13 अक्टूबर 2021
क्यूं यू ही चुपचाप तुम हर जुल्म को सहते हो?? कहते हो खुद को सूरज तुम पर फिर भी अँधेरे में
क्यूं यू ही चुपचाप तुम हर जुल्म को सहते हो??
कहते हो खुद को सूरज तुम पर फिर भी अँधेरे में