ये बात तो सब मानते है की भगवान् है हर व्यक्ति की सोच, शारीरिकर मानसिक स्थिति भिन्न बनाई है| हर व्यक्ति आकार प्रकार में दुसरे व्यक्ति से भिन्न है स्वभाव व् गुणों से लेकर हर चीज़ सब में अलग-अलग है निराली है क्या अपने कभी भी शांति से बैठकर ये सोचा है की हमारे अंदर क्या चीज़ ऐसी है जो हमको दूसरों से अलग