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#आज की आधुनिक जीवन शैली

9 अक्टूबर 2022

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#शब्द.in
#आज का टैग
#आज की आधुनिक जीवन शैली

आज की आधुनिक

जीवन शैली बनी हैं ऐसी

जिसकी कल्पना तक ना कर

सका मानव कभी,बाप सामने बेटा

जुआ खेले,ओर बाप देखने लगे सभी।।

,

नहीं लाचार है नहीं मोहताज है

सिर्फ घटी नौकरियां आज अभी

सरकार ने पकड़ा दिया हाथो जुआ

बोले युवा इसी से कमाए आप सभी।।

01

बड़े शर्म की बात मगर हैं

आज गर्व कर रहे लोग सभी

बढ़-चढ़कर बतला रहे बेखोफ हैं

हमने इतने कमाए करोड़ों कभी।।

,

खुद के हाथों खुद बिगाड़ रहे

खुद का भविष्य आज सभी

आज नहीं कल जवाब

देना होगा आपको

क्यों ऐसी

आधुनिक जीवन शैली रची अभी।।

02

शर्म,लज्जा सब उतर चुकी है

लगे ढिंढोरा पीटने सभी

आओ खेलो,मिलकर खेले

मिलकर जुआ खेलो आप अभी।।

,

अब बीते जमाने की बातें हो जाएंगी

जब आधुनिकता नहीं थी कभी

सादा जीवन थे उच्च विचार

मस्तिष्क में रखते थे विचार सभी।।

03

अब आज बदलने लगे विचार सभी के

आज बदलने जीवनशैली लगी अभी

अतीत भुलाया वर्तमान अपनाया

आधुनिक जीवन शैली अपनाई

सबने आज अभी।।

,

खामोश राष्ट्र है,खामोश जनता है

सब मूक दर्शक है आज बने अभी

खुद का भविष्य खुद के ही सामने

नजरों से गिरता देख रहै लोग सभी।।

04

श्री राम का गुणगान करने वाले

आज चले शकुनि की नीति अभी

सबके हाथों पहुंचा दिया है जुआ

ओर नज़रे जनता से फेर ली सभी।।

,

जो जीते वो धन्य कहे श्रीराम को

जो हारे वो रावण बने तभी

आक्रोश दिखता नज़रो उसकी

मचाए घर,मोहल्ले वो तांडव तभी।।

05

लगी चोरियां बढ़ने आज हैं

डकैतीया खुले आम होने लगी

जनमानस के मन में भय समाया

कब कौन किस को लूट जाए कभी।।

,

हे श्रीराम के भक्तों जागो आप की

नीति गलत हैं आज अभी

आज नहीं कल

बदलना होगा इसको

दिखलाएंगे आपको सत्य कभी।।

06

,

कभी तो जागेगा सुप्रीम कोर्ट हमारा

कभी तो संविधान के शब्द जगेंगे कभी

कोई तो बताएगा अब कभी राष्ट्र को

जुआ कल भी खराब था ओर

सदैव खराब रहेगा अभी।।

,

मिसाले ऐसी बहुत भरी राष्ट्र में

देखो पांडवों का आप हाल सभी

राजपाट संग पत्नी लगी थी दाव पर

ओर सब हार चुके थे पांडव सभी।।

07

माना देव तुल्य  है वह पांडव सारे

जिन्होंने ऐसी लीला थी भोगी कभी

सिर्फ दिखलाना मकसद था वक़्त का

जुआ खराब है खराब रहेगा सदा कभी।।

,

राष्ट्र हमारा हम राष्ट्र के,अधिकार

हमारा बनता है अभी

गलत को गलत ना कह सके

तो,हम ही गलत बनेंगे अभी।।


इसी आधार पर लिखे शब्द हैं

निराधार शब्द ना लिखे कभी

चाहते दृष्टि पड़े राष्ट्र की

ग़लत को सही कर सके कभी।।

धन्यवाद।।

स्वरचित

हरीश हरपलानी

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"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

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उत्कृष्ट सृजन👌👌👌👌

9 अक्टूबर 2022

हरीश हरपलानी

हरीश हरपलानी

10 अक्टूबर 2022

आपकी दृष्टि पड़ी शब्दो पर आपके बहुत आभारी हम अभी,सदैव ऐसे ही दृष्टि में रखे यही कामना करें अभी।।

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