औरतें
औरते बड़ी रंगरेज होती है,जाने कहाँ से हुनर पाती है,येकोरे कोरे मन को,अपनी,खूबियों से रंग जाती है,ये।बालिका बनकर पिता के जीवन में,भरदेती है,अनगिनत रंग,मोम की तरह ढल जाती है,हर सांचे में,हो जाती हैजिसके भी संग।माँ की परछाई बनकरआती है,ये।बड़ी होते होतेमाँ की चिर सखी सी हो जाती है,ये।वधू की तरह अलंकृत होक