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पुस्तक लेखन प्रतियोगिता मार्च

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शीर्षक --बेटियांबेटियाँ घर की मान हैबेटियां घर की महेमान हैजिनके यहाँ होती है बेटियां उनके घर की होती पहचान है                बेटियां सम्मान होती है 

शीर्षक --क्षणभंगूर ये जीवन क्षणभंगूर हैये रूप भी क्षणभंगूर हैये काया भी क्षणभंगूर हैये माया भी क्षणभंगूर हैफिर सब इसको पाने केलिए व्याकुल होते फिरते हैंबस ये जीवन साँसो काताना बाना हैजिंदगी का बस

शीर्षक  ---बचपन की बातेबचपन की बीती बातें,यादों को ताज़ा कर गई।आज भी याद आ जाती,बीती बातें बचपन की,जिसे याद करके दिल,गुदगुदा जाता है।अपने बचपन की बीती बातें,याद करके दिल उदास तो,नही होता है बस मुस

 शीर्षक -आखिर वो आखिर वो कैसे इतना सबकुछ कैसे कर लेतीं हैंअपनों की ख़ुशी के लिए अपने ख़ुशी उनकेलिए उनकी जिंदगी में कोई मायने नहीरखती है बसअपनों की खुशियोंके लिएवो हमेशा खुश हो क

शीर्षक -अनसुनी कभी कभी मेरी चीखें,अनसुनी हो जाती है।कभी कभी मेरी आवाज,अनकही रह जाती है।चीखती हूँ चिल्लाती हूँ,फिर खामोश हो जाती हूँ,मदद भी मांगती हूँ,आवाज भी लगाती हूँ,तो जैसे लगता है दुनिया,के स

शीर्षक --वीरसपूतमेरे भारत माँ के वीर सपूतों की,क्या खूब थी उनकी ये कुर्बानीयाँ जो अपनी जान की दे दी खुशी खुशी,कुर्बानियां।वो जैसे आज भी पूछते हैं की तुम सबकोयाद है हमारी कुर्बानियां,या भूल गए एक

शीर्षक --(वो बीते रैना )191आँखों में बसे ही रह गए वो बीते रैना,जो तेरे संग गुजरे वो खूबसूरत रैना।रैना तो बीत गए तेरी यादों के संग,जब से तू मुझे छोड़ गई पगली!!यूँ ही तन्हा राहों में अब तेरे बिन,एक एक पल

शीर्षक --कविता 141हर कविता वो छोटी हो या बड़ी,हमें उससे कुछ न कुछ सीख ही मिलता है।कविता तो कविता होता है,जो अल्फाजों से सजकर,आँखों को भाता है।कविता जो पन्नों पर कलम,के साथ मिलकर मन के भावों,के साथ

शीर्षक --बसंतजब बसंत आता है,एक नया संदेश ले कर आता है।हम सब के लिए खुशियों की,सौगत ले कर आता है।पतझड़ सी जिंदगी को,सबको हर्षाने आया है,बसंत सबके जिंदगी को,महकाने आया है।जब बसंत आता है,एक हर साल कुछ नया

शीर्षक- होली विशेषहोली का नाम सुनकर,याद आ गया रंगों का त्यौहार,मन में छा गई,खुशियों की बौछार।आओ सब मिल कर खेलें होली,आई आई रंगों की टोली,सब हिल मिल कर,संग संग खेलेंगे होली।गलियों में बजे ढ़ोल मंजिरे,सब

   शीर्षक --होली1.गौरा महादेव के संग रहे,होली के इस पावन त्यौहार में,हर किसी के जीवन हर्षों उल्लास रहे,खुशियों की बाहर रहे।2.राधा का रंग हो,कान्हा का प्यार हो,सबको मुबारक होली का त्योहार हो।

शीर्षक- "आप हो तो हम हैं "माँ बाबा आप हो तो हम हैं,साथ हैं तो दम है,आपके बिना तो हमसब कम हैं।हर मुश्किल से लड़ना सीखलाया है,हर गम में मुस्कुराना सिखालाया है।आप हमेशा रहना संग,चाहे आये जिंदगी में कोई रं

   शीर्षक -"जिंदगी"जिंदगी में कभी उदास मत होना,जिंदगी में अगर कोई गम हो तो,खुशी खुशी हमारी हँसी मांग लेना।तेरी खुशी के लिए अपनी हँसी तुझे दे दूँगा,पर तुझे जिंदगी में कभी उदास नही,होने दूँगा

         शीर्षक -बड़े प्यारे होतुम बड़े प्यारे लगते हो,                       चाँद से भी न्यारे लगते हो।चांदनी रातों

शीर्षक -बचपन की वो शैतानीबचपन की कहानियाँ,बचपन की शैतानीयाँ,हमें आज भी बहुत याद आती है।बचपन की वो शैतानीयाँ,दादी और नानी की कहानियाँ,हमें आज भी बहुत याद आती है,बचपन की वो शतानीयाँ।     

शीर्षक --(अँखियाँ )अँखियों के झरोखे में,आपके इस कदर खोये हम की, की हर लम्हा खूबसूरत,बन गया।हर पल अनमोल बन गया,इन आँखों में तेरे सिवा कोई,फिर आया ही नही।तुम्हारे सिवा अँखियों के झरोखे में,तुम ही अ

         शीर्षक -मनमन इतना विचलित क्यूँ होता है।मन तू इतना चिंतित क्यों होता है,हर वक्त तू डरा और सहमा सा क्यों रहता है।हर वक्त तू बुझा बुझा  छुपा छुपा क्यों रहता है,मुश्

    शीर्षक -एकउम्मीदएक उम्मीद ही तो,बची है जिंदगी में,एक बार तो तुमसे,मिलूंगा और पूछूंगा।की अब भी मुझे याद,करते हो अब भी मुझे,प्यार करते हो,अब भी मेरा इंतजार,करते हो।अब भी तुम मुझपेतुम मरते

शीर्षक-हम हों या न हों हम रहे या न रहे तेरे साथ ,तूम खुश हर हाल में रहाना,        ये न पूछना तेरे बिना,       खुश कैसे रहूँगा,बस तुम मेरे रहने या रहने पर,ब

शीर्षक -"औरत हूँ"दिल में बसी वो मोहब्बत हूँ,मैं औरत हूँ,मैं औरत हूँ।         कभी माँ,कभी बहन           कभी बहन बनकर ममता की मुर्रत हूँ,मैं औरत हू

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