"रेवती का मायका"मधुमास बीतने लगा तो रेवती गर्मी की तपन को महसूस कर चिंतित रहने लगी। यह गौरैया भले ही किसी के घर में अपना घोंसला बनाकर रहती थी पर उछलती तो आस पास के हरे हरे पेड़ों की डालियों पर ही थी। जमीन की बाँट और वृक्षों के कटाव को वह समझ तो नहीं पाती थी पर आए दिन टहनिय