एक सौ छब्बीस करोड़ की जेब में रखा एक रुपया कैसे कमजोर हो सकता है
इस देश में कोई कैसे गरीब हो सकता है राहुल गांधी ने सही कहा है गरीबी एक मानसिकता है
जब तक हमारे पैरो के नीचे धरती है और सर पे आकाश है तब तक कोई गरीब नहीं हो सकता इस धरती माँ की भी माँ है प्रकृति जो सबके लिए सामान है जिसने सबको सामान हवा दी है पानी दिया है एक सामान दिन रात दिए है सामान फल-फूल दिए है भूख प्यास भी सब में सामान है हसी और आसु भी सामान है यहाँ तक की जीवन-मरण में बचपन जवानी बुढ़ापा भी सामान है फिर कोई गरीब कैसे हो सकता है गरीब बन सकता है गरीब बनाया जा सकता है लकिन कोई कभी गरीब हो नहीं सकता एक व्यक्ति
एक दिन में एक रुपए बचाता है तो एक करोड़ लोग रोज एक करोड़ रुपये बचा सकते है
गरीबी तुलना से पैदा होती है मेरे पास १० रुपए उसके पास १००० रुपए, मेरी तनखा ५ हजार उसकी तनखा ५० हजार मेरी संपत्ति में बस ये उसकी संपत्ति में वो सब
मेरे परिवार में से इतने से सदस्य उसके परिवार इतने सरे सदस्य ये मेरा तेरा ही सबसे बड़ी गरीबी है सोचो कभी ईश्वर ने मेरा तेरा किया है