बचपन की बीती बातें,
यादों को ताज़ा कर गई।
आज भी याद आ जाती,
बीती बातें बचपन की,
जिसे याद करके दिल,
गुदगुदा जाता है।
अपने बचपन की बीती बातें,
याद करके दिल उदास तो,
नही होता है बस मुस्कुरा पड़ता है।
खुद से कहता हूँ सच में बचपन,
कितना अलबेला था।
छोटी छोटी बातों का रोना भी होता था,
बात बात पर मचलना भी होता था।
दोस्तों के साथ आगे भागना भी होता था,
अपनी नई नई चीज़ें दिखाना भी होता था।
दोस्तों साथ स्कूल जाना भी होता था,
पढ़ाई के डर से छुपना भी होता था।
खेलने का बहाना भी होता था,
दोस्तों को चुपके चुपके बुलाना भी होता था।
दोस्तों से घिरे रहने का भी वो फ़साना होता था,
शरारत भरे हुए वो जमाना भी होता था।
अपनी छोटी छोटी बातें मनमाना भी होता था,
कितना प्यारा और खूबसूरत हमारा भी,
बचपना होता था।
जो अब बन कर रह गया बीती बातें,
ये वो बीती बातें हैं जो दिल चाह कर,
भी न भुला पायेगा।
ये तो हर रोज बीती बातें यादों में,
शामिल जो हो जाती है।
और इसे याद करके यादें उन गुजरे,
बीती बातों से तरोताजा हो कर मुस्कुरा,
उठती है।
जिंदगी इन बीती यादों को याद करके,
उदास नही होती है खिलखिला कर,
मुस्कुरा पड़ती है
कितना प्यारा,
होता है बीती बातें बचपन की
जो यादों को महका कर ताज़ा कर जाती है।।
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