31 मार्च 2017
किसी शायर ने कहा है - ''कौन कहता है आसमाँ में सुराख़ हो नहीं सकता , एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों .'' भारतवर्ष सर्वदा से ऐसी क्रांतियों की भूमि रहा है जिन्होंने हमेशा ''असतो मा सद्गमय ,तमसो मा ज्योतिर्गमय ,मृत्योर्मामृतं गम