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हम १२६ करोड़

28 नवम्बर 2015

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एक सौ छब्बीस करोड़ की जेब में रखा एक रुपया कैसे कमजोर हो सकता है 
इस देश  में कोई कैसे गरीब हो सकता है राहुल गांधी ने सही कहा है  गरीबी एक मानसिकता है 
जब तक हमारे पैरो के नीचे धरती है और सर पे आकाश है तब तक कोई गरीब नहीं हो सकता इस धरती माँ की भी  माँ है प्रकृति जो सबके लिए सामान है जिसने सबको  सामान  हवा दी है पानी दिया है एक सामान दिन रात दिए है सामान फल-फूल दिए है भूख प्यास भी सब में सामान है हसी और आसु भी सामान है यहाँ तक की  जीवन-मरण में बचपन जवानी बुढ़ापा भी सामान है फिर कोई गरीब कैसे हो सकता है गरीब बन सकता है गरीब बनाया जा सकता है लकिन कोई कभी गरीब हो नहीं सकता एक व्यक्ति 
एक दिन में एक रुपए बचाता है तो एक करोड़ लोग रोज एक करोड़ रुपये बचा सकते है     
गरीबी तुलना से पैदा होती है मेरे पास १० रुपए उसके पास १००० रुपए, मेरी तनखा ५ हजार उसकी तनखा ५० हजार मेरी संपत्ति में बस ये उसकी संपत्ति में वो सब 
मेरे परिवार में से इतने से सदस्य उसके परिवार इतने सरे सदस्य ये मेरा तेरा ही सबसे बड़ी गरीबी है सोचो कभी ईश्वर ने मेरा तेरा किया है 

ऋ षि  गौड़

ऋ षि गौड़

धन्यबाद नृसिंह जी

29 नवम्बर 2015

नृसिंह इनानी

नृसिंह इनानी

गौड़ जी सही चिंतन है

29 नवम्बर 2015

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रचनाएँ
rishigaur
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अन्नत से एक और एक से अन्नत
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रचना और कवि

25 नवम्बर 2015
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ऐे रचना तू समुन्दर है और,हम क्या एक बुंंद भी नहीं तेरी कृतियों से जग चले, मेरी कलमों से क्या तू नहीं तेरे शब्दों से, मेरे भाव लड़े, मेरे भावो से तेरे आव भड़े तेरी प्रतियो में सबकी प्रीत रहे, मेरी प्रीत से तेरी प्रतिया बहे जो समा ले इस बुंंद  को तू , फिर कहा बुंंद-सागर रहे     

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रचना और कवि

25 नवम्बर 2015
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ऐे रचना तू समुन्दर है और,हम क्या एक बुंंद भी नहीं तेरी कृतियों से जग चले, मेरी कलमों से क्या तू नहीं तेरे शब्दों से, मेरे भाव लड़े, मेरे भावो से तेरे आव भड़े तेरी प्रतियो में सबकी प्रीत रहे, मेरी प्रीत से तेरी प्रतिया बहे जो समा ले इस बुंंद  को तू , फिर कहा बुंंद-सागर रहे     

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ईश्वर

25 नवम्बर 2015
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कलम चले भाव से भाव बने विचार से विचार जन्मे मन से मन बना  वातावरण से वातावरण सबसे बड़ा आवरण और जो इस आवरण को करे वरण उसे तू ईश्वर जान.

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बंधन

25 नवम्बर 2015
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प्रेम बंधन अजीब है देह बंधन सजीव,                         धर्म बंधन में बंधकर तू                          पाप -पुण्य को सीज कर्म बंधन में कर्म कर ना सडे मुक्ति का बीज                           रिश बंधन में बंधकर तू                           अपने आप को जान निभा सके तो परिपक्कव समझ, ना निभे तो तू अनजा

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तू है

26 नवम्बर 2015
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मेरा दर्द भी तू है, दवा भी तू है मेरी जीत भी तू है, हार भी तू है मेरा दिन भी तू है, रात भी तू है मरे पहचान भी तू है, ईमान भी तू है मेरा काम भी तू है नाम भी तू है  मेरा दिल में बसा दिलदार भी तू है तुझसे बना मेरा हर कण तू है तुझसे बना में, मेरा में भी तू है 

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मेरो ठाकुर

27 नवम्बर 2015
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ओ मेरो ठाकुर छोटे नैनो का ओ मेरो ठाकुर छोटे नैनो का                       लीनो बंसी मोरे ठाकुर ने                       ओ मेरो ठाकुर छोटे नैनो का पहनो मोरे मुकुट मेरे ठाकुर ने ओ मेरो ठाकुर छोटे नैनो का                        चोरी कीनो माखन मेरे ठाकुर ने                        ओ मेरो ठाकुर छोटे नैनो

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पागल बनो

27 नवम्बर 2015
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पागल बनो महात्मा गांधी की तरह जो अहिंसा की लाठी लेकर अंग्रेजो से लड़ा और देश को आज़ादी दिला दी पागल बनो स्वामी विवकानन्द की तरह जो सन्यास की राह से अमेरिका पहुच गया और अमेरिका में देश की मोहर लगा दी पागल बनो सचिन तेंदुलकर की तरह जिसने  गेंद-बल्ले को अपना रब माना और खेलकर खेल का खुदा बन गया पागल बनो अप

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हम १२६ करोड़

28 नवम्बर 2015
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एक सौ छब्बीस करोड़ की जेब में रखा एक रुपया कैसे कमजोर हो सकता है इस देश  में कोई कैसे गरीब हो सकता है राहुल गांधी ने सही कहा है  गरीबी एक मानसिकता है जब तक हमारे पैरो के नीचे धरती है और सर पे आकाश है तब तक कोई गरीब नहीं हो सकता इस धरती माँ की भी  माँ है प्रकृति जो सबके लिए सामान है जिसने सबको  सामान

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