जीवन के सुर ताल बिठाना, होता नहीं है आसान। कभी सतरंगी इंद्रधनुष सा, जैसा होता आसमान।। उड़ते नील गगन में पंछी, कितने ही पंख पसारे। जीवन के सतरंगी बादल, उड़ते रहते हों बहुसारे।। जीवन के सुर
मुठ्ठी भर रेत हाथ भर लिए।चाह प्रबल इच्छा भाव किए।वक्त का दरिया बहता चला।रेत प्रतिक्षण फिसलता चला।।मुठ्ठी भर रेत हाथ भर बांधी।सोच ऐसी वक्त रोकेगा आंधी।।जानें कब रेत हाथ फिसली यहीं।उद्वेलित
पहला प्यार जब दिल में दस्तक देता है,आंखों में नए ख्वाबों का सूरज उगता है।वो अनकही बातें, वो चुप्पी की आवाज़,वो लम्हे मानो नए सुरों का सरगम साज़।दिल धड़कता है तो उनका नाम लेता है,हर खुशी, हर ग़म उन्हीं
मां नर्मदा के पावन दर्शन सदा ही सुखमय होता है लेकिन जैसे आज उसे कुछ ज्यादा ही सुखद अनुभव हो रहा था, उसे मैं लगातार देख रही थी, वह अपनी धुन में नमामि देवी नर्मदा की बांसुरी बजा रही थी, लेकिन चौंकाने वा
पहला प्यारपहली नजर, वो दिल का हाल,जैसे बूँद-बूँद में छलका जाम,धड़कनों में बस उसकी बात,हर लम्हा लगता खास।उसकी मुस्कान, वो मासूम चेहरा,जैसे खिले हुए गुलाब का पेहरा,हर शब्द उसका, संगीत सा लगे,दिल में हलच