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"कर्म कुरू फलस्य चिंता मां कुरू"

20 अक्टूबर 2016

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featured imageदोस्तों किस्मत के भरोसे बैठे रहने वालों को मैंने दर दर भटकते देखा है । बेहतर होगा कि हम कर्म प्रधान बनें …… गीता में भी कहा गया है “कर्म कुरू फलस्य चिंता मां कुरू” अर्थात कर्म करें, फल की चिंता ना करें । आपके जितने अच्छे कर्म होंगे उतना ही अच्छा परिणाम मिलेगा…… अपनी मुसीबतों के सामने समर्पण ना करें । उनसे लड़ना सीखें, हारने से ना डरें….. क्योंकि असल में कामयाब वहीं होता है, जो पहले  कभी हारा हो…. क्योंकि कामयाबी का वास्तविक महत्व उससे बढ़कर कोई नहीं जान सकता……. ईश्वर जब भी किसी इंसान को कामयाबी से नवाजने की सोचता है तो उससे पहले वह उस इंसान की परीक्षा लेता है….. उसके सामने चैलेंजेज् पैदा करता है…. अगर वह इंसान उन मुसीबतो के सामने टूटकर नहीं बैठता तो ईश्वर को उस इंसान के बारे में यह एहसास हो जाता है कि इस कामयाबी का असली हकदार यही है और अंत में वह इंसान सफल हो जाता है…… दोस्तों  हमें भी हर चैलेंज को फेस करना होगा तभी हमें सफलता मिलेगी ! -पवन जयपुरी

पवन जयपुरी की अन्य किताबें

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"कर्म कुरू फलस्य चिंता मां कुरू"

20 अक्टूबर 2016
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दोस्तों किस्मत के भरोसे बैठे रहने वालों को मैंने दर दर भटकते देखा है ।बेहतर होगा कि हम कर्म प्रधान बनें ……गीता में भी कहा गया है“कर्म कुरू फलस्य चिंता मां कुरू”अर्थात कर्म करें, फल की चिंता ना करें ।आपके जितने अच्छे कर्म होंगे उतना ही अच्छा परिणाम मिलेगा……अपनी मुसीबतों के सामने समर्पण ना करें । उनसे

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सपनों की गठरी

15 दिसम्बर 2016
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खुद को मैं खुद मेंखोज रहा हूँ आजकल मालूम हुआ कि मुझमें मैं बाकी हूँ अभी.....बैठकर अकेलासोचता हूँ अतीत को...और बह निकलता है इकआँसूओं का सैलाब जो भिगो देता है...मेरे टूटे हुए सपनों को..और फिर झपक जाती हैंवो गीली आँखे नये सपने बुनने के लिए...!फिर मैं निकल पड़ता हूँ..भोर होते ही घर सेअपने सपनों कीगठरी बा

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बदलाव प्रकृति का नियम है ।

21 दिसम्बर 2016
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अगर आप जीवन में लगातार सफल बने रहना चाहते हैं,तो समय के अनुसार, स्थिति के अनुसार और जनरेशन के अनुसार अपने आपको बदलते रहिए,,स्वयं को अपडेट करते रहिए !क्योंकि जो समय के अनुसार बदलता नही हैवह उससे प्रतिस्पर्धा रखने वालों में कमजोर समझा जाता है और वह वैल्यूएबल नही रह पाता है ।उसके प्रतिस्पर्धी उसके बराब

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