चित्र आधरित लेखन
तीन वानर
आज तीन वानरों की तस्वीर दिखाएं
बोले,देखो इस पर लिखो अभी
क्या कल्पना कर रहे वानर
विवरण इसका दो अभी।।
हम भी निहारे उस तस्वीर को,जो
फेसबुक पटल पर दिखी अभी
स्वीकारी चुनौती,देखे तस्वीर को
तुरन्त,तस्वीर जाग्रत हो उठी तभी।।01
,
पहले ने बन्द कर रखे थे कान
बोले अब ना सुनना हमे कभी
कोई भी चीखे,चीत्कारें कहे
क्यो घटे रोजगार हैं अभी।।
हम सुनेंगे तो देने पड़ेंगे रोजगार
देनी पड़ेगी नौकरियां तभी
ना सुनेंगे ना देगे हम इसलिए
कान ही बंद किए अपने अभी।।02
,
दूजे वानर की बन्द थी आँखे
हाथो से ढकी उसने तभी
बोले हम ना देख सके
डॉलर का कद बढ़ता अभी।।
बढ़ा आयात है घटा निर्यात
बड़ी महँगाई हैं आज अभी
गिरता रुपया शर्मसार करे हमे
यह सब देख ना सके हम अभी।।03
,
इसलिए है बन्द आँखे हमारी
उपाय नही हमारे पास अभी
ना देखेगे,ना कहेंगे किसी को हम
ना क्रिया की प्रतिक्रिया करेगे कभी।।
तीसरे ने किया मुख बन्द अपना
हाथो से बंद कीया तभी
बोले हम देख
सुन सके
हैं मानव,परन्तु
बोलेगे नही हम कभी।।04
,
बोलेगे तो फैलेगा आक्रोश
क्रांति जन्मेगी धरा तभी
एक ओर आंदोलन झेले राष्ट्र
राष्ट्र तैयार नही इसके लिए अभी।।
देख रहे हम,समझ सके हम
आर्थिक हालात राष्ट्र के बिगड़े अभी
घटे रोजगार,घटी नोकरिया,सँग महँगाई
भी बहुत बड़ी हैं अभी।।05
,
बहुत दुखी है हमे बहुत खेद है
हम प्रार्थी क्षमा के है अभी
इसलिए मुख बन्द
किया है हमने
सब कुछ करके भी
कुछ ना कर सके अभी।।
नही सत्ता है पास हमारे
ना राजा है हम आज अभी
बदली हमारी आज भाषा है
मानव समझ सके ना उसे कभी।।06
,
हर समस्या का उपाय धरा पर
समस्याए,समाधान सँग जन्मती सभी
जैसे काया सँग छाया होती,दिखती,वैसे ही
समस्याए सँग समाधान सभी।।
तुम पुत्र हो धरा हमारे
हम पूर्वज आपके है अभी
वानर का विकसित रूप आपका
वानर से ही इंसान बने सभी।।07
,
तुम कर सकते,तुम रच सकते
रच दो ऐसे शब्द अभी
समस्याओ का समाधान रच दो
रच दो समस्याओ के समाधान सभी।।
आदेश दे रहे आपके पूर्वज आपको
स्थिति बड़ी है विकट अभी
आप सम्भालो गिरते रुपए को
दिखाओ रोजगार,नोकरिया अभी।।08
,
बताओ राष्ट्र को कैसे आयात घटे
कैसे निर्यात राष्ट्रीय बड़े अभी
मुक्ति दिलाओ महंगाई से
ऐसा प्रमाण सहित दिखलाओ अभी।।
आप सुन सको,बोल सको
आप,उठाओ नज़रे देखो अभी
राष्ट्र को अतिआवश्यकता तुम्हारी
तुम्हारी जाग्रत भावनाए है आज सभी।।09
,
घुटनो बल हम बैठ गए
तुरन्त शीश झुकाए हमने तभी
आपने लायक समझा हमे पूर्वजो
हम नतमस्तक चरणों आपके हैं अभी।।
कोशिश करेंगे दिल से पूर्वजो
हम दिल से ही कर्म करते सभी
गुरुवार से दिखाएंगे राष्ट्र को,कैसे
विकसित बन सके राष्ट्र अभी।।10
,
दृष्टि रखे सिर्फ राष्ट्र शब्दो पर
दृष्टि चित्रों पर रखे सभी
तभी सफल हो पाएंगे पूर्वजो
आपके आदेश होगे सफल तभी।।
चिंता ना करो,दृष्टि तुम पर
सम्पूर्ण पृथ्वी की पड़ेगी कभी
पृथ्वी पीड़ा उजागर की थी आपने
पृथ्वी वासी देखेगे तुम्हारे शब्द सभी।।11
,
लिखते रहो तुम कर्म करो अपना
परिणाम की चिंता ना करो कभी
कर्म ही सर्वश्रेष्ठ था,हैं धरा,आप
जीवन अपना सफल करो अभी।।
तीसरे ने कहा दोनो वानरो से
अब निश्चिन्त हो जाओ आप सभी
कलम पुत्र हैं जागा एकलव्य नींद से
सँग लक्ष्य चुन लिए उसने सभी।।12
,
जुम्मे रात की रात्रि से करेगा भेदन
भेदेगा अपने लक्ष्य सभी
जाग्रत भाव भक्ति के जगे हैं
दिखाएगा भक्ति की शक्ति तभी।।
कान खोलने का वक़्त नज़दीक हैं
खोलनी आँखे हमको हैं अभी
मध्य रात्रि को,दो गुजरने
मात्र दिवस बचा है एक अभी।।13
बहुत गर्वित हम तब हुए,जब
भाव ऐसे थे जगे तभी
धन्य हो देवी,धरा
हमारी,हमे
जाग्रत आपने किया कभी।।
लक्ष्यों केंद्रित बन चुका है जीवन
समर्पित इंसान हम बने अभी
सदैव दृष्टि रखे भक्ति पर
हैं शक्ति,निवेदन आपसे करे अभी।।
स्वरचित
हरीश हरपलानी