गुमनाम राहो पर एक नयी पहचान हो जाए चलो कुछ दूर साथ तो, सफ़र आसान हो जाए|| होड़ मची है मिटाने को इंसानियत के निशान रुक जाओ इससे पहले, ज़हां शमशान हो जाए|| वक़्त है, थाम लो, रिश्तो की बागडोर आज ऐसा ना हो कि कल, भाई मेहमान हो जाए|| इंसान हो इंसानियत के हक अदा कर दो