो मोतीलाल के शव पर शोक जता कर ही लौटी अब यह कहानी जल्दी खत्म नहीं होगी विमला अकेली तो नहीं गई होगी और कौन था उसके साथ बताओ कौन गया था उसके साथ उस रात बिमला के साथ कौन था रुदाया कभी अकेले शौक नहीं जताती विमला ने पैसों के लालच में अपने साथ और रु दलियां की जाने भी जोखिम में डाल दी थी मोतीलाल की मौत के साथ शुरू हुआ यह चक्र अब कहां जाकर थमेगा यह कोई नहीं बता सकता कोई अघोर साया महसूस हो रहा है लेकिन हम में से कोई आज शौक नहीं जताए चलो सब आगे क्या हुआ बाघा बहुत गिड़गिड़ा या लेकिन मोतीलाल ने उसकी कोई मदद नहीं की बाघा का बेटा तड़प तड़प कर मर गया उसी समय बाघा ने कसम ली कि मोतीलाल का बदला जरूर लेगा और उसने मोतीलाल की दोनों औलाद को मार डाला यह सब आपको कैसे पता मोतीलाल को बे औलाद करने के बाद बाघा मन ही मन पछता रहा था मैंने ही उसे पुलिस के पास जाने के लिए कहा था लेकिन मोतीलाल दानव कैसे बना इससे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है इसका जवाब इस चिट्ठी में है मोतीलाल ने मरने से पहले लिखी थी अपने बेटे को मरता हुआ देखकर भी मैं रो ना पाया बाघा ने कहा था अगर मेरे आंसू निकले तो मेरे छोटे बेटे को भी तड़पा तड़पा कर मारेगा वो काश मैं अपने आंसू रोक पाता मैं रोया और मेरा छोटा बेटा भी मेरे सामने ये दुनिया छोड़ गए मेरे जीवन में अब कुछ बचा नहीं है मैं भी यह दुनिया छोड़कर जा रहा हूं लेकिन अघोर की सौगंध मरने के बाद भी यह दर्द नहीं भूलूंगा मुझे अपनों के शव पर रोना नसीब नहीं हुआ लेकिन जो रोना चाहते हैं उन्हें मैं इतना रुला हंगा इतना दर्द दूंगा कि रोते रोते ही उनकी जान चली जाए हे अघोर मुझे अपनी शक्तियां प्रदान करना मैं तुम्हारे शरण में आ रहा हूं इसका अर्थ है जब तक मोतीलाल की आत्मा अपने बेटों के शव पर शोक प्रकट ना कर पाएगी वह दानव बनकर यूं ही मासूम लोगों की जान लेता रहेगा और इससे बचने का उपाय बस्ती वालों से कहो आज से रोना नहीं ना किसी के शव पर प्रकट करने जाना महंत जी हम रुदाली है पुरखों से हमारा यही काम चला आ रहा है शोक जताए नहीं तो बस्ती भूखी मर जाएगी तो फिर बाघा से मिलो और उसे पूछो उसने मोतीलाल के बेटों के शव कहां दफन किए हैं शवों के अंतिम संस्कार कर लो मोतीलाल की आत्मा एक बार शोक जता पाएगी तो उसे और सारी बस को मुक्ति मिल जाएगी हम अभी बाघा से मिलने जाते हैं हिरामन जी यह इतना आसान नहीं होगा मोतीलाल जन्म भर जिस अघोर की पूजा करता आया है वह मोतीलाल को आसानी से अपने शिकंजे से छोड़ेगा नहीं जान की जोखिम है इसमें आपको खतरा दोनों तरफ से होगा खून का प्यासा बना मोतीलाल और उससे बलि पाने वाला हीरामन और बावरी दोनों जिले के गांव जाकर जेल में कैद बाघा से मिले बाघा ने पहले तो उनसे कुछ भी कहने से मना किया लेकिन बावरी ने लाख बिनती करने के बाद उसने बताया कि मोतीलाल के बेटों के शव उसने कहां दफन किए हैं वह जगह किशनगढ़ में बसे शमशान के पास थी उस बीहड़ इला में दिन के समय भी किसी का जाना खतरे से खाली नहीं था और यहां बावरी और हीरामन रात के अंधेरे में जाना चाहते थे क्योंकि वह दानव रात में ही वहां पहुंच सकता था यहां बस्ती की एक और रुदाली मीना किसी के शव पर शोक जताकर अपने घर लौट रही थी कौन कौन है बावरी तुम जंगल से सूखी लकड़ियां ले आना मैं बाघा की बताई हुई जगह खोदकर अपने भतीज के शव निकालता हूं हमें जितनी जल्दी हो सके दोनों का अंतिम संस्कार करना होगा कौन है बाहर आओ रोना था ना तुम्हें मैं तुम्हें रुलाने ही आया हूं आओ मैं तुम्हें जी भर के रुलाता हूं इतना इतना कि तुम्हारी रूह तक कांप जाए बेटे के शव के साथ की छेड़खानी से दानव गुस्सा हो उठा उसे आज तक पता नहीं था कि उसका बेटा कहां दफन हुआ था यहां अघोर क्रोधित हो उठा क्योंकि उसे बलि देने वाला दानव मुक्ति ना पा ले हिरामन ने शव बाहर निकाला था अब वह दूसरा शव बाहर निकालने जा रहा था इतने में अचानक हीरा मं जीी वहा अकेले है और महंत जी ने दिया हुआ त्रिशूल मेरे पास है मुझे जल्दी करनी होगी वरना अनर्थ हो जाएगा हीरामन जी हीरामन जी बावरी अपनी जान जोखिम में मत डालना बस वो सूखी लकड़ियां किसी तरह से यहां आनी चाहिए बाकी मैं संभाल लूंगा हीरामन लकड़ियों की अर्थी बनाने में जुट गया दानव शवों से लिपट कर रोने लगा और अघोर का गुस्सा अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया अघोर दानव को शवों से दूर करने की कोशिश में लग गया क्रोधित होकर दानव अघोर से भिड़ गया रामनने अर्थी तैयार कर दोनों शव उस पर रख दिए और चिता को आग लगा दी जैसे ही आग भड़क उठी दानव चिता के पास आकर शोक प्रकट करने लगा यह देखकर अघोर ने अपना काबू खो दिया वो अपने दांत चबाकर दानव की तरफ झपट प मौका देख बावरी चिल्लाई हीरामन जी त्रिशूल उस दानव पर मार दीजिए अघोर त्रिश से बचते हुए हीरामन को रोक रहा था अघोर ने हीरामन को बुरी तरह से जखमी कर दिया था दाना का रोना अघोर की गुर्रा हट हीरा मन का दर्द में कराहना सारी आवाज अब आसमान छू रही थी अब तुझे नहीं छोडूंगी अघोर सारे फसाद की जड़ तू ही है अब चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था अब वहां आवाजें थी तो बस चिता से निकलती ज्वाला की बावरी वही फूट फूट कर रोने लगी हीरामन अपनी जान गवा बैठा था इसीलिए अपने कर्म अच्छे रहने चाहिए वरना मोतीलाल जैसी जिल्लत नसीब में आती है अघोर भाग गया वह ठीक नहीं हुआ लेकिन कम से कम तुमने अपनी बहादुरी से बस्ती को तो बचा लिया