अँखियों के झरोखे में,
आपके इस कदर खोये हम की,
की हर लम्हा खूबसूरत,
बन गया।
हर पल अनमोल बन गया,
इन आँखों में तेरे सिवा कोई,
फिर आया ही नही।
तुम्हारे सिवा अँखियों के झरोखे में,
तुम ही अँखियों के मेहमान बन गए,
अँखियों के झरोखे के कद्रदान,
बन गए।
मन तड़पता है जब तू अँखियों से दूर रहता ,
अँखियाँ तरप जाती है तेरे दीदार को,
ऑंखें बरस जाती है तेरी याद में।
आजा अँखियों के झरोखे में,
तुम्हें छुपा लूँ ऑंखें बंद करके,
छोटी छोटी खुशियों को हमने,
अँखियों के झरोखे में छुपा रखा है।
जब मिलोगे तो उन लम्हों के,
संग जी के मुस्कुरा दूंगा।
बातें अँखियों के झरोखे का था,
हमने उन्हें अपनी आँखों में,
कैद कर रखा है।
आप बस खुश हो कर हमारे,
अँखियों के झरोखे में रहा करो,
हमसे रूठ कर भी तुम मेरे,
अँखियों के झरोखे में ठहरे रहना।
तुझे अँखियों के झरोखे में बसा कर,
आज भी तुम्हें संभाल रखा है।
अँखियों के झरोखे में तुझे बिठा,
कर रखा है इन आँखों से तुम,
दूर मत जाना।।
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