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नया भारत

8 दिसम्बर 2017

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यह मीरा के प्रेम की पावन धरा आज इंसानी खून के लाल धब्बो से कंलकित हो गई है मैं उस को भूल गया था कि फिर सामने ख़ौफ़नाक मंजर आ गया , तेल गिरा उसपे और तिली जली तो मैं समझा कि आज फिर से ज़लज़ला आ गया । राजस्थान के राजसमंद में हुई निर्मम हत्या दिल दहला देने वाली है । यूँही बैठे बैठे सोच रहा था कि क्या इंसान इतना उद्देलित भी हो सकता है । वीडियो को एक बार नही बार बार देखना पड़ा इसलिए कि उस राक्षस रूपी चेहरे कहीं राम दिख जाए । उस की जुबान से 'हिंद' बोलना तो आहत करने जैसा था. मेरा 'हिन्द' तो यह नही सिखाता कि कोई किसी की जान ले ले । वो जिस ने पढ़ा नहीं 'हिन्द' का एक भी शब्द, वो आज मेरे प्यारे 'हिन्द' का गन्दी जुबान से नाम क्यों लेता है.... 'जिहाद' शब्द उसकी जुबान का साथ ही नही दे रहा था । फिर मुझे याद आया कि जो व्यक्ति जो 364 दिन हिन्दू नही माना जाता वो आज 1 दिन के हिन्दू होने की इतनी बड़ी व्याख्या कर रहा है समझ से परे है । फिर सोचा उसका कोई दोष नहीं है क्योंकि हम ही चले थे एक ऐसा समाज बनाने । हम ही थे जिन्होंने सुबह-शाम सोशल मीडिया, वॉट्सएप और ज़हरीली भाषा से माहौल तैयार किया था उसका नतीजा सामने आने लगा है। अब मिशन कामयाब हो रहा है तो कम से कम दुखी दिखने का ड्रामा बंद करो। हिम्मत है तो अब आगे बढ़कर मानो कि इस आग की लपटों में इंसानों को जलते देखने की हममें ही चाहत थी। कान खोलकर जलकर मरनेवालों की चीखें सुनिए और ज़ोर ज़ोर से तालियों बजाइए । जलते हुए इंसान की खाल उतरती हुई देखिए और अहसास कीजिये कि हम क्या बनाने चले थे और क्या बना बैठे । आज कुछ दोस्त बैठे तो एक साथी ने कहा यार यह वीडियो देखा नही जाता कि इंसान कितना निर्मम हो गया है । सोचा शायद हम अखलाख, पहलू, और जुनैद के वीडियो भी नही देख पाते तो आज यह हाल ना होते । उन सब की मौत के अपवाद से बचाने के लिए तुम धर्म और भगवान को भी बीच सड़क पर ले आए और बीफ से क़ानूनी चोला पहनाने की कोशिश भी की लेकिन इस बार धार्मिक राष्ट्रवाद की फैक्ट्री से निकले प्रोडक्ट शंभूनाथ ने अपनी करतूत का बाकायदा वीडियो बनाकर खुद को ही नहीं तुम सबको भी नंगा कर डाला है। वो खुलकर बता रहा है कि हत्या के वक्त उसके ज़हन में क्या था.. उसपर नशा सवार था बदले का, धर्म का , और वैसा ही नशा तुम्हारी भावनाओ में है भंगिमाओं में है । अब जरूरत नहीं है तालिबान , और पाकिस्तान के वीडियो देखने की अब "मेक इन इंडिया" में इस तरह के नृशंसता के वीडियो हम आत्मनिर्भर हो गए है । उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है अगला नम्बर आपका है इस देश ने अपना नया रास्ता ढूंढ लिया है। इसे उधर ही चलना है और आप रोक नहीं पाएंगे। धर्म और जाति के नाम पर युद्ध होंगें । सामूहिक नरसंहार होने लगें तो चौंकिएगा मत। आप इस रास्ते खुद आए हैं। बड़ा दुःख होता है जब इस तरह से धार्मिक कट्टरता के जहर से भरे लोग हमारे बीच रहता है और हमे पता भी नही चल पाता । न मरने वाला पागल था और न ही मारने वाला पागल है । पागल हम है जो इस तरह की नृशंस हत्या करने वालो को भी माफ़ कर देते है । यह आग हमने ही लगाई है और जलेंगे ही हम देखते रहियेगा क्रिया की प्रतिक्रिया जरूर होती । । सुरेश अलखपुरा

Suresh की अन्य किताबें

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निःशब्द

5 दिसम्बर 2017
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आज के ही दिन रात के बारह बजे थे । अचानक से दिल्ली ,मुम्बई नागपुर में फोन की टर्न टर्न की घण्टी बज उठी और सुनने वाले के मुह से शब्द ही नही निकल रहे थे । सब कुछ मौन था , राजभवन , संसद भवन, राष्ट्रपति भवन सब कुछ मौन हो गया । सब कसमकश में थे ऐसा लग रहा था कि शायद कोई बड़ा हादसा हुआ था। यह हादसा कोई आपदा

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नया भारत

8 दिसम्बर 2017
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यह मीरा के प्रेम की पावन धरा आज इंसानी खून के लाल धब्बो से कंलकित हो गई हैमैं उस को भूल गया था कि फिर सामने ख़ौफ़नाक मंजर आ गया , तेल गिरा उसपे और तिली जली तो मैं समझा कि आज फिर से ज़लज़ला आ गया । राजस्थान के राजसमंद में हुई निर्मम हत्या दिल दहला देने वाली है । यूँही बैठे बैठे सोच रहा था कि क्या इंस

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मोहब्बत के सारे रंग एक है....

1 मार्च 2018
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यह जो रंगों का त्यौहार हम मनाते है , इसमें सभी रंग एक जैसे नजर आते है । इन रंगों में खुशहाली, हरियाली, शांति, क्रांति, इश्क़, मोहब्बत, प्रेम ,स्नेह, सभी का समायोजन है। बस अगर समायोजन की जरूरत है तो हमे है , नही तो हमारी आने वाली पीढ़ियों में यह हरे और केसरिया रंगों के बीच जो खाई बनती जा रही है उसे यह

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शर्मसार होती इंसानियत

13 अप्रैल 2018
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यह सवालों का समय नही है। यह समय है आपकी मृत पड़ी मानवीय संवेदनाओं को जागृत करने से है । अगर ऐसा नही कर सकते तो आप बेटी पैदा करना ही बंद कर दीजिए और अपने घर की बेटियों को घर पर ही रखिये और उनकी सुरक्षा कीजिए बाहर वालो से और अपनो से भी । साथ साथ याद रखियेगा समय के साथ लाड़ली जवान भी होगी ।आसिफा की उम्र

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