शीर्षक -"औरत हूँ"
दिल में बसी वो मोहब्बत हूँ,
मैं औरत हूँ,मैं औरत हूँ।
कभी माँ,कभी बहन
कभी बहन बनकर ममता की मुर्रत हूँ,
मैं औरत हूँ,मैं औरत हूँ।
हर गम ओ दर्द को छुपा कर,
इस जन्नत की तकदीर हूँ।
हर रिश्ते की ताकत हूँ,
हर जिंदगी की हकीकत हूँ,
मैं औरत हूँ,मैं औरत हूँ।
दिल में बसी वो मोहब्बत हूँ,
खुद से अपनी पहचान बनाती हूँ,
अपने हौसलों से अपनी उड़ान उड़ती हूँ,
मेरे आँचल में चाँद सितारें हैं।
मैं अपनी खुशियों की खुद मुस्कान बनती हूँ,
मैं औरत हूँ, मैं औरत हूँ।
दिल में बसी वो मोहब्बत हूँ,
मैं हर हाल में ढल जाती हूँ,
मैं हर मुश्किल से लड़ जाती हूँ,
लव पे न आये कोई भी हसरत,
मैं सब्र की मिशाल हूँ।
मैं औरत हूँ,मैं औरत हूँ,
दिल में बसी वो मोहब्बत हूँ,
मैं औरत हूँ, मैं औरत हूँ।
आप सभी को महिला दिवस की बहुत सारी बधाईयाँ।💐🌹🎂🍫❤
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