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आध्यात्मिक

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पूजा-पाठ, उत्सव, हवन, विजयोत्सव, आगमन, विवाह, राज्याभिषेक आदि शुभ कार्यों में शंख बजाना शुभ और अनिवार्य माना जाता है क्योंकि इसे विजय, समृद्धि, यश और शुभता का प्रतीक माना गया है। मंदिरों में सुबह और श

 1. पूर्वमुखी हुनमान जी- पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जा

जानें, कैसे भगवान शंकर व पार्वती के विवाह के प्रसंग से जुड़ा है हरियाली अमावस्या का पर्व ? इस शुभ दिन की क्या महिमा है ?श्रावण का पूरा महीना ही भगवान शंकर व पार्वती से जुड़ा है । ऐसा ही श्रावण मास का

मंदिर में परिक्रमा लेते समय भगवान या देवी की पीठ को प्रणाम करने का चलन बहुत हो गया है!किसी भी भगवान या देवी देवताओं की पीठ को प्रणाम करने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है!इसका प्रमाण भागवत कथा में ए

'सरोवर' का अर्थ तालाब, कुंड या ताल नहीं होता। सरोवर को आप झील कह सकते हैं। भारत में सैकड़ों झीलें हैं लेकिन उनमें से सिर्फ 5 का ही धार्मिक महत्व है, बाकी में से कुछ का आध्यात्मिक और बाकी का पर्यटनीय म

समय सूचक AM और PM का उद्गम भारत ही था। पर हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है।AM एंटी मेरिडियन (ante meridian)PM  पोस्ट मेरिडियन (post meridia

पूजा-पाठ, साधना, तपस्या आदि कर्मकांड के लिए उपयुक्त आसन पर बैठने का विशेष महत्त्व होता है। हमारे महर्षियों के अनुसार जिस स्थान पर प्रभु को बैठाया जाता है, उसे दर्भासन कहते हैं और जिस पर स्वयं साध

 भूमंडल के अंदर कई ऐसे ज्ञात-अज्ञात तथ्य छिपे हुए हैं जिनसे जीवन सदैव प्रभावित होता रहता है।  इन भूखंड़ों के प्रभावों को आज बड़ी तेजी से मानव, पशु-पक्षी, पेड़-पौधों में देखा जा रहा है।&nb

किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले हिन्दू धर्म में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसकी पूजा करने का महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से कार्य सफल होता है। स्वास्तिक के चिन्ह को मंगल प्रतीक भी माना जाता

​दीक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द दक्ष से हुई है जिसका अर्थ है कुशल होना। समानार्थी अर्थ है - विस्तार। इसका दूसरा स्रोत दीक्ष शब्द है जिसका अर्थ है समर्पण ​अतः दीक्षा का सम्पूर्ण अर्थ हुआ - स

प्राय: हमारे मन में यह सवाल उठता है कि क्या सचमुच इस जीवित शरीर से भगवान के दर्शन सम्भव हैं ? तो इसका उत्तर है ‘हां’ ।संतों ने सही कहा है—दु:ख भोगना हो तो नरकों में जाओ, सुख भोगना है तो स्वर्ग में जाओ

51 शक्ति पीठ, 12 ज्योतिर्लिंग, 7 सप्तपुरी और 4 धामहमारा देश भारत में यूँ तो अनेकों तीर्थ है पर इनमें जो सबसे प्रमुख माने जाते है वो है इक्यावन शक्ति पीठ, बारह ज्योतिर्लिंग, सात सप्तपुरी

आमतौर पर शिवलिंग को गलत अर्थों में लिया जाता है, जो कि अनुचित है या उचित यह हम नहीं जानते। वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती ह

 मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के

सनातन परम्परा में अगर ऐसा नहीं किया जाए तो आटे को पिंड का रूप मानते हैं जो कि हिंदू धर्म में अशुभ होता है।हिंदू धर्म में पूर्वजों एवं मृत आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए पिंड दान की विधि बताई गई है।पिं

होइ न विषय बिराग,भवन बसत भा चौथनु।हृदय बहुत दुख लाग जनम गयउ हरि भगति बिनु।।1/142साधना क्रम में एक पद्धति बैराग्य की,तथा दूसरी है राग की पद्धति ।किसी के अंतःकरण में बैराग्य की बृत्ति प्रबल होती है,और क

जानें, मुण्डन कराने से बच्चे की कितनी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां दूर हो जाती हैं ? मुण्डन संस्कार को चूड़ाकरण संस्कार या चौलकर्म भी कहते है जिसका अर्थ है—वह संस्कार जिसमें बालक को चूड़ा अर्थात

ये लक्षण बताते हैं कि कब आएगी मौतहर व्यक्ति की यह जिज्ञासा होती है कि मौत कैसे होती है। उसकी खुद की मौत का क्या उसे पहले से ही अहसास हो जाएगा।वैज्ञानिक शोधों, मनोविश्लेषण, धर्म शास्त्रों, पुराणों आदि

समुद्र-मंथन के समय समुद्र से जो 14 रत्न निकले, उनमें एक शंख भी है; इसलिए इसे ‘समुद्रतनय’ कहते हैं और यह लक्ष्मीजी का भाई माना जाता है । शंख में साक्षात् भगवान श्रीहरि का निवास है और वे इसे सदैव अपने ह

हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। इसे देवताओं के घर के रूप में भी जाना जाता है। पूरे हिमाचल प्रदेश में 2000 से भी ज्यादा मंदिर है और इनमें से ज्यादातर प्रमुख आकर्षक का केन्द्र बने हुए है। इन म

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