जिस प्रकार हिन्दू संस्कृति के चार वेद हैं, चार वर्ण हैं, चार दिशाएं हैं, ठीक उसी प्रकार चार धाम हैं। भारत की पवित्र भूमि में पूर्व में जगन्नाथ पुरी, पश्चिम में द्वारका पुरी, दक्षिण में रामेश्वरम् और उ
महाभारत में एक प्रसंग आता है जब राजा धृतराष्ट्र महात्मा विदुर से मनुष्य की आयु कम होने का कारण पूछते हैं। तब विदुर मनुष्य की आयु कम करने वाले 6 दोषों के बारे में धृतराष्ट्र को बताते हैं। महाभारत
1. जिसके घर में कुत्ता होता है उसके यहाँ देवता हविष्य (भोजन) ग्रहण नहीं करते ।2. यदि कुत्ता घर में हो और किसी का देहांत हो जाए तो देवताओं तक पहुँचने वाली वस्तुएं देवता स्वीकार नहीं करते, अत: यह मुक्ति
ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पिता कौनस्त्रोत - शिवपुराणब्रह्मा, विष्णु और महेश के संबंध में हिन्दू मानस पटल पर भ्रम की स्थिति है। वे उनको ही सर्वोत्तम और स्वयंभू मानते हैं, लेकिन क्या यह सच है? क्य
दूसरों पर आरोप लगाने वाला स्वयं भी बेचैन रहता है,सामान्य मनुष्य को यह लगता अवश्य है कि, दुष्ट प्रकृति के लोग बहुत प्रसन्न रहते हैंपर यह सत्य नहीं होता।दूसरे को सताने वाला या अनावश्यक ही दूसरे पर
दूसरा अध्याय - सुख सागर की संक्षिप्त परिभाषा | जीने की राह | Writer- Sant Rampal Ji Maharaj सुख सागर अर्थात् अमर परमात्मा तथा उसकी राजधानी अमर लोक की संक्षिप्त परिभाषा बताई है:-शंखों लहर मेह
विद्यालय में सब उसे मंदबुद्धि कहते थे। उसके गुरुजन भी उससे नाराज रहते थे क्योंकि वह पढ़ने में बहुत कमजोर था और उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था।कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था। और बच्
स्वयं की इच्छा से किसी वस्तु अथवा पदार्थ को छोड़ना त्याग तथा स्वयं की इच्छा न होते हुए किसी वस्तु अथवा पदार्थ का छूट जाना नाश कहलाता है।प्रकृत्ति का अपना एक शाश्वत नियम है और वो ये कि मान, पद, प्रतिष्
एक दिन एक छोटी सी लड़की अपने पिता को दुख व्यक्त करते-करते अपने जीवन को कोसते हुए यह बता रही थी कि उसका जीवन बहुत ही मुश्किल दौर से गुज़र रहा है।साथ ही उसके जीवन में एक दुख जाता है तो दूसरा चला आता है और
वात, पित्त, कफ दोष के कारण , लक्षण , और इलाजवात क्या होती है वात या वायु तीनों दोषों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है | ‘वात’ या ‘वायु’ यह दोनों ही शब्द संस्कृत के वा गतिगन्धनयो: धातु से बने हैं
डायरी दिनांक १८/०४/२०२२ शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । एक पुराना नियम है - आत्मनः प्रतिकूलानि, परेशां न समाचरेत। जो बातें खुद के लिये उपयुक्त न हों, उन्हें दूसरों पर भी लागू नहीं क
शब्दों का वजन तो बोलने के भाव पर आधारित होता है..झूठ में आकर्षण..एवं..सत्य में अटलता होती है. गलत इंसान आपकी अच्छाई से भी नफरत करते हैं...और...सही इंसान
यह जरुरी नहीं कि जीवन में हमेशा प्रिय क्षण ही आएं दूसरे लोगों का अनुकूल व्यवहार ही हमें प्राप्त हो। अपमान, शोक, वियोग, हानि, असफलता आदि तमाम स्थितियां आती रहती हैं और जाती भी रहती है। दुनिया का
इन्सान उन चीजों से, कम बीमारहोता है जो वो खाता है...ज्यादा बीमार वो उन चीजों सेहोता है, जो उसे अन्दर ही अन्दरखाती रहती हैं ।कम सोचे पर सही सोचेकुछ भी पाल लेना
उजाले में हर असलियतकहां नज़र आती है.....!अंधेरा ही बता सकता हैकि सितारा कौन है.....!!गलतियां और "खामियांढूँढना गलत नहीं है,बस शुरुआत खुद से करनी चाहिए !महत्व इंसान का नही, उसके अच्छे स्वभाव का होता है
"वह जीवन ही क्या जो जीवनदाता के लिए पुकार न करे ।जिस व्यक्ति में थोड़ा-बहुत भी संयम है, ब्रह्मचर्य का पालन करता है वह धारणा-ध्यान के मार्ग में जल्दी आगे बढ़ जायेगा।हृदयमें भगवान्के प्रति सच्चा प्रेम
इस दुनिया में सदैव ही दो तरह की विचारधारा के लोग जीते हैं।एक इस दुनिया को निःसार समझकर इससे दूर और दूर ही भागते हैं।दूसरी विचारधारा वाले लोग इस दुनिया से मोहवश ऐसे चिपटे रहते हैं कि कहीं यह छूट
जब कोई समस्या आये तो तीन काम करें, उसका सामना करें -उससे लड़ें-और खत्म करें,लोग आपके पास तब नहीं आते जब आप दुःखी होते हो, लोग आपके पास तब आते हैं जब वो खुद
एक संत अपने शिष्य के साथ जंगल में जा रहे थे। ढलान पर से गुजरते अचानक शिष्य का पैर फिसला और वह तेजी से नीचे की ओर लुढ़कने लगा। वह खाई में गिरने ही वाला था कि तभी उसके हाथ में बांस का एक पौधा आ गया। उसने
एक नगर में रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर-दूर तक थी। पास ही के गाँव मे स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजह से, उन्हें वहाँ का पुजारी नियुक्त किया गया था। एक बार वे अपने गंतव्य