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Suresh की डायरी

Suresh

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suresh ki diary

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पुस्तक के भाग

1

निःशब्द

5 दिसम्बर 2017
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आज के ही दिन रात के बारह बजे थे । अचानक से दिल्ली ,मुम्बई नागपुर में फोन की टर्न टर्न की घण्टी बज उठी और सुनने वाले के मुह से शब्द ही नही निकल रहे थे । सब कुछ मौन था , राजभवन , संसद भवन, राष्ट्रपति भवन सब कुछ मौन हो गया । सब कसमकश में थे ऐसा लग रहा था कि शायद कोई बड़ा हादसा हुआ था। यह हादसा कोई आपदा

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नया भारत

8 दिसम्बर 2017
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यह मीरा के प्रेम की पावन धरा आज इंसानी खून के लाल धब्बो से कंलकित हो गई हैमैं उस को भूल गया था कि फिर सामने ख़ौफ़नाक मंजर आ गया , तेल गिरा उसपे और तिली जली तो मैं समझा कि आज फिर से ज़लज़ला आ गया । राजस्थान के राजसमंद में हुई निर्मम हत्या दिल दहला देने वाली है । यूँही बैठे बैठे सोच रहा था कि क्या इंस

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मोहब्बत के सारे रंग एक है....

1 मार्च 2018
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यह जो रंगों का त्यौहार हम मनाते है , इसमें सभी रंग एक जैसे नजर आते है । इन रंगों में खुशहाली, हरियाली, शांति, क्रांति, इश्क़, मोहब्बत, प्रेम ,स्नेह, सभी का समायोजन है। बस अगर समायोजन की जरूरत है तो हमे है , नही तो हमारी आने वाली पीढ़ियों में यह हरे और केसरिया रंगों के बीच जो खाई बनती जा रही है उसे यह

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शर्मसार होती इंसानियत

13 अप्रैल 2018
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यह सवालों का समय नही है। यह समय है आपकी मृत पड़ी मानवीय संवेदनाओं को जागृत करने से है । अगर ऐसा नही कर सकते तो आप बेटी पैदा करना ही बंद कर दीजिए और अपने घर की बेटियों को घर पर ही रखिये और उनकी सुरक्षा कीजिए बाहर वालो से और अपनो से भी । साथ साथ याद रखियेगा समय के साथ लाड़ली जवान भी होगी ।आसिफा की उम्र

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