
🌞 ~ आज का अपना पंचांग ~ 🌞
⛅ दिनांक 06 सितम्बर 2018
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2075 (गुजरात. 2074)
⛅ शक संवत -1940
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - भाद्रपद (गुजरात अनुसार श्रावण)
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ तिथि - एकादशी दोपहर 12:15 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु शाम 03:14 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - वरीयान् 07 सितम्बर रात्रि 02:00 तक तत्पश्चात परिध
⛅ राहुकाल - दोपहर 01:57 से शाम 03:30 तक
⛅ सूर्योदय - 05:54
⛅ सूर्यास्त - 18:25
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - अजा एकादशी, गुरुपुष्यामृत योग (दोपहर 03:14 से 07 सितम्बर सूर्योदय तक)
💥 विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
💥 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
💥 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं ।
💥 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 अजा एकादशी 🌷
➡ 05 सितम्बर 2018 बुधवार को शाम 03:01 से 06 सितम्बर, गुरुवार को दोपहर 12:15 तक एकादशी है ।
💥 06 सितम्बर 2018 गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
🙏🏻 यह व्रत सब पापों का नाश करनेवाला है |
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🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 पुष्य नक्षत्र योग 🌷
➡ 06 सितम्बर 2018 गुरुवार को (दोपहर 03:14 से 07 सितम्बर सूर्योदय तक) गुरुपुष्यमृत योग है ।
🙏🏻 १०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |
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🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में 🌷
🌳 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |
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🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 गुरुपुष्यामृत योग 🌷
🙏🏻 ‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
🙏🏻 इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
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