8 जुलाई 2017
ओ री सखी तोहे कैसे बताऊँ, मोरे पिया बड़े हरजाई रे,रात लगी मोहे सर्दी, बेदर्दी सो गए ओढ़ रजाई रे।झटकी रजाई, चुटकी बजाई, सुध-बुध तक न आई रे!पकड़ी कलाई, हृदय लगाई, पर खड़ी-खड़ी तरसाई रे!अंगुली दबाई, अंगुली घुमाई, हलचल फिरहुँ न आई रे!टस से मस