कब से शुरु हुई मन्दिर में ध्वजा लगाने की परम्परा ? किस देवता की ध्वजा पर है कौन-सा चिह्न ? मन्दिर में ध्वजारोपण कैसे करें और कैसे ध्वजारोपण से हमारी मनोकामना पूरी होती है ?सनातन हिन्दू धर्म में ऐसा मा
अपने शरणागत जीव को प्रभु हर प्रकार के अनिष्ट से बचा लेते हैं। ऐसी बात भी नहीं है कि प्रभु आश्रित जीव के जीवन में कभी कोई कष्ट ही नहीं आता। सच बात तो ये है कि प्रभु आश्रित जीव धर्म पथ का अनुगमन क
हिन्दू पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु
कोई भी शुभ कार्य गणेश पूजन के बगैर कभी पूरा नहीं होता। गणेश जी बुद्धि प्रदान करते हैं। वे विघ्न विनाशक और विघ्नेश्वर हैं। यदि व्यक्ति के पास खूब धन-सम्पदा है और बुद्धि का अभाव है तो वह उसका सदुपयोग नह
1. तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोडना चाहिए,नाखूनों के तोडने से पाप लगता है।2.सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए ।3. #रविवार को तुलसी पत्र नहींतोड़ने चाहिए ।4. जो स्त्री तुलस
श्रीमद्भगवद्गीता का आरम्भ ही ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’ इन शब्दों से होता है । कुरुक्षेत्र जहां कौरवों और पांडवों का महाभारत का युद्ध हुआ और जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य वाणी से गीता रूपी अमृत
देवाधिदेव महादेव और शैलपुत्री पार्वती के साथ विवाह के बाद दीर्घकाल तक दोनों निर्जन वन में विहार करते रहे । एक दिन पार्वतीजी ने भगवान शंकर से कहा-'मैं एक श्रेष्ठ पुत्र चाहती हूँ ।' भगवान शंकर ने पार्वत
छल-कपट से प्राप्त की गई वस्तु कभी स्थायी नहीं रहती, उसका विनाश अवश्य होता है । रावण द्वारा छल से प्राप्त की गई सोने की लंका भी जल कर भस्म हो गई । जानें, सोने की लंका किसने बनवाई और किसके शाप के कारण ज
रामायण में सीता हरण के प्रसंग के बारे में तो सभी जानते हैं कि कैसे अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए रावण ने देवी सीता को छलपूर्वक हर लिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंकापति रावण
सीता नवमी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन सीता का प्राकट्य हुआ था। इस पर्व को "जानकी नवमी" भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की
बद्रीनाथ धाम का ब्रह्मकपाल तीर्थ गया से आठ गुना फलदायी है।पिंड दान के लिए भारतवर्ष क्या दुनियाँ भर से हिंदू प्रसिद्ध गया पहुँचते हैं, लेकिन एक तीर्थ ऐसा भी है जहाँ पर किया पिंडदान गया से भी आठ ग
धन और धर्म दोनों का मनुष्य जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मनुष्य की चाल केवल धन से ही नहीं बदलती अपितु धर्म से भी बदल जाती है। जब धन होता है तो अकड़ कर चलता है और जब धर्म होता है तो विनम्र होकर चलने लग
अनन्यता शब्द आपने जरूर सुना होगा। इसका अर्थ है अपने आराध्य देव के सिवा किसी और से किंचित अपेक्षा ना रखना। आपने उपास्य देव के चरणों में पूर्ण निष्ठ और पूर्ण समर्
नीति शास्त्र में एक बहुत ही सुंदर श्लोक आता है-सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा।शांति:पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम् बान्धवा:सत्य ही हमारी माता, ज्ञान ही हमारे पिता, धर्म ही हमारा भाई, दया ही
यहाँ प्रत्येक वस्तु , पदार्थ और व्यक्ति एक ना एक दिन सबको जीर्ण-शीर्ण अवस्था को प्राप्त करना है। जरा - जरा माने नष्ट होना, बुढ़ापा या काल अत: जरा किसी को भी नहीं छोड़ती है। " तृष्णैक
स्वभाव में ही किसी व्यक्ति का प्रभाव झलकता है। व्यक्तित्व की भी अपनी वाणी होती है जो कलम या जिह्वा के इस्तेमाल के बिना भी लोगों के अंतर्मन को छू जाती है।जिस प्रकार से कस्तूरी के बारे में लिखकर अथवा बत
हिन्दू संस्कृति की आस्था की आधार स्वरूपा माँ गंगा की उत्पति के बारे में अनेक मान्यताये हैं। हिन्दूओ की आस्था का केंद्र गंगा एक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी के कमंडल से माँ गंगा का जन्म हुआ।एक अन्य मान
महाकवि सूरदास जिन्होंने जन-जन को भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से परिचित करवाया। जिन्होंनें जन-जन में वात्सल्य का भाव जगाया। नंदलाल व यशोमति मैया के लाडले को बाल गोपाल बनाया। कृष्ण भक्ति की धारा में
इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसको सपने नहीं आते होंगे. सपने आना मनुष्य के दिमाग की एक उपज या कल्पना भी हो सकती है. अक्सर हम अपनी रोजाना जिंदगी में कुछ ऐसी स्तिथियों या घटनायों से गुजरते ह
लीलाधारी भगवान कृष्ण की लीला अद्भुत हैएक बार तो श्रीराधाजी की प्रेम परीक्षा लेने के लिए नारी बन उनके महल में पहुंच गए. श्रीगर्ग संहिता से सुंदर कृष्ण कथाशाम को श्रीराधाजी अपने राजमंदिर के उपवन में सखि