गगनांगना छंद [सम मात्रिक] विधान – २५ मात्रा १६ ९ पर यति चरणान्त में २१२ या गालगा ल कुल चार चरण क्रमागत दो-दो चरण तुकांत "गनांगना छंद"आ भी जाओ अब सपने में मधुमय यामिनीमत तरसाओ पिय आँगन में गाए रागिनी।लगे न आँख झाँकती साया तकती आसमाँविरहन बनी निराली माया रहती यादमाँ।।महातम