शीर्षक- होली विशेष
होली का नाम सुनकर,
याद आ गया रंगों का त्यौहार,
मन में छा गई,
खुशियों की बौछार।
आओ सब मिल कर खेलें होली,
आई आई रंगों की टोली,
सब हिल मिल कर,
संग संग खेलेंगे होली।
गलियों में बजे ढ़ोल मंजिरे,
सब रंगे है रंग बिरंगे,
गली गली में मची है हुड़दंग,
सब रंगे हैं एक दूजे के संग,.
होली के रंग में।
लाल पीले नीले रंग में,
दुश्मन को भी गले लगाना है,
रंगों के संग आज उन्हें भी रंगना है,
आज न कोई शिकवा होगा न
शिकायत,
आज सब एक दूजे के संग,
खुब रंगना है।
आज प्यार का रंग लगाना है,
नफरत को भूल करप्यार को,
आज गले लगना है।
रंग बिरंगे चेहरे लगते सब एक
सामान
कितना अच्छा होता सब रहते
हम सब एक सामान
जाति पाती भेदभाव से दूर
एक दूजे के संग रंग लगाना है।
खुशियों को अंग लगाना है,
आओ आओ इस बार की होली,
खेले सब संग मिलकर,
घर आँगन को प्यार के रंग से,
रंग कर।
मिटा कर सारे गिले शिकवे
हर होली में यूँ ही प्यार के
रंग में खेले होली ।
भूल कर तकरार,
रुठे को मनाना है,
गले सबको लगना है।
रंगों का त्यौहार हँसी खुशी,
मनाना है।
होली मुबारक हो सबको,
यही तो सब से कहना है,
संग संग रहना है,
खुशी मनाना है।
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