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अपने सपने -(भाग --26)

30 मार्च 2022

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शीर्षक --क्षणभंगूर 

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ये जीवन क्षणभंगूर है
ये रूप भी क्षणभंगूर है
ये काया भी क्षणभंगूर है
ये माया भी क्षणभंगूर है
फिर सब इसको पाने के
लिए व्याकुल होते फिरते हैं
बस ये जीवन साँसो का
ताना बाना है
जिंदगी का बस दो दिन
का ठिकाना है
फिर भी कितना उड़ेंगे
एक दिन तो जमीं ही
हमारा ठिकाना है
उसी में रहकर इस जीवन को 
मिट्टी में मिल जाना है
आज में तू जी ले
कल तो जाना ही है
जीवन का यही ताना बाना है
जीवन तो क्षणभंगूर है
फिर क्यों न हरपल को 
हँस कर  बिताना है
फिर किस लिए अकरना है
फिर किस लिए टकराना है
जीवन तो क्षणभंगूर है
फिर क्यों किसी को छलना है
जीवन तो सब जानता है
क्षण भंगूर है
ये एक मृगतृष्णा है
पल पल यंहाँ बस जीना है
बस ये सोच के जीना है
जिस पल को जीना है
उसे मीठा बना कर जीना है
समुन्द्र की तरह नही अपना
जीवन जीना है 
अपना जीवन तो कुआँ के तरह
जीना है
विस्तार नही भी हो तो
जीवन में  पर गहराई तो होना है
तभी तो मीठापन होगा 
ये जीवन तो क्षणभंगूर है
मौत ही तो इस जीवन
का सत्य है इसे नही
झुठलाना है
जीवन क्षणभंगूर मिला है
इस लिए जीवन को हर पल
बस खूबसूरती से महकाना है
कोई गम नही करना है
छोटी छोटी खुशियों में जीना है
बड़ी खुशियों के इंतजार यूँ ही 
अपने जीवन को नही गँवाना है
जीवन  मिला है  क्षणभंगूर
इसे हर पल मुस्कुरा कर बस
जीना है।


Rukesh kumar

Rukesh kumar

👌👌

7 अप्रैल 2022

27
रचनाएँ
अपने सपने
5.0
ये किताब कविता शायरी संग्रह है आप सब सोच रहे होंगे की अपने सपने नाम आखिर क्यों रखा गया है। तो जिंदगी में कभी कभी अपनी जिम्मेदारीयों की वजह से हम सब के दिल में कुछ न कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं तो हमारे सपने को नाम दे कर उन्हें हमने अपने सपने लिख दिया है ❤❤
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शीर्षक -बचपन की वो शैतानीबचपन की कहानियाँ,बचपन की शैतानीयाँ,हमें आज भी बहुत याद आती है।बचपन की वो शैतानीयाँ,दादी और नानी की कहानियाँ,हमें आज भी बहुत याद आती है,बचपन की वो शतानीयाँ। &nbsp

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शीर्षक --कविता 141हर कविता वो छोटी हो या बड़ी,हमें उससे कुछ न कुछ सीख ही मिलता है।कविता तो कविता होता है,जो अल्फाजों से सजकर,आँखों को भाता है।कविता जो पन्नों पर कलम,के साथ मिलकर मन के भावों,के साथ

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अपने सपने --(भाग -21)

24 मार्च 2022
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शीर्षक -आखिर वो आखिर वो कैसे इतना सबकुछ कैसे कर लेतीं हैंअपनों की ख़ुशी के लिए अपने ख़ुशी उनकेलिए उनकी जिंदगी में कोई मायने नहीरखती है बसअपनों की खुशियोंके लिएवो हमेशा खुश हो क

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अपने सपने --(भाग -22)

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अपने सपने --(भाग -23)

27 मार्च 2022
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अपने सपने --(भाग -24)

27 मार्च 2022
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शीर्षक ---बचपन की बातेबचपन की बीती बातें,यादों को ताज़ा कर गई।आज भी याद आ जाती,बीती बातें बचपन की,जिसे याद करके दिल,गुदगुदा जाता है।अपने बचपन की बीती बातें,याद करके दिल उदास तो,नही होता है बस मुस

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अपने सपने --(भाग --25)

27 मार्च 2022
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1

शीर्षक --"ये जीवन है "ये जीवन क्षणभंगूर है,ये रूप भी क्षणभंगूर है,ये काया भी क्षणभंगूर है,ये माया भी क्षणभंगूर है,फिर सब इसको पाने के,लिए व्याकुल होते फिरते हैं।बस ये जीवन साँसो का,ताना बाना है।जिंदगी

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अपने सपने -(भाग --26)

30 मार्च 2022
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शीर्षक --क्षणभंगूर ये जीवन क्षणभंगूर हैये रूप भी क्षणभंगूर हैये काया भी क्षणभंगूर हैये माया भी क्षणभंगूर हैफिर सब इसको पाने केलिए व्याकुल होते फिरते हैंबस ये जीवन साँसो काताना बाना हैजिंदगी का बस

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अपने सपने --(भाग -27)

30 मार्च 2022
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शीर्षक --बेटियांबेटियाँ घर की मान हैबेटियां घर की महेमान हैजिनके यहाँ होती है बेटियां उनके घर की होती पहचान है बेटियां सम्मान होती है&nbsp

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