लोकतंत्र का मन्त्र
कहानी
असग़र वजाहत
फाइव स्टार रिज़ॉट में किसी तरह की कोई तकलीफ न थी । हर -हर सेकंड पर जनप्रतिनिधियों का ध्यान रखा जा रहा था ।यह माना जा रहा था कि घर से इतनी दूर एकांत में जनप्रतिनिधि दरअसल तपस्या कर रहे हैं और इस तपस्या का फल सभी को अवश्य ही मिलेगा।
जनप्रतिनिधियों पर विरोधियों की निगाह उसी प्रकार गड़ी हुई थी जिस तरह शिकार पर शेर की निगाह गड़ी होती है । विरोधी दल ने जनप्रतिनिधियों को तोड़ने के लिए इतना ज्यादा पैसा ऑफर कर दिया था कि जनप्रतिनिधियों के पैर लड़खड़ा गए थे और डर था कि वे कहीं टूट न जाएं। उनके पैरों को सबुत बनाये रखने के लिए यहां ले आया गया था । फिर भी यह डर था कि कहीं जनप्रतिनिधियों को लेकर विरोधी हवा न हो जाएं । इसलिए जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा था। बाथरूम तक में सीसीटीवी लगा दिए गए थे और हाईकमान को यह पता चल रहा था कि जनप्रतिनिधि दाहिने हाथ का 'प्रयोग' करते हैं या बाएं हाथ का।
इतनी कड़ी व्यवस्था होने के बाद भी एक रात एक जनप्रतिनिधि गायब हो गया । हाहाकार मच गया। खतरे की घंटियां बजने लगीं। हाईकमान ने सख़्ती से पूछा, क्या मामला है?क्या कमी है जो एक जनप्रतिनिधि रात में भाग गया ? पूछने पर पता चला कि दरअसल प्रतिनिधि उस खाने से परेशान है जो उन्हें यहां दिया जा रहा है। वे अपने प्रदेश का खाना खाना चाहते हैं। बस इतना पता चलना था कि चार्टर्ड प्लेन से रसोइयों की पूरी टीम और खाने का सामान, मसाले, बर्तन और पता नहीं क्या-क्या रिज़ॉट पहुंच गया।
जनप्रतिनिधियों को उनके प्रदेश का स्वादिष्ट खाना मिलने लगा ।वे बहुत प्रसन्न हो गए। उन की खुराक बढ़ गई ।शरीर में खून की मात्रा बढ़ गयी। शरीर में ज्यादा ताकत आ गई ।उन्हें अंगड़ाइयां आने लगीं। वे हवा में मुक्के चलाने लगे। यह सब देखकर हाईकमान बहुत खुश था ।लेकिन एक रात फिर दुखद घटना घट गई। मतलब एक प्रतिनिधि गायब हो गया। यह तो बहुत अधिक चिंता की बात थी। हाईकमान ने कहा कि अब बताया जाए कि प्रतिनिधियों को किस बात की कमी है। काफी खोजबीन के बाद पता चला के जनप्रतिनिधि अच्छा अच्छे खाने और पीने के बाद अब दूसरी एक बड़ी प्राकृतिक आवश्यकता 'मिस' कर रहे हैं। हाईकमान ने आदेश दिया कि फौरन जनप्रतिनिधियों की पत्नियों को रिज़ाट भेज दिया जाए। चार चार बच्चों की माताएं, अधेड़ उम्र, मोटी ताजी जनप्रतिनिधियों की पत्नियां जब रिज़ाट पहुंची तो उन्हें देखकर जनप्रतिनिधि गुस्से से पागल हो गए और लगभग विद्रोह जैसा कर दिया। तब हाईकमान की समझ में बात आई और हाईकमान ने पत्नियों को वापस भेज कर विदेशों से अप्सराएं मंगाई और जनप्रतिनिधियों को सौंप दी गई ।तब कहीं जाकर शांति स्थापित हुई।
कुछ दिन तक तो सब ठीक ठाक चलता रहा लेकिन एक दिन फिर पता चला की एक जनप्रतिनिधि गायब हो गया है। यह तो बहुत गंभीर मामला था इसलिए हाईकमान ने एक बड़ी सिक्योरिटी कंपनी को 'हायर' किया ।उस कंपनी ने कहा कि प्रतिनिधि भाग न जाए इसलिए हर प्रतिनिधि के एक 'माइक्रोचिप' लगवाना चाहिए। प्रतिनिधियों को जब यह बताया गया कि उनको माइक्रोचिप लगाया जाएगा तो वे घबरा गए उन्हें यह पता न था की माइक्रोचिप क्या होता है। उन्हें समझाया गया कि यह एक इलेक्ट्रॉनिक ज़ंजीर होती है ।यदि वे भागने की कोशिश करेंगे तो उन्हें 'शाक' लगेगा और वे भाग नहीं पाएंगें।सबकी तशरीफों में एक एक माइक्रो चिप लगा दिया गया।
कुछ दिन बाद रिज़ॉर्ट से किसी पत्रकार ने यह खबर भेजी कि चार जनप्रतिनिधि गायब हो गए हैं। हाईकमान ने सोचा कि जब और कोई सहारा नहीं रहता तो अध्यात्म से बल मिलता है ।क्यों न किसी आध्यात्मिक गुरु से बात की जाए। खोजते खोजते उन्हें एक ऐसा चमत्कारी बाबा मिला जिसने यह दावा किया कि वह जनप्रतिनिधियों को पाला बदलने से रोक सकता है। जब उससे पूछा गया है कि वह ऐसा किस प्रकार करेगा तब उसने कहा कि वह जनप्रतिनिधियों का रूप बदल देगा ।मतलब जनप्रतिनिधि कुछ और बन जाएंगे जैसे बकरी बन जाएंगे या खरगोश बन जायेंगे और समय आने पर उन्हें फिर जनप्रतिनिधि बना दिया जाएगा।यह बात हाईकमान को बहुत पसंद आई और चमत्कारी बाबा को रिज़ॉट पहुंचाया गया।
रिज़ॉट में उस समय जनप्रतिनिधि और कुछ पत्रकार डाइनिंग हॉल में खाना खा रहे थे । उन्हें देखकर बाबा ने कहा कि इन लोगों को तो केवल कुत्ता बनाया जा सकता है। अगर आप कहें तो हम एक मंत्र द्वारा इन्हें कुत्ता बना सकते हैं और जब वोट देने का समय आएगा तब फिर इन्हें जनप्रतिनिधि बना दिया जाएगा ।हाईकमान ने कहा कि ठीक है। बाबा ने मंत्र पढ़ा और सभी जनप्रतिनिधि कुत्ता बन गए लेकिन पत्रकार कुत्ता नहीं बने । हाईकमान ने बाबा से पूछा कि मंत्र का प्रभाव पत्रकारों पर क्यों नहीं पड़ा तो बाबा ने कहा, मंत्र आदमी को कुत्ता बनाता है, कुत्ते को कुत्ता नहीं बनाता।
कुछ दिनों बाद जब वोट देने का समय आया और यह जरूरत पड़ी कि कुत्तों को फिर जनप्रतिनिधि बनाया जाए तो चमत्कारी बाबा को ढूंढा गया। बाबा अपने घर पर नहीं मिला, मोहल्ले में नहीं मिला, शहर नें नहीं मिला ,कहीं नहीं मिला। बहुत तलाश की गई लेकिन बाबा का कोई पता न चला।
जनप्रतिनिधि कुत्ते के कुत्ते रह गए। पर उन्होंने 'फ्लोर टेस्ट' में हाथ उठाए। बहुमत सिद्ध किया। सरकार बनाई और आजकल वही सरकार चला रहे हैं।
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