🌞 ~ आज का अपना पंचांग ~ 🌞
⛅ दिनांक 30 अक्टूबर 2018
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ विक्रम संवत - 2075 (गुजरात. 2074)
⛅ शक संवत -1940
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन)
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ तिथि - षष्ठी दोपहर 01:08 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु 31 अक्टूबर प्रातः 03:51 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - सिद्ध शाम 05:16 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - शाम 03:11 से शाम 04:35 तक
⛅ सूर्योदय - 06:21
⛅ सूर्यास्त - 17:28
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
💥 विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 बुधवारी अष्टमी 🌷
➡ 31 अक्टूबर 2018 बुधवार को (दोपहर 11:10 से 01 नवम्बर सूर्योदय तक) बुधवारी अष्टमी है ।
🙏🏻 बुधवारी अष्टमी को किये गए जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल अक्षय होता है ।
🙏🏻 मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं। इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्यश्वर संहिताः अध्याय 10)
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🌷 धनतेरस के दिन यमदीपदान 🌷
➡ 05 नवम्बर सोमवार को धनतेरस है ।
🙏🏻 इस दिन यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग नरक चतुर्दशी के दिन भी दीपदान करते हैं।
👉🏻 स्कंदपुराण में लिखा है
🌷 कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।
➡ अर्थात कार्तिक मासके कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायंकाल में घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीप रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है ।
👉🏻 पद्मपुराण में लिखा है
🌷 कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।
➡ कार्तिक के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप देना चाहिए इससे दुरमृत्यु का नाश होता है।
🔥 यम-दीपदान सरल विधि
यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए । इसके लिए आटे का एक बड़ा दीपक लें। गेहूं के आटे से बने दीप में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे एवं आपतत्त्वात्मक तमोगुणी तरंगे (अपमृत्यु के लिए ये तरंगे कारणभूत होती हैं) को शांत करने की क्षमता रहती है । तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें । उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें । अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली , अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें । उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है । दीपक को रखने से पहले प्रज्ज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा (दक्षिण दिशा यम तरंगों के लिए पोषक होती है अर्थात दक्षिण दिशा से यमतरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट एवं प्रक्षेपित होती हैं) की ओर देखते हुए चार मुँह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें । ‘ॐ यमदेवाय नमः ’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।
🔥 यम दीपदान का मन्त्र :
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||
➡ इसका अर्थ है, धनत्रयोदशी पर यह दीप मैं सूर्यपुत्र को अर्थात् यमदेवता को अर्पित करता हूं । मृत्युके पाश से वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें ।
🌞 ~ अपना पंचांग ~ 🌞
🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏