शीर्षक -बचपन की वो शैतानी
बचपन की कहानियाँ,
बचपन की शैतानीयाँ,
हमें आज भी बहुत याद आती है।
बचपन की वो शैतानीयाँ,
दादी और नानी की कहानियाँ,
हमें आज भी बहुत याद आती है,
बचपन की वो शतानीयाँ।
बचपन के साथ अठखेलीयाँ,
दोस्तों के साथ मस्तियाँ,
हमें आज भी बहुत याद आती है।
भी बचपन की वो शैतानीयाँ,
परिंदो के साथ उड़ने की,
नादानियाँ,
बचपन की वो करस्तानीयाँ,
हमें आज भी बहुत याद आती है,
बचपन की वो शैतानीयाँ।
अपने माँ बाबा के आँगन में बीता,
बचपन आज भी याद आ जाता है,
बचपन को याद करके अँखियाँ,
आज भी गीली हो जाती है,
बीता बचपन अपनों के संग,
हमें आज भी बहुत याद आ जाता है,
बचपन की वो शैतानीयाँ।
कैसे भूलेगा दिल चाह कर भी,
बचपन की वो नादानियाँ,
आज भी बारिश देख कर,
मचल जाती है दीवानगीयाँ,
कितने खुशी और गम की,
होती थी अपनी यारियाँ,
कैसे तोड़ते थे बागों में,
चोरी चोरी अमियाँ,
हमें आज भी बहुत याद आती है।
बचपन की शैतानीयाँ,
बचपन की बीती बतियां,
अपनी ही जुबानियां,
हमें आज भी बहुत याद आ जाती है।
शायद वो बचपन हमारी आने वाली पीढ़ियां,
कहाँ जी पायेंगी।
इनके तो बचपन की शैतानीयाँ,
इनकी मोबाइल ने छीनलियाँ।।
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