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4 नवम्बर 2022

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क्यो नही अपने लक्ष्य भेदते 

क्या नेत्रो नेत्रहीन बने अभी

क्या नारी पीड़ा नही समझे

या व्यर्थ थे तुम्हारे वादे सभी।।


तुमने कहा था हम लड़ेंगे

जंग देवी के लिए लड़ेंगे कभी

क्या हुआ उन शब्दो को तुम्हारे

क्या मृत रचे थे वो शब्द सभी।।


क्या मृत हो चुकी भावनाए तुम्हारी 

क्या मृत हो चुकी संवेदनाए सभी

क्यो नही लिख रहे तुम धरा पर

क्यो उपहार राष्ट्र को ना दे रहे अभी।।


क्यो नही दे रहे उपहार राष्ट्र को

क्या नारी मातृत्व सुख से वंचित नही

क्यो नही भेदों आप उन चन्द शब्दो को

जिससे नारी जीवन व्यर्थ हो रहा अभी।।


ऐसे ही नारी जीवन व्यर्थ होता रहेगा

जब तक नीति तलाक ना बदले कभी

आपने भोगी,झेली नारी पीडा,अब

भेदन करो वो शब्द सभी।।


वंशवर्धि रुकी हैं धर्म की

क्या तुम भी अधर्मी बने अभी

दशकों बाद जब मिले तलाक तो

नारी कैसे जनेगी सन्तान कभी।।


कब चुनेगी वो साथी अपना

कब बसाएगी घर  कभी

उम्र बीते,बाद मिले तलाक तो,

जज्बात खत्म हो जाते है सभी।।


तुम्हे चुना हैं धरा कलम ने

चुना देवी ने हैं अभी

तुम कर सकते

तुम्हे चुना वक़्त ने

तुम्हें चुना कलम ने है अभी।।



क्यों रुके हैं कदम तुम्हारे

पांच तक ही सीमित थे कभी

क्यों नही छठा कदम तुम चलते,

क्यों रुके हुए हो आप अभी।।


कदम बड़ाओ तुम अपना 

भेदों अपने लक्ष्य सभी

दे दो उपहार तुम

अपने राष्ट्र को

हो जाओ

शब्दों बंधन मुक्त अभी।।


क्या डरने लगे तुम म्रत्यु से,या

मुकरने वादे से लगे अभी

त्यागो कलम को ओर,

गिरो नज़रो अपनी 

धिक्कार तुम पर हैं अभी।।


हम सोचेगे हम ही गलत थे

इंसान गलत था चुना कभी 

गलत थी नज़रे धरा हमारी

हम घोखा खा गए थे कभी।।


समझ ना आ रा दोषी हम नही

तो दोषी क्यो दिखने लगे अभी

शब्द ही ना आ रहे समझ मे,तो

कैसे,उपहार राष्ट्र को दे सभी।।


हमने भी कह दिया,निकलो तस्वीर से 

बिराजो देवी आप अभी

बताओ समाधान लिखे धरा 

हम,उपहार राष्ट्र को हम दे सभी।।




कहने भर की देर थी,देवी 

तुरन्त तस्वीर से निकली तभी

घड़क उठा दिल सीने हमारे,जैसे

जीवित हो गए प्रण सभी।।


आसन दिया 

ओर उन्हें बिठाया

हम चरणो उनके बैठे तभी

इक टक निहारे हम देवी को

पर देवी हमे देखे नही।।


नज़रे झुकाए,कहे देवी हमसे,

क्यो लिख रहे ना आप अभी

क्यो ना दे रहे उपहार राष्ट्र को

क्यो व्यर्थ कर रहे समय अभी।।


हमने कहा देवी क्षमा करो 

ऐसे तो लिख ना सके कभी

दृष्टि रखो अहसास कराओ

जान कलम में आए तभी।।




माना गलतियां हुई हैं हमसे

हम प्रार्थी क्षमा के हैं अभी

हमारे दृष्टि के कोंण सही थे

आप समझ सके ना कोण कभी।।


हम समर्पित धरा कलम पर

शब्दो बन्धन में बंधे कभी

कलम से किया था 

वादा हमने

समर्पित रहेंगे कलम पर कभी।।


ओर पूछो क्या चाहत थी हमारी

आप अपने मन से पूछो अभी

दृष्टि सुख चाहते थे मात्र हम

वंचित उससे भी किया तभी।।


हमारी नजरों हम गलत नहीं 

आपकी नजरों गलत सही

अगर गलत तो हम धरा

क्षमा चाहते हैं अभी।।




तुरन्त प्रभाव से हमे देखे,देवी

दिखे मृगनयनी दो नेन तभी

धक से धड़का दिल हमारा,

तत्पर लेखन को हुआ तभी।।


इकटक निहार कहे देवी

समस्या बताओ अपनी अभी

राहुल गर्ग रह ह

बताओ क्यो लिख रहे ना आप अभी।।




हाथ जुड़े शीश झुके हमारे

हम बैठे चरणों मैं थे वही

शब्द सूझे ना देवी हमे

कैसे,उपहार राष्ट्र को दे सभी ।।


उपहार भी होने वो ऐसे चाहिए

जो साकार हो सके धरा कभी 

ऐसे शब्द ना सूझ रहे हमे है,जो

जीवित हो सके शब्द  कभी।।


हमे अहसास है,हैं समस्या,तो

समाधान भी उनके हैं सभी

समस्याए क़भी ना 

आती अकेले

सँग समाधान भी आते हैं सभी।।


कलम थमाई हमे आपने देवी

हमारे प्रेरणास्त्रोत आप अभी

आप ही बताओ समाधान हमे

समयबन्धन में बंधी कलम अभी।।


गणेश विसर्जन होगा अंतिम दिन

फिर कलम ना चलेगी कभी

कलम की नज़रो गिर 

जाएगे देवी

अगर 

लक्ष्य भेद ना सके अभी।।



कहते कहते झुकी नजरे हमारी 

हम मायूस हो गए पलो तभी 

हताशा दिखे,चेहरे हमारे 

देवी भाव समझ वो सके सभी।।




बोले देवी,हमे देख मुस्का के

जैसे भेद खबर हो उन्हें सभी

रोमांचित हो उठी कलम हमारी

देवी वचन लिखने लगी तभी।।



बोले देवी और लिखे धरा हम 

वर्तमान में जीते लोग सभी

कल्पना करो आप

भविष्य की

क्या ऐसा हो सकता हैं कभी।।


ऊर्जा के अधिकांश स्त्रोत है,आज़ 

सीमित संसाधन है सभी 

तब क्या होगा 

जब खत्म हों जाएगे सारे

तब कैसे,जिएंगे यहां लोग सभी।।


कैसे करेंगे वो आपूर्ति खुद की

कैसे करेगे परिवहन कभी

कैसे ऊर्जा के स्त्रोत होंगे हमारे

कोनसे विकल्प अपनाएगे लोग तभी।।


कैसे मिलेगी नौकरियां उनको

जो आश्रित इन पर हैं अभी 

कैसे मिलेंगे रोजगार उनको 

जो निर्भर इन पर है अभी।।


हमने कहा तब विकल्प हमारे

होंगे प्राकृतिक बल सभी

वायु दाब ओर जल बल होंगे

होगे गुरुत्वाकर्षण के बल सभी।।


हैं चुम्बकीय बल हैं धरा पास,तो 

संग श्रम शक्ति है खूब अभी

यही विकल्प है यही होंगे धरा 

जब आपूर्ति व्याधित होगी कभी।।


इन्हीं सहारे चलेगा जीवन 

अनुमान हमारा है अभी

शेष समय की बात है देवी,

जैसा समय वैसी बुद्धि तभी।।


ताली बजाते चहके देवी,कहे

यही हैं समस्या समाधान अभी

कल के यन्त्र आज ही दिखा दो

दे दो उपहार राष्ट्र को पचास सभी।।


हम अचंभित देखे देवी को

समझ सके ना कुछ तभी

नेनो,नेंन मिलने लगे हमारे तो

दिल,खुशी से लिखने लगा तभी।


आज परिवहन करे परिभाषित 

परिभाषा परिवहन की यही अभी

इधर से उधर कोई वस्तु करे तो

परिवहन कहलाता है अभी।।

 

परिवहन व्यवस्था आप दिखा दो

विकल्प दिखला दो एक अभी

प्राकृतिक बलो के भी सहारे

वस्तु इधर से उधर जा सके अभी

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