मन तू इतना चिंतित क्यों होता है,
हर वक्त तू डरा और सहमा सा क्यों रहता है।
हर वक्त तू बुझा बुझा छुपा छुपा क्यों रहता है,
मुश्किल से लड़ कर तू कोशिश कर।
गम की चादर हटा कर खुशियाँ मना,
जो हो रहा है उसे होने दे मत डर उससे ।
तूफानों को आने दे मत रोक उसे,
अपना ठिकाना तू खुद पायेगा।
जब तक तुझे राह नही दिखेगा,
मन तू इतना चिंतित क्यों होता है,
मन इतना तू विचलित क्यों होता है।
सबको खुश रखना और रहना यही,
तू प्रण कर।
अंधकार को प्रकाश में बदलना यही,
तू सीख।
हर रात के बाद सुबह के इंतजार,
में तू रह।
हर गम को तुम खुशियों में बदलना,
सीख।
मन तू क्यों इतना विचलित है जीवन,
का पल पल आनंद उठा।
मन इतना तू विचलित क्यूँ होता है,
मन तू इतना चिंतित क्यों होता है,
पल पल क्यों डरता है।।
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