" शारदे दया करो"बसंत ऋतु की मंगल बेला मेंबागेश्वरी शारदा प्रकट हुई।बसंत पंचमी की तिथि थी वहपांचों तत्व थीं लिये खड़ी।ज्ञानतत्व कुबुद्धी का नाशकसमूल में ज्ञान मा भारती हो।अमृत्तत्व सर्वज्ञान- का सूचककल्याण निरंतर करती हो।विद्यातत्व सर्वकल्यान का सूचकमधुर वाणी में रमती हो।प्रकृतितत्व शुभ्र ज्योत्स्ना सूचकशक्ति कुंडलनी कहलाती हो।वीणा बजा जगाकर जग कोविनीत ज्ञान देकर लुभाती हो।भवानी भाव में मगन हो परमेरी यह विनती सु न लो !मां अज्ञानी को ज्ञान तू देती सर चरणों में अर्पित घ्यान करो! बालक हूं तेरा शक्ति भर दोसुदूर दृष्टि वाली दया तु कर दो।हाथ जोड़कर विनती करता हूंशारदा हमें क्षमा कर वर दो।हर पल तेरे नाम की महिमातेरी जय - जय जयकार करूं।तेरे पूजन में शामिल होकरतेरा ही गुणगान करूं।मेरे द्वारे पर माता आकर मेरे जीवन का उद्धार करो।मां तेरी जय जय जयकार करूंभव सागर से मा पार तरूं। ब्रह्म विद्या का तत्व ज्ञान जपूंतेरी जय - जय जयकार करूं।- सुखमंगल सिंह, अवध निवासी
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