मुक्त काव्य " हम और तुम"..... "हम और तुम" हम से हम हैं तुम से तुम कुछ नजदीक घराना होगा रूठा ही सही याराना होगा शब्दों के मतलब मर्म ही जाने अपने अनुरूप गरिमा पहचाने कभी कभी आहत कर जाते कभी गले लग अश्रु बहाते हम है किससे तुम हो किससे किसका किससे नाता है यह खुद को