02
मा ज्वाला
माँ ज्वाला के समक्ष हैं साक्षी
साक्षी,हम सँग
कलम हमारी हैं अभी
लक्ष्यों केंद्रित अब हम रहेगे
लक्ष्य कलम ने दिए थे,हमे कभी।। ई
कलम पीड़ा पर हम समर्पित
समर्पित गुरु
चरणों में हुए अभी
हम समर्पित हैं उस पर
जिसने,हमे जगाया था कभी।।
पुत्र को माँ से मिलाया आपने
हैं देवी,धन्य धरा हो आप अभी
जीवन सार्थक कर दिया हमारा
हम पर दृष्टि आपने रखी कभी।।
अहसास जगाए धरा आपने
जाग्रत हमको किया कभी
सँग थमा दी कलम हमे
ओर लक्ष्य दिखा दिए हमे सभी।।
आज से लक्ष्यों भेदन करेगे
जो कलम ने दिए हमे कभी
सप्त ऋषि उतरे हैं धरा संग
गजानंद धरा पधारे हैं अभी।।
अग्नि परीक्षा है कलम की
कलम को,उपहार देने हैं पचास सभी
संपूर्ण ब्रह्मांड की है दृष्टी कलम पर
केसे सत्य करेगी वचन सभी।।06
गणेश विसर्जन अंतिम दिवस
तय समय लक्ष्य ना भेदे सभी,तो
त्याग करेगा लेखक कलम का,जो
कलम को माँ मानता हे अभी।।07
इसी सिलसिले सुनो हे देवी
सुनो कहानी एक अभी
लगे काल्पनिक तुम्हें मगर
हैं सत्य समान हमारे लिए अभी।।
08
निढाल अवस्था पड़े रहते थे
डूबे मद्य में थे तभी
अनाथ होने का
अहसास कराया आपने
हम बिखर चुके थे बहुत तभी।।
09
तभी स्वप्न मे आई कलम
बोले पुत्र सुनो अभी
समर्पित हो जाओ
तुम कलम पर
तुम्हारे,दिन घटने लगे सभी।।
10
10
स्थाई नही है कोई धरा पर
तुम भी स्थाई कभी नही
आज नही तो कल
जाना तुम्हे भी
समर्पित,
हो जाओ हम पर अभी।।
देवी थमाई हैं कलम तुम्हे
है वरदान धरा पर तुम्हे अभी
इसी वरदान पर रहो समर्पित,अब
माँ सँग रहना हैं तुम्हे अभी।।
करो आज से लक्ष्यों भेदन,भेदो
उन शब्दों को आप सभी
नारी जीवन
जो व्यर्थ कर रहे
सँग करते रहेगे धरा कभी।।
समय बंधन में बंधा हैं जीवन
जीवन समय केंद्रित ही रहे सभी
तलाक ना मिलता दशको नारी को
जीवन व्यर्थ कर रहे चन्द शब्द अभी।।
मातृत्व सुख से वंचित है नारी
कारण बने चंद शब्द अभी
दशको बाद,
जब मिले तलाक तो
नारी कैसे जने संतान कभी।।
कब चुनेगी वो साथी अपना
कब जने सन्तान कभी
उम्र ढले,दिखे
चेहरे पर,जज्बात
खत्म हो जाते हैं सभी।।
वंशवर्धि हैं रुकी राष्ट्र की
रुकी धर्म की दिखी अभी
कारण बने चन्द शब्द धरा
तुम्हे उन्हें भेदने हैं सभी।।
बरसो बरस ना मिले तलाक,तो
दिखे अन्याय धरा अभी
न्याय वास्ते लडो,पुत्र तुम
तुम पर दृष्टि देवी की है अभी।।
तुम्हे चुना है धरा कलम ने
चुना देवी ने हैं अभी
अपनी शक्ति को
तुम पहचानो
पुत्र,तुम्हे
भेदने है लक्ष्य सभी।।
देखी समर्पण भावना आपकी
देखी निष्ठा भावना
जाग्रत अभी
पुत्र चुना है तुम्हे कलम ने,
तुम इंसान समर्पित हो अभी।।
20
उठो जागो तुम्हे लिखना होगा
तुम पुत्र कलम के बने अभी
अपने कर्तव्य तुम निभाओ
जागो पुत्र भारत के तुम अभी।।
तुम पुत्र बने हो प्रकृति के
उसका दुख समझा था कभी
है प्रक्रति पुत्र अब जागो नींद से
हरित करनी पृथ्वी अभी।।
एक नही दो नही है पुत्र,तुम्हारी
माताएं चार,चार हैं अभी
उठो जागों,अहसास
जगाओ अपने
नही अनाथ तुम कभी नही।।
माना देवी ने अहसास जगाए
अनाथ धरा तुम हो अभी
पर सम्पूर्ण विश्व को
अपना पाओगे
तुम,उपहार राष्ट्र को तो दो सभी।।।।
आदेश दे रहे हम शब्दों को,जीवित
हो जाएंगे तुम्हारे शब्द सभी
पर लिखोगे तभी तो जिएंगे जीवन
ना लिखो तो कैसे जिएंगे शब्द कभी।।
उठो पुत्र तुम्हे लिखना होगा
तुमने झेली पीड़ा देवी कभी
उन शब्दों को भेदना होगा
जिससे नारी पीड़ित है अभी।।
उपहार की नीति चली हैं आपने
तुम्हे उपहार देने हैं पचास सभी
सत्यार्थ करो अपने वचनों को
तुम्हारे वचन नही थे मृत कभी।।
क़लम पुत्र अब तुम बने हो
तुम्हे चुना
कलम ने है अभी
जागो पुत्र कलम उठाओ
तुम्हारी मां तुम्हारे संग खड़ी।।
28
जो भी लिखा वो देना तुमको
करने सत्यार्थ अपने शब्द सभी
राष्ट्र से वादे जो किए थे तुमने
वादे निभाने तुम्हे सभी।।
29
हस्त लिखित है वादे तुम्हारे
अटल सत्य वो धरा अभी
अटल सत्य है दिखे धरा पर
तो दिखा दो ऐसा करके अभी।।
30
आदेश दे रही कलम तुम्हे
अपने शब्द सत्यार्थ करो सभी
शब्दो पर पहला अधिकार है तुम्हारा
अपना अधिकार सिद्ध करो आप अभी।।
31
31
खुद का निर्माण करता है प्राणी
आप राष्ट्र का निर्माण करो अभी
ऐसा भारत दिखा दो विश्व को
जैसे पहले था धरा कभी।।
32
सोने की चिड़िया कहते थे भारत को
सोने की चिड़िया बना दो उसे अभी
संपूर्ण विश्व में भारत की धाक जमा दो
कर दो भारत का आत्म निर्माण आप अभी।।
33
कलम बोल रही सुन रहे थे हम
गर्व से सीना चौड़ा और रहा तभी
अन्ना निंद्रा अवस्था थे हम पर
चेतना जागृत थी तभी।।
34
लिख दो कहानी ऐसी तुम
जिसमें उपहार छुपे हो सभी
एक एक उपहार जिंदा
होगा तुम्हारा
तुमसे कलम वादा कर रही अभी।।
35
राष्ट्र का निर्माण करता हैं प्राणी
प्राणियों से ही राष्ट्र बने सभी
प्राणियों तक पहुचाओ
उनके उपहार तुम
करो कलम का वादा पूरा अभी।।
36
आगे बढ़ो तुम डरो नही
है कलम तुम्हारे साथ अभी
साथ देवी की हैं दृष्टि धरा तो
माँ सँग गुरु की दृष्टि भी हैं सभी।
37
सौगात दे दो तुम अपने राष्ट्र को
सत्यार्थ उपहार करो सभी
कलम पुत्र हो
घबराओ नही तुम,बनो
वचनों के भी तुम सत्य धनी ।।
38
यह ना सोचो कोंन देखेगा
कोन सुने ना सुने तुम्हे कभी
अपने कर्मो पर तुम ध्यान दो
अंजाम की चिंता छोड़ो अभी।।
39
आज धरा पर सत्य धारणा
कर्म से बड़ा ना कुछ अभी
कर्म मिला दे तुम्हें देव से
मोक्ष दिला दे कर्म कभी।।
40
कर्मवीर तुम बनो धरा पर तुम
उसी पर अमल करो अभी
लिखित में सत्य लिखा है तुमने
लिखित को सत्य साबित करो अभी।।
41
जो भी लिखो तुम कोशिश करो
साकार करने की करो अभी
शब्दो पर पहला अधिकार तुम्हारा
अपना अधिकार सिद्ध करो आप अभी।।
42
अब मां की इज्जत है हाथों आपके
कलम आपके हाथो अभी
माँ की नजरों गिर जाओगे पुत्र
तुम,उठो लिखो तुम आज अभी।।
43
नहीं नहीं मां ऐसा ना होगा
हरगिज ना होगा कभी यहां
प्राण जाए पर वचन न जाए
हम अटल रहेंगे धरा यहां।।
44
वादा करते हैं माँ आपसे
भारत का
कर्ज उतारेंगे हम यहां
पंद्रह वर्षों के भीतर भीतर
कर्ज मुक्त करेंगे भारत यहां।।
45
विश्व के पहले इंसान बने
जिसने संकल्प लिया
ऐसा कभी
पंद्रह वर्षों के भितर भितर
राष्ट्र को कर्ज मुक्त करेंगे कभी।।
46
वादा करते हैं मां हम लिखेंगे
हम जरूर लिखेंगे अब यहां
आत्म निर्माण भारत का
निर्माण करेंगे,भारत को
स्वर्णिम बनाएंगे हम यहां।।
47
एक एक शब्द भरा होगा योवन से
कोशिश,अमल उसी पर करे यहां
सत्यार्थ करेंगे हम उन शब्दो को
जिससे उपहार सत्य हो धरा यहां।।
48
हड़बड़ा कर उठ बैठे हम
अवस्था निराश थी तभी
केसे शब्दो को भेदेगे हम
केसे वादे पूरे करेंगे कभी।।
49
कलम बोल रही सुन रहे थे हम
अवस्था चितित थी तभी
पचास उपहार हमे
देने राष्ट्र को,पर
शब्द,सूझ रहे थे नही।।
50
देखे कलम को इक़टक निहारे
ओर सोचे विचारे हम तभी
कैसे जीवन मे आई थी देवी
कैसे जीवन बदल गया तभी।।
51
कैसे उन्होंने आदेश दिया
लिखो धरा पर आप अभी
लिखते,लिखते दर्द समझा
जो भोगा देवी ने था कभी।।
52
उसी दर्द पर हुए समर्पित
समर्पित देवी पर हुए तभी
आदेश कलम का माना हमने
कदम पीछे ना हटे कभी।।
53
पर अब समझ ना आए हमे
कैसे उपहार राष्ट्र को दे सभी
कैसे करे वादा पूरा अपना सँग
कलम समय बंधन में भी बंधी।।
54
देवी नाराज है,करे सिमरन हम
मनन देवी का करे अभी
अब वही समाधान
दिखाए हमे
और कोई उपाय ना सूझा तभी।।
55
ध्यान लगाया तुरंत हमने
मुद्रा तपस्वी बनी तभी
सामने रख दी कलम हमने
देवी सिमरन करने लगे तभी।।
56
देवी सिमरन हम जब जब करे
देवी कलम में दिखे तभी
कलम दायनी हैं देवी हमारी
हाथो,कलम उन्ही की देन अभी।।
57
देवी कलम ने लक्ष्य दिए है
लक्ष्य देवी ने थे दिए कभी
अब बोले देवी दिखे
कलम में,कहे
क्यो रुके हुए हो आप अभी।।
क्रमश.. 58
क्यो नही अपने लक्ष्य भेदते
क्या नेत्रो नेत्रहीन बने अभी
क्या नारी पीड़ा नही समझे
या व्यर्थ थे तुम्हारे वादे सभी।।
तुमने कहा था हम लड़ेंगे
जंग देवी के लिए लड़ेंगे कभी
क्या हुआ उन शब्दो को तुम्हारे
क्या मृत रचे थे वो शब्द सभी।।
क्या मृत हो चुकी भावनाए तुम्हारी
क्या मृत हो चुकी संवेदनाए सभी
क्यो नही लिख रहे तुम धरा पर
क्यो उपहार राष्ट्र को ना दे रहे अभी।।
क्यो नही दे रहे उपहार राष्ट्र को
क्या नारी मातृत्व सुख से वंचित नही
क्यो नही भेदों आप उन चन्द शब्दो को
जिससे नारी जीवन व्यर्थ हो रहा अभी।।
ऐसे ही नारी जीवन व्यर्थ होता रहेगा
जब तक नीति तलाक ना बदले कभी
आपने भोगी,झेली नारी पीडा,अब
भेदन करो वो शब्द सभी।।
वंशवर्धि रुकी हैं धर्म की
क्या तुम भी अधर्मी बने अभी
दशकों बाद जब मिले तलाक तो
नारी कैसे जनेगी सन्तान कभी।।
कब चुनेगी वो साथी अपना
कब बसाएगी घर कभी
उम्र बीते,बाद मिले तलाक तो,
जज्बात खत्म हो जाते है सभी।।
तुम्हे चुना हैं धरा कलम ने
चुना देवी ने हैं अभी
तुम कर सकते
तुम्हे चुना वक़्त ने
तुम्हें चुना कलम ने है अभी।।
क्यों रुके हैं कदम तुम्हारे
पांच तक ही सीमित थे कभी
क्यों नही छठा कदम तुम चलते,
क्यों रुके हुए हो आप अभी।।
कदम बड़ाओ तुम अपना
भेदों अपने लक्ष्य सभी
दे दो उपहार तुम
अपने राष्ट्र को
हो जाओ
शब्दों बंधन मुक्त अभी।।
क्या डरने लगे तुम म्रत्यु से,या
मुकरने वादे से लगे अभी
त्यागो कलम को ओर,
गिरो नज़रो अपनी
धिक्कार तुम पर हैं अभी।।
हम सोचेगे हम ही गलत थे
इंसान गलत था चुना कभी
गलत थी नज़रे धरा हमारी
हम घोखा खा गए थे कभी।।
समझ ना आ रा दोषी हम नही
तो दोषी क्यो दिखने लगे अभी
शब्द ही ना आ रहे समझ मे,तो
कैसे,उपहार राष्ट्र को दे सभी।।
हमने भी कह दिया,निकलो तस्वीर से
बिराजो देवी आप अभी
बताओ समाधान लिखे धरा
हम,उपहार राष्ट्र को हम दे सभी।।
कहने भर की देर थी,देवी
तुरन्त तस्वीर से निकली तभी
घड़क उठा दिल सीने हमारे,जैसे
जीवित हो गए प्रण सभी।।
आसन दिया
ओर उन्हें बिठाया
हम चरणो उनके बैठे तभी
इक टक निहारे हम देवी को
पर देवी हमे देखे नही।।
नज़रे झुकाए,कहे देवी हमसे,
क्यो लिख रहे ना आप अभी
क्यो ना दे रहे उपहार राष्ट्र को
क्यो व्यर्थ कर रहे समय अभी।।
हमने कहा देवी क्षमा करो
ऐसे तो लिख ना सके कभी
दृष्टि रखो अहसास कराओ
जान कलम में आए तभी।।
माना गलतियां हुई हैं हमसे
हम प्रार्थी क्षमा के हैं अभी
हमारे दृष्टि के कोंण सही थे
आप समझ सके ना कोण कभी।।
हम समर्पित धरा कलम पर
शब्दो बन्धन में बंधे कभी
कलम से किया था
वादा हमने
समर्पित रहेंगे कलम पर कभी।।
ओर पूछो क्या चाहत थी हमारी
आप अपने मन से पूछो अभी
दृष्टि सुख चाहते थे मात्र हम
वंचित उससे भी किया तभी।।
हमारी नजरों हम गलत नहीं
आपकी नजरों गलत सही
अगर गलत तो हम धरा
क्षमा चाहते हैं अभी।।
तुरन्त प्रभाव से हमे देखे,देवी
दिखे मृगनयनी दो नेन तभी
धक से धड़का दिल हमारा,
तत्पर लेखन को हुआ तभी।।
इकटक निहार कहे देवी
समस्या बताओ अपनी अभी
राहुल गर्ग रह ह
बताओ क्यो लिख रहे ना आप अभी।।
हाथ जुड़े शीश झुके हमारे
हम बैठे चरणों मैं थे वही
शब्द सूझे ना देवी हमे
कैसे,उपहार राष्ट्र को दे सभी ।।
उपहार भी होने वो ऐसे चाहिए
जो साकार हो सके धरा कभी
ऐसे शब्द ना सूझ रहे हमे है,जो
जीवित हो सके शब्द कभी।।
हमे अहसास है,हैं समस्या,तो
समाधान भी उनके हैं सभी
समस्याए क़भी ना
आती अकेले
सँग समाधान भी आते हैं सभी।।
कलम थमाई हमे आपने देवी
हमारे प्रेरणास्त्रोत आप अभी
आप ही बताओ समाधान हमे
समयबन्धन में बंधी कलम अभी।।
गणेश विसर्जन होगा अंतिम दिन
फिर कलम ना चलेगी कभी
कलम की नज़रो गिर
जाएगे देवी
अगर
लक्ष्य भेद ना सके अभी।।
कहते कहते झुकी नजरे हमारी
हम मायूस हो गए पलो तभी
हताशा दिखे,चेहरे हमारे
देवी भाव समझ वो सके सभी।।
बोले देवी,हमे देख मुस्का के
जैसे भेद खबर हो उन्हें सभी
रोमांचित हो उठी कलम हमारी
देवी वचन लिखने लगी तभी।।
बोले देवी और लिखे धरा हम
वर्तमान में जीते लोग सभी
कल्पना करो आप
भविष्य की
क्या ऐसा हो सकता हैं कभी।।
ऊर्जा के अधिकांश स्त्रोत है,आज़
सीमित संसाधन है सभी
तब क्या होगा
जब खत्म हों जाएगे सारे
तब कैसे,जिएंगे यहां लोग सभी।।
कैसे करेंगे वो आपूर्ति खुद की
कैसे करेगे परिवहन कभी
कैसे ऊर्जा के स्त्रोत होंगे हमारे
कोनसे विकल्प अपनाएगे लोग तभी।।
कैसे मिलेगी नौकरियां उनको
जो आश्रित इन पर हैं अभी
कैसे मिलेंगे रोजगार उनको
जो निर्भर इन पर है अभी।।
हमने कहा तब विकल्प हमारे
होंगे प्राकृतिक बल सभी
वायु दाब ओर जल बल होंगे
होगे गुरुत्वाकर्षण के बल सभी।।
हैं चुम्बकीय बल हैं धरा पास,तो
संग श्रम शक्ति है खूब अभी
यही विकल्प है यही होंगे धरा
जब आपूर्ति व्याधित होगी कभी।।
इन्हीं सहारे चलेगा जीवन
अनुमान हमारा है अभी
शेष समय की बात है देवी,
जैसा समय वैसी बुद्धि तभी।।
ताली बजाते चहके देवी,कहे
यही हैं समस्या समाधान अभी
कल के यन्त्र आज ही दिखा दो
दे दो उपहार राष्ट्र को पचास सभी।।
हम अचंभित देखे देवी को
समझ सके ना कुछ तभी
नेनो,नेंन मिलने लगे हमारे तो
दिल,खुशी से लिखने लगा तभी।
आज परिवहन करे परिभाषित
परिभाषा परिवहन की यही अभी
इधर से उधर कोई वस्तु करे तो
परिवहन कहलाता है अभी।।
परिवहन व्यवस्था आप दिखा दो
विकल्प दिखला दो एक अभी
प्राकृतिक बलो के भी सहारे
वस्तु इधर से उधर जा सके अभी