#वचन
आज स्वर्णीम उत्सव मना रहा राष्ट्र हैं
आजादी,पिचहतर वर्षीय हुइ अभी
हर तरफ झंडे दिखे लहराते,गूँजे
माँ भारत की जय सुने सभी।।
,
हवाए दे रही बल ध्वजाओं को
ध्वजाएँ लहराते दिखे सभी
तभी नभ से प्रकटी वर्षा
हमे जाग्रत करने लगी तभी।।
01
भीग रहा था तन मन हमारा
देख रहा था वक़्त तभी
नज़रो,नज़रे मिलने
लगी हमारी
वर्षा
स्मरण में हमारे थी तभी।।
,
क्या हुआ तुम्हारे उन वादों का
जो किए राष्ट्र से थे कभी
पचास उपहार तुम्हे
देने राष्ट्र को
क्या मिथ्या थे तुम्हारे #वचन सभी।।
02
एक एक वचन तुमने दिए लिखित में
लिखित ही आज है सत्य अभी
क्या सत्य की रचना ना की थी तुमने
क्यो साकार ना कर रहे अपने शब्द सभी।।
,
क्यो भटके हो,क्यो रुके हो
क्यो कलम तुम्हारी थमी अभी
कलम के वचन खुद भूल चुके तुम
आज कलम शर्मिदा हैं तुम पर अभी।।
03
क्या मातृत्व सुख से वंचित नही नारी
क्या शब्दो बन्धन में नही बंधी अभी
क्या व्यर्थं ना हो रहा नारी जीवन
क्या चन्द शब्द बने ना कारण अभी।।
,
तलाक ना मिलता दशको नारी को
नारी जीवन व्यर्थं हो रहा हैं अभी
समय केंद्रित धरा प्राणी जीवन
जीवन व्यर्थ हो रहा हैं अभी।।
04
तुमने समझी थी नारी पीड़ा
भोगी तुमने भी थी कभी
संकल्पित हुए थे तुम
तुरन्त प्रभाव से
जब लिखी कहानी देवी कभी।।
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उपहार की नीति चुनी थी तुमने
वादे राष्ट्र से दिए थे कभी
पचास उपहार देकर
तुम,बदलवाओगे
हिन्दू तलाक नीति कभी।।
05
क्या हुआ तुम्हारे उन वचनों का,क्या
कलम तुम्हारी थक चुकी अभी
या हार स्वीकारी धरा आपने
तुम भी कायर बने हो दिखें अभी।।
,
क्यो नही दे रहे तुम उपहार राष्ट्र को
इंतजार किसका कर रहे अभी
इक दिन हो जाएगी म्रत्यु तुम्हारी
तुम्हारी आत्मा सन्तुष्ट ना रहेगी कभी।।
06
यही भटकते तुम धरा रहोगे
नही मिलेगा तुम्हे मोक्ष कभी
वचन निभाओ मोक्ष को पाओ
दो उपहार राष्ट्र को पचास सभी।।
,
आज राष्ट्र के हालात हैं बिगड़े
घटे रोजगार दिखे अभी
घटने लगी हैं धरा नोकरिया
महँगाई भी बढ़ने लगी अभी।।
07
सम्भालो रुपये को आज धरा तुम
बयासी प्रतिशत गिर चुका अभी
रच दो ऐसी नीति धरा तुम
दिखादो कैसे,डॉलर
रुपए के समान आ सके कभी।।
,
आज धरा पर हैं सत्य धारणा
मुद्रा ही यह तय करे अभी
जिसकी मुद्रा मजबूत
विश्व मे,उसे ही
सम्मानित
राष्ट्र का दर्जा मीले अभी।।
08
राष्ट्र को विश्व मे उच्च दर्जा दिला दो
बनाओ स्वर्ण चिड़िया इसे फिर से अभी
हैं कलम में हैं दम तुम्हारी,तुम ऐसा
कर सकते हो आज अभी।।
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आज आदेश दे रही तुम्हे हैं वर्षा,
हैं अधिकार वर्षा का तुम पर हैं अभी
जिस तत्व से तुम्हारा जिस्म बना
वो तत्व हमसे है बने सभी।।
09
लिखो उपाय,करो जतन तुम
हमे परिणाम चाहिए जल्द अभी
दीपावली तक का समय देते आपको
राष्ट्र को पचास उपहार दे दो आप सभी।।
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हिम्मत ना हारो लिखते रखो तुम
रखो कलम का मान अभी
उन्ही वचनों पर रहो
समर्पित,जो
कलम ने लिखे थे कभी।।
10
देखते देखते विलुप्त हो चुकी थी वर्षा
हवाए भी शांत हो चुकी थी तभी
हम हैरानी से देखे कलम को
वर्षा शब्द कलम बन्ध करने लगे सभी।।
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कोशिश जारी है,है वर्षा देवी
अभी थमे नही हमारे कदम अभी
सचित्र विवरण की करे तैयारी,दिखाए
कैसे डॉलर,रुपए समान बन सके कभी।।
11
सवा कोरोड नोकरिया दिखलाए राष्ट्र को
सवा करोड़ रोजगार जन्मते दिखलाए कभी
दीपावली तक का समय हमे दिया आपने
आपके बहुत शुक्र गुजार हम है अभी।।
,
एक एक वचन निभाए अपना
हैं देवी दृष्टि अपनी रखना सभी
हमने भी मात्र लक्ष्यों खातिर,देवी
बहुत त्याग किए हैं धरा कभी।।
स्वरचित
हरीश हरपलानी
हहहहहह