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कवितामुक्तक

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वैसे तो मैं खुद ही बहुत बचता था आग सेपुरानी जलन जो दें गई थी मुझको दाग सेपर वक्त ने जो तय किया बस हुआ तो वही मेरे घर को आग लग गई घर के चिराग सेशिशिर मधुकर

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