मन अभिमन्यु मैंने तुम्हें हर बार रोका पृष्ठ खोल महाभारत का दृश्य दिखाया पर तुमने चक्रव्यूह से पलायन नहीं किया ...तुमने हर बार कहा बन्द दरवाज़े की घुटन न हो तो कोई रास्ते नहीं खुलते ना ही बनते हैं !अभिमन्यु सी ज़िद अभिमन्यु सा हौसला और अंततः तुमने सिद्ध कर दिया अभिमन्यु किसी चक्रव्यूह में नहीं मरता वह