4 मई 2017
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माँ है तो जहाँ हैD
बहुत सुब्दर
24 मई 2017
उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी में...वे वजह मुस्कुराने की बात ही अलग है
स्वार्थ में परिपूंर्ण होकर,आज दुनिया सो रही है।भूल करके फर्ज सारे ,मतलबी सी हो रही है।मीडिया हो राजनेता,कोई नही अब ध्यान देता...यहां जश्न में डूबी है दिल्ली,वहाँ 25 माँये रो रही हूं।। भारत भूषण त्यागी
मुस्कुरा कर जीने का मजा ही कुछ और है
इन खुसनुमा बातों को कैसे छोड़ दूँ में,तेरे दिए ख्वाबों को कैसे तोड़ दूँ में,माना अंदाज अलग है,उडान ऊँची है तेरी,पर मेरी मंजिल तू है,खुद को कैसे मोड़ लूँ मै।।
बच्चों की फ़िक्र और पेट की भूंख न होती,तो हम अकाल से क्यों डरते साहब...जो पेट भरता इन नेताओ के भाषणों से हमारा,तो हम मौत से पहले क्यों मरते साहब।।
झुलसी इस दिल की जमी पर,एक बदली अभी भी वाकी है।बेवफाई के इस शहर है,सराफत की गली अभी भी वाकी है।लूटने वाले ने खूब लूटा,इस छोटी सी उम्र में मुझे...मगर दोस्त मेरे अंदर,कलम,कागज,हिंदुस्तान अभी भी वाकी है।
समझ जाते जो ना समझ तो,हर स्वप्न हम जीत लाते।गुनगुनाते देश भक्ति,और विजय के गीत गाते।जो गर्भ में न मारे होते,यूँ कन्याओं के भ्रूण सारे....हारते न हम रियो में,हर पदक हम स्वर्ण लाते।।
नैनों ने तेरे बांध लिया,नैनों को मेरे नैनो से।अब नैन न मानें नेक मेरी,जब नैन मिले तेरे नैनों से।तेरे नैनों ने क्या कर डाला,छीना मुझको मेरे नैनों से।मेरे नैन भये तेरे नैना,में हार गया तेरे नैनों से।।।।।
बड़ी असमंजस में है,इस वक्त जिंदगी मेरी।पता ही नही चल रहा,वो मुझे देख कर मुस्कुराती है या मुस्कुराकर देखती है
मौन थे सब निकली थी जब,आरक्षण की टोलियां।जब सैनिकों में दे लात घुसे,तब बंद थी सब बोलियां।क्या हुआ इस देश को,सैनिक,किसान की दर नही...हलधर जब हक मांगे तो मिलती है यहाँ गोलियां।।
जान जान कहके तू मेरी जान मार देती है।।।
खुद इजहार कर के आगया